अलफ्रेड, लॉर्ड टेनीसन की कविता अनुवाद – दीपक वोहरा स्मृति में बजो, बेलगाम घंटियों बजो, बेलगाम घटियों, अनंत आकाश तक उड़ते चादल, शीतल प्रकाश तक यह साल आज रात, हो रहा है खत्म; बजो, बेलगाम... Read more
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