अलफ्रेड, लॉर्ड टेनीसन की कविता
अनुवाद – दीपक वोहरा
स्मृति में बजो, बेलगाम घंटियों
बजो, बेलगाम घटियों,
अनंत आकाश तक उड़ते चादल,
शीतल प्रकाश तक यह साल आज रात,
हो रहा है खत्म; बजो,
बेलगाम घटियों,
और हो जाने दो अंत
बीते को बीत जाने दो,
नव का करो – बजो,
हर्षित घंटियों,
हिम के पार भी बीत रहा है यह वर्ष,
जाने दो बीत स्वागत झूठ को जाने दो,
सच का करो स्वागत
दुःख को जाने दो जो मन को करता क्षीण
उनके लिए जिनको हम यहाँ नहीं देखते
अमीर और गरीब का झगड़ा हो खत्म
मानवता के न्याय का करो स्वागत
मर जाने दो धीरे-धीरे मरते हुए रीतिरिवाज
और दलीय फ़सादों के प्राचीन रूप
स्वागत हो जीवन के भव्य स्वरूपों का
मधुर शिष्टाचार, बेलौस उसूलों का
अंत हो अभाव, परेशानी, पाप का
उस जमाने की बेवफा रुखाई का;
बीत जाने दो मेरे शोकगीतों को
लेकिन स्वागत हो जीवंत कवि का
हो जाए समाप्त पद-रक्त के झूठे अभिमान
नगरीय निंदा और द्वेष
सत्य और सही का हो स्वागत
अच्छाई के प्रति सबके प्रेम का हो स्वागत
पुरानी घृणित बीमारियों का हो अंत
सोने के संकीर्ण लोभ का हो विनाश
हो जाए हजारों वर्षों के युद्धों का अंत
मिले हम सब को हजार वर्ष का सुख
निर्भय औ’ मुक्त व्यक्ति का हो स्वागत
जिसका वृहद हृदय, दयालु हो हस्त
मातृभूमि के अंधेरे का हो अंत
आने वाले ईसा का करो स्वागत