हेम पंत
“किताब कौथिग“ का दसवां संस्करण टिहरी में 50 हजार से अधिक किताबों के साथ 20 और 21 जुलाई को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस बहुउद्देशीय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश के विभिन्न कोनों से सैकड़ों साहित्यकार, प्रकाशक, सामाजिक कार्यकर्ता, कलाकार, मीडियाकर्मी और हस्तशिल्पकार टिहरी पहुंचे।
नवोदित लेखकों को वरिष्ठ रचनाकारों से सीधी बातचीत करने का मौका मिला। वैचारिक और साहित्यिक परिचर्चा, नेचर वॉक, 5 दिवसीय बाललेखन कार्यशाला, पुस्तक विमोचन, कैरियर काउंसलिंग, फिटनेस / बॉडी शो, काव्य गोष्ठी और सांस्कृतिक संध्या जैसे कार्यक्रम बहुत व्यवस्थित रूप से संचालित हुए और लोगों ने हर गतिविधि में उत्साहपूर्वक हिस्सेदारी की।
आयोजन स्थल नई टिहरी के नगरपालिका सभागार में पहले दिन किताब कौथिग का उदघाटन टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय, सामाजिक कार्यकर्ता विजय जरधारी, पद्मश्री बसंती बिष्ट, पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल और वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी के करकमलों से हुआ। कार्यक्रम के संयोजक हेम पन्त और दयाल पांडे ने बताया कि 9 सफल आयोजनों के बाद पहली बार गढ़वाल मंडल में हुआ जिसमें लगभग 60 प्रकाशकों की 50 हजार किताबें अवलोकन और बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। विज्ञान, विश्व साहित्य, धर्म – आध्यात्म, लोकप्रिय साहित्य सहित विभिन्न विधाओं की उपलब्ध किताबों में लोगों ने बहुत रुचि दिखाई। किताबों के अलावा विज्ञान कोना और उत्तराखंड के कलाकारों के हस्तशिल्प स्टॉल भी आकर्षण का केंद्र बने रहे। नागरिक मंच, व्यापार संघ, मैती मिलन परिवार की समस्त टीम और सभी स्कूलों के विद्यार्थियों ने आम जनता के साथ बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया। “खतरे में हिमालय“ विषय पर विधायक किशोर उपाध्याय, डॉ. एस. पी. सती और सुरेश नौटियाल ने अपने विचार रखे। द्वितीय सत्र में “टिहरी का अतीत और वर्तमान“ विजय पर ठाकुर भवानी प्रताप पंवार, महिपाल नेगी और चारू तिवारी ने अपनी बात रखी। इसके बाद “हिंदी साहित्य में उत्तराखण्ड के रचनाकारों का योगदान“ पर मनोहर चमोली ’मनु’, डॉ. अंकिता बोरा और डॉ. सुशील कोटनाला ने भाग लिया। मुख्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने “सूचना का अधिकार“ पर चर्चा की। पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल और पद्मश्री बसंती बिष्ट ने “उत्तराखण्ड के लोकसंगीत के मूलतत्त्व“ पर प्रस्तुति दी। डॉ. दीप्ति पांडे ने छात्राओं को किशोरावस्था से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां दी। संचालन आनंद मणि पैन्यूली, रेनू उप्रेती ने किया। सायंकालीन सत्र में प्रसिद्ध लोकगायक घुघुति जागर टीम, सुरगंगा और स्थानीय कलाकारों ने अपने गीतों से समां बांध दिया और दर्शकों को नाचने पर मजबूर कर दिया। सामूहिक झुमैलो / झोड़ा नृत्य के साथ पहले दिन का समापन हुआ।
