राजेन्द्र भट्ट लोकतान्त्रिक मूल्य संकट में हैं। भारत में 1975 में लगे आपातकाल के बाद पिछले कुछ वर्षों में ऐसी स्थिति आई है कि देश के प्रबुद्ध लोग सिहरकर आपातकाल को याद कर रहे हैं और... Read more
प्रोफेसर मृगेश पाण्डे ब्रह्माण्ड अनेक रहस्यों से भरा है. इनके बारे में जानने के लिए उत्सुकता लगातार बनी रही है. आदि काल से ही मानव ने आकाश में सूर्य, चंद्र व तारों को देखा. इनकी गतियों का न... Read more
नवीन जोशी सितम्बर 2008 में शेखरदा (प्रोफेसर शेखर पाठक) ने प्रसिद्ध छायाकार एवं पर्वतारोही अनूप साह तथा संवेदनशील छायाकार प्रदीप पाण्डे के साथ उच्च हिमालय के एक दुर्गम मार्ग गंगोत्री-कालिंदीख... Read more
अरुण कुकसाल हिमालय और हिमालयी जनजीवन के एक अध्येता के रूप में चन्द्रशेखर तिवारी लोकप्रिय हैं। उत्तराखण्ड हिमालय के सामाजिक, सांस्कृतिक और यात्रा-लेखन पर उनका लेखन चर्चित रहा है। कुमाऊँ विश्व... Read more
अनिल जोशी अपनी वरिष्ठ सहयोगी रहीं प्रोफेसर दिवा भट्ट का नया उपन्यास ह्रदय को झकझोर गया। शहरीकरण के नित बढ़ते दबाव के बोझ में विलुप्त होते कभी सोना उगलने वाले खेतों की पृष्ठभूमि में रची यह कर... Read more
प्रतुल जोशी कोई भी पुत्र अपने पिता को जन्म से ही जानता है। पिता यदि एक साधारण गृहस्थ हो तो उन्हें जानना भी आसान हो सकता है लेकिन पिता ने यदि अपने जीवन में कुछ असाधारण किया होतो कई बार पिता क... Read more
नवीन जोशी भूपेंद्र बिष्ट की कविताएं पढ़ते हुए मीठी ‘नराई’ घेर लेती है। वे बहुत सारी चीजें जो हमसे छूट गई हैं और अब भी छूटती चली जा रही है, मन को विह्वल भी करने लगती हैं। गांवों-कस... Read more
उमा भट्ट यह तो सर्वविदित ही है कि वैश्वीकरण के इस दौर में संसार की कई भाषाएं विलुप्ति के कगार पर हैं। ऐसे में उत्तराखण्ड की भाषाएं भी अपने समाज तक सीमित होती जा रही हैं। इन्हीं में से एक विल... Read more
अखिल मित्तल ‘राग दिल्ली’ से साभार राजेन्द्र भट्ट की पुस्तक का यह शीर्षक सुखद लगा। यह विश्व प्रसिद्ध आह्वान गीत ‘वी शैल ओवरकम’ की पंक्तियों से प्रेरित है। हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि गिरिजाकुम... Read more
बी. डी. सुयाल वन विभाग हिमाचल में कार्य करने के दौरान मैंने उत्तराखण्ड के वन आन्दोलनों पर कभी गम्भीरता से ध्यान नही दिया था, वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन इनके बारे में विस्तार से जानने की ललक... Read more