इंद्रेश मैखुरी
उद्योगपति रतन टाटा उत्तराखंड के एक मुख्यमंत्री से मिलने आये.
मुख्यमंत्री ने सबसे पहले स्व लेख लुगदी का ढेर टाटा को थमाया,जिसका मोल टाटा के लिए रद्दी से अधिक न था.फिर उन्होंने टाटा को एक नायब ऑफर दिया.लचकदार भाव भंगिमा के साथ टाटा को उन्होंने कहा-आप देहरादून में घर बना के रहिये.गोया, टाटा के पास गाड़ी- बंगला- दौलत- शौहरत सब है, बस बेचारे को एक अदद घर की ही तो कमी थी.प्रदेश को मुखिया को टाटा से निवेश भी न चाहिए था,बस इच्छा थी कि टाटा का एक बंगला बने न्यारा ! हो सके तो बगल में बने हमारा भी. सुनते हैं, तब टाटा के आदमी ने मीटिंग से बाहर आ कर पूछा था-ये हजरत पढ़े-लिखे नहीं हैं क्या?यह प्रश्न आज भी जस का तस खड़ा है !
अब एक और मुख्यमंत्री हैं, उनके लोग सीना ठोक के बता रहे हैं-गुप्ता बंधु तो अपने बेटों की शादी इटली में करवा रहे थे,मुख्यमंत्री जी उन्हें मना कर यहां ले आये ! उनके आने से क्या होगा?वे पहले कचरा करेंगे,फिर कचरा उठाने का पैसा देंगे ! इस कचरे के छींटों से राज्य का भाग्य बहुरेगा ! सामान्य लोग कचरा करते हैं तो गरीब उस कचरे को बीन कर अपना पेट भरते हैं. मल्टीनेशनल अमीर जिन्होंने एक देश की सरकार पचा दी, उनके कचरे को बीन कर राज्य की सरकार,राज्य का पेट और अपने चहेतों की जेब भरेगी ?
हाई कोर्ट ने सवाल उठाया तो कतिपय अखबारों ने लिखा-वेडिंग डेस्टिनेशन बनाने के सरकार के प्रयासों को झटका. शादी करवाने का ही धंधा सरकार का प्रमुख धंधा है तो फिर टेंट हाउस और वेडिंग पॉइंट वालों को ही सरकार सौंप दो.इस काम को तो वो ही कुशलता से कर पाएंगे.
बहरहाल टाटा को देहरादून में मकान बनाने के ऑफर से लेकर गुप्ता बंधुओं के लड़कों की शादी अपने यहां करवाने के ऑफर तक,यही सत्ता शीर्ष पर बैठे हुए लोगों का विज़न है. राज्य न बनता तो जो आज भारी-भरकम राजनेता कहे जा रहे हैं, वे ज्यादा से ज्यादा कुछ हो पाते तो भारी भरकम ठेकेदार हो पाते.बिल्ली के भागों छींका तो फूटा, पर निगाह उनकी ठेकेदार वाली ही रह गयी ! इसलिए मोटी आसामी देखते ही उनके भीतर का ठेकेदार जाग उठता है और मोटी आसामी के मकान बनाने से लेकर लड़कों की शादी में कैटरिंग और टेंट हाउस का ठेका पाने को तक लिए यह ठेकेदार मन लालायित हो उठता है !
वामपंथी पार्टी भाकपