रमदा
जिलाधिकारी , नैनीताल के 07 अक्टूबर 2024 के एक आदेश में कहा गया है कि –
“ उप जिलाधिकारी, रामनगर (मय पुलिस ) की आख्या 04. 10. 2024 एवं संस्तुति तथा रामनगर क्षेत्र के स्थानीय निवासियों की मांग पर जनहित और जन-सुरक्षा के दृष्टिगत इस कार्यालय के कार्यालय ज्ञाप xx xx xx के द्वारा रामनगर में कोसी बैराज से लखनपुर चौराहे के मध्य निर्धारित अवधि के लिए वाहनों ( छोटे / बड़े वाहन, चार पहिया / दो पहिया वाहन इत्यादि समस्त ) के संचालन में लगाया गया प्रतिबन्ध समाप्त किया जाता है ”
जानें कि जी-20 के उप-समूहों में से एक की बैठकं के लिए कस्बे की परिधि के इस छोटे से हिस्से में सफाई- सजावट और नागरिक सुविधाओं का जो “नाटक” हुआ था वह जाने-अनजाने नगर के लोगों को एक सौगात दे गया था. लखनपुर चौराहे से कोसी-बराज तक सड़क के तक़रीबन 250 मीटर के हिस्से पर सुबह 05 से 07और शाम 06 से 08 की अवधि के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी “श्री धीरज गर्ब्याल” द्वारा अपने 31 मार्च 2023 के आदेश से मोटर-यातायात को प्रतिबंधित कर दिया गया ताकि सुबह-शाम भ्रमण करने वाले बच्चे, बुजुर्ग एवं अन्य व्यक्ति वाहन-दुर्घटनाओं से मुक्त रह कर सुविधा से भ्रमण कर सकें. कार्यालय-ज्ञाप में यह उल्लेख भी है वैकल्पिक मार्गों की मौजूदगी के कारण वाहनों को इस प्रतिबन्ध के कारण कोई असुविधा नहीं होगी.
इस, भले ही बहुत छोटे से, हिस्से में यातायात का बंद हो जाना बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए बड़ी राहत का सबब बना. पिछले साल की गर्मियों में स्केटिंग / साइकिलिंग / बोर्ड-स्केटिंग करते किशोरों, बच्चों, सड़क पर बिंदास चलती महिलाओं और बुजुर्गों ने एक ऐसा दृश्य रचा जो आम तौर पर भारतीय कस्बों में नहीं दिखाई देता. आम लोगों को एक ऐसी टुकड़ा भर आजादी मिली जिसमें वह शांति से अपनी शाम बिता सकें. यही स्थिति, कमोबेश, इस साल भी रही.
कोई संदेह नहीं कि कुछ लोगों को इस प्रतिबन्ध से असुविधा भी हो रही होगी परिणामतः जल्दी ही सुनाई पड़ने लगा था कि सप्ताह में तीन दिन यह प्रतिबन्ध नहीं रहेगा किन्तु सद्बुद्धि की कृपा कि ऐसा हुआ नहीं. लोगों ने राहत की सांस ली किन्तु रविवार 25 जून 2023 को इस प्रतिबंधित इलाके में धड़ल्ले से वाहन चले. पता लगा कि रविवार के लिए प्रतिबन्ध हटा लिया गया है. लगने लगा कि धीरे-धीरे यह प्रतिबन्ध हट ही जायेगा क्योंकि जिनके लिए यह सुविधा है उनकी जबान नहीं होती और ‘वोट-जीवी नेता’ तथा दृष्टि- हीन प्रशासन बड़ी आसानी से निजी-स्वार्थों के कब्जे में आ ही जाता है.
ऐसा अंततः हो ही गया. एक जिलाधिकारी की कलम से 31 मार्च 2023 को आम आदमी को मिली एक निहायत छोटी सी सुविधा दूसरे जिलाधिकारी की कलम से 07 अक्टूबर 2024 को निबटा दी गयी.
मगर कुछ सवाल हैं. इस आदेश का हासिल क्या है ?
सोशल-मीडिया पर एक साहब ने इस आदेश को शेयर करते हुए लिखा है “वार्तालाप सफल हुई माननीय जिलाधिकारी महोदया का बहुत धन्यवाद जाम से मिलेगी मुक्ति”. किन्तु इस 250 मीटर के इलाके पर लगे प्रतिबन्ध को हटाए जाने से कहाँ के जाम से मुक्ति मिलेगी ? जाम तो रानीखेत- रोड पर है, जहां से रोडवेज के अलावा के.एम.ओ.,जी.एम.ओ.,आदर्श और हल्द्वानी की प्राइवेट बसें संचालित होती हैं, जहां चप्पे-चप्पे पर हाथठेलों का कब्जा है. यह किसी उप-जिलाधिकारी (मय पुलिस) को क्यों नज़र नहीं आता. रामनगर-कस्बे का आवासीय इलाका 04 वर्ग किमी. से ज्यादा नहीं है, रेलवे-स्टेशन, हर बस-अड्डा, बाज़ार- अस्पताल पैदल पहुँच में है – फिर रानीखेत रोड पर पचासों की तादाद में टेम्पो / टुक-टुक आवारा कुत्तों की तरह क्यों घूमते रहते हैं. अलग अलग गंतव्यों की दिशा में जाने वाले इन वाहनों के लिए अलग- अलग स्टैंड तय करने का काम क्या “जनहित और जनसुरक्षा” का काम नहीं है ? हल्द्वानी की ओर जाने वाली बसें अपने स्टैंड से सीधे वाया नए पुल से क्यों नहीं चल सकतीं ? भारी वाहनों के लिए वन-वे की व्यवस्था क्यों नहीं बनाई / विकसित जा सकती ? बाज़ारों में लोडिंग / अनलोडिंग समयबद्ध क्यों नहीं हो सकता ? सच्चाई यह है कि यह सब करने के लिए नीयत, मेहनत और लगन की ज़रुरत होती है, और हम अब यह सब करना नहीं चाहते.
बाज़ार, विशेषतः ज्वाला तथा कसेरा लाइन, के फुटपाथों पर दुकानदारों के कब्जे, पतली-पतली गलियों में दनदनाते दो पहिया वाहन पैदल चलने वालों के लिए जिस मुसीबत को जन्म देते हैं वह किसी प्रशासनिक अधिकारी को क्यों नहीं दिखाई देती ? सवाल तो यह भी कि अपने दफ्तरों की सुख-सुविधा से बाहर के रामनगर कस्बे के बारे में जिलाधिकारी को आख्या और संस्तुति का पत्र भेजने वाले साहबान जानते क्या हैं ?
रामनगर क्षेत्र के वे स्थानीय-निवासी कौन हैं जिन्होंने मांग की है कि उस 250 मीटर के वाहन-मुक्त हिस्से से उन्हें दिक्कत है और इसे वाहन-युक्त करने से जनहित और जन-सुरक्षा बढेगी.
रुचिकर यह जानना भी है कि 04अक्टूबर को आख्या और संस्तुति होती है और 07 अक्टूबर को चुस्त जिला-प्रशासन आदेश भी निर्गत कर देता है, करे भी क्यों नहीं आखिर जनहित और जनसुरक्षा का मामला है.
यह बात अलग है कि जनहित और जनसुरक्षा तमाम तरह की “फ्री फ़ॉर ऑल जैसी अखिल-भारतीय अराजकताओं” पर प्रतिबन्ध लगाने का मामला है प्रतिबन्ध हटाने का नहीं.