ताज़ा तरीन

खड़िया का खूनी खनन और नेपाली मजदूरों की वापसी 

खड़िया का खूनी खनन और नेपाली मजदूरों की वापसी 

केशव भट्ट बागेश्वर में 1976 में खड़िया माइनिंग की जब शुरुआत हुई तब खनन का काम नेपाली मजदूरों द्वारा होता था. खनन के पट्टे की स्वीकृति मिलने के बाद खान वाली जगह का सीमांकन पिलरबंदी की जाती थी. सीमांकन में राजस्व भूमि, वन भूमि, पनघट, गौचर, गधेरा, नौले, धारों के साथ ही पैदल रास्तों का […] Read more

अधिकार विहीन स्थानीय निकायों से विकास की आस!

अधिकार विहीन स्थानीय निकायों से विकास की आस!

प्रयाग पाण्डे शीतऋतु पूरे यौवन में है। चिल्ला जाड़े के दिन चल रहे हैं। उत्तराखंड सहित भारत के पर्वतीय क्षेत्र ठंड से ठिठुर रहे हैं, पहाड़ी क्षेत्रों के ऊँचाई वाले अनेक स्थानों ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली है। इस सबके बीच उत्तराखंड के नगरीय क्षेत्रों में सियासी तापमान यकायक बढ़ गया है। उत्तराखंड […] Read more

सम्पादकीय

क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं नगरपालिकायें

क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं नगरपालिकायें

राजीव लोचन साह उत्तराखंड में शहरी निकायों के चुनाव हो रहे हैं। प्रदेश सरकारें इन निकायों को उपेक्षित रखती है। 74वें संविधान संशोधन कानून के लागू होने के बाद शहरी निकायों को उतनी ही ताकत मिल गई है, जितनी केन्द्र सरकार या प्रदेश सरकार को है। मगर उत्तराखंड में सरकार बार-बार इस सांवैधानिक व्यवस्था में […] Read more

संसदीय लोकतंत्र के लिये चिन्ता की घड़ी

संसदीय लोकतंत्र के लिये चिन्ता की घड़ी

राजीव लोचन साह 18वीं लोकसभा के चुनाव के बाद का संसद का पहला शीतकालीन अधिवेशन ऐतिहासिक रहा। संसद का स्तर नीचे गिर जाने का इस अधिवेशन में जो कीर्तिमान बना, पता नहीं वह कभी टूट भी पायेगा अथवा नहीं। यह अगर टूटा तो इसका अर्थ यही होगा कि देश को अब संसदीय लोकतंत्र की जरूरत […] Read more

आशल कुशल

देश दुनिया

राजनीतिक साजिश का शिकार हैं पौड़ी और अल्मोड़ा

राजनीतिक साजिश का शिकार हैं पौड़ी और अल्मोड़ा

योगेश धस्माना राज्य गठन के बाद पहले विधान सभा चुनावों से लेकर अब तक के इतिहास पर नजर डालें तो पौड़ी और अल्मोड़ा को एक सोची—समझी राजनीति के तहत हाशिए प... Read more

1971 के भारत- पाक युद्ध के भूले बिसरे तथ्य

1971 के भारत- पाक युद्ध के भूले बिसरे तथ्य

जयसिंह रावत विश्व के राजनीतिक मानचित्र पर एक नया स्वतंत्र और सम्प्रभुता सम्पन्न देश की 53 वीं जयन्ती 1971 के भारत पाक युद्ध की याद ताजा हो जाती है। उस... Read more

किताबें

'जनतंत्र की जड़ें' : लोकतंत्र के काबिल बनना होगा

‘जनतंत्र की जड़ें’ : लोकतंत्र के काबिल बनना होगा

 राजेन्द्र भट्ट   लोकतान्त्रिक मूल्य संकट में हैं। भारत में 1975 में लगे आपातकाल के बाद पिछले कुछ वर्षों में ऐसी स्थिति आई है कि देश के प्रबुद्ध लोग स... Read more

पुस्तक समीक्षा : “हिमांक और क्वथनांक के बीच“

पुस्तक समीक्षा : “हिमांक और क्वथनांक के बीच“

रमदा नवारुण से 2024 में प्रकाशित “हिमांक और क्वथनांक के बीच“ सतत-यात्री श्री शेखर पाठक का दूसरा यात्रा-वृतान्त है. 1973 में पिंडारी-गल की यात्रा के सा... Read more

साहित्य और संस्कृति

सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती पर उनके लेखों की पुस्तक 'पहाड़ की पीड़ा ' का लोकार्पण दून पुस्तकालय में 

सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती पर उनके लेखों की पुस्तक ‘पहाड़ की पीड़ा ‘ का लोकार्पण दून पुस्तकालय में 

चन्द्रशेखर तिवारी देहरादून, 09 जनवरी 2025. दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज अपराह्न  3:00 बजे प्रख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती प... Read more

नये साल का स्वागत

नये साल का स्वागत

अलफ्रेड, लॉर्ड टेनीसन की कविता अनुवाद – दीपक वोहरा स्मृति में बजो, बेलगाम घंटियों बजो, बेलगाम घटियों, अनंत आकाश तक उड़ते चादल, शीतल प्रकाश तक यह... Read more

पर्यावरण

तिब्बत में आये भूकंप को चेतावनी की तरह लिया जाना होगा

तिब्बत में आये भूकंप को चेतावनी की तरह लिया जाना होगा

जयसिंह रावत नये साल के पहले सप्ताह में तिब्बत के शिगात्से क्षेत्र में 7 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके झटके उत्तर भारत और हिमालयी राज्यों में महसूस हुए।... Read more

11 दिसम्बर अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस: उत्तराखंड परिदृश्य

11 दिसम्बर अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस: उत्तराखंड परिदृश्य

आर.बी.एस. रावत 11 दिसम्बर को अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस मानाया गया। उत्तराखंड का लगभग 86 प्रतिशत क्षेत्र पहाड़ी है। इसमें हिमालय के मध्य और पश्चिमी हिस... Read more

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