दूसरे दिन की शुरुआत की शुरुआत सुबह 6 बजे बचन सिंह नेगी स्मृति वन में नेचर वॉक के साथ हुई। डॉ. बी. एस. कालाकोटी ने टिहरी जिले की जैव विविधता और यहां पाए जाने वाले औषधीय पेड़ पौधों पर सारगर्भित जानकारी दी। महान पर्वतारोही पद्मश्री लवराज धर्मशक्तू ने अपने रोमांचकारी अनुभव सुनाए और उच्च हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण के बारे में बताया। पद्मश्री बसंती बिष्ट, पद्मश्री डॉ. माधुरी बड़थ्वाल और घुघुति जागर टीम ने जंगलों में गाए जाने वाले गीतों से सुबह के पहले सत्र को संगीतमय बनाया।
नगरपालिका सभागार में दूसरे दिन 21 जुलाई को भी सुबह से रात में कार्यक्रम के समापन तक शहर के साहित्यप्रेमियों अच्छी संख्या में उपस्थित रहे। नेशनल बुक ट्रस्ट, समय साक्ष्य, काव्यांश प्रकाशन, विनसर, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, मुनस्यारी हाउस, शांति कुंज गायत्री परिवार, बुक्स ट्री, हाम्रो नेपाली पुस्तकालय, नेहरू युवक केंद्र, राज योग विद्या केंद्र, शिवालिक साइंस क्लब, धाद गढ़वाली पत्रिका, बिंब प्रतिबिंब प्रकाशन के स्टॉल्स पर किताबों और अन्य रुचिकर जानकारियों को लेकर भारी संख्या में लोग बने रहे। दिनेश लाल, मंजू शाह, जया वर्मा, कविता खड़ायत और यामिनी पांडे की हस्तशिल्प कला को भी खूब सराहना मिली। 15 से 19 जुलाई तक बाललेखन कार्यशाला में तैयार की गई साहित्यिक रचनाओं का स्टाल भी बहुत पसंद किया गया। नवीन चंद्र ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आर जे काव्य ने न्यू मीडिया और शांतनु शुक्ला ने रोजगार के लिए जरूरी स्किल्स पर बच्चों के साथ कैरियर काउंसलिंग सत्र किए। स्कूली बच्चों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कार के रूप में किताबें प्राप्त की। “मातृभाषा में शिक्षण“ विषय पर डॉ. कमला पंत, डॉ. शिव प्रसाद सेमवाल, नंद किशोर हटवाल और खजान सिंह ने चर्चा में हिस्सा लिया। “नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों में सामाजिक मुद्दे“ इस चर्चा में स्वयं नरेंद्र सिंह नेगी, डॉ. बीना बेंजवाल, मदन डुकलान और डॉ. दीपक बिजलवाण शामिल थे। “हमारी परंपरागत खेती“ पर विजय जरधारी और चारु तिवारी ने सार्थक चर्चा की। विजय जरधारी जी की किताब का विमोचन भी हुआ। पूर्व मिस्टर इंडिया महेश नेगी ने बॉडी शो का प्रदर्शन किया और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने की जरूरत बताई। मुकुल बडोनी द्वारा संचालित वॉल पेंटिंग वर्कशॉप में बच्चों ने शानदार सैलफी पाइंट तैयार किया। गढ़वाली वीडियो गीत “दानु सरील“ लॉन्च हुआ। आखिरी सत्र में नरेंद्र सिंह नेगी जी की अध्यक्षता और नीरज नैथानी जी के संचालन में 25 कवियों ने बहुभाषीय कवि सम्मेलन में अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।
यह कार्यक्रम टीम क्रिएटिव उत्तराखंड और भारत ज्ञान विज्ञान समिति द्वारा टी एच डी सी, नैनीताल बैंक, नागरिक मंच, दीर्घायु ऑर्गेनिक, होटल संगठन, ओहो रेडियो, समूण फाउंडेशन, चांदनी इंटरप्राइजजेस, सोच संस्था, समय साक्ष्य, हेवलवाणी रेडियो, पुनः गांव की ओर पोर्टल आदि के सहयोग से किया गया। पूरे देश में इस अनूठे रचनात्मक प्रयास को सराहना और जनता का भारी समर्थन मिल रहा है। आगामी 6 महीने में 3 और किताब कौथिग प्रस्तावित हैं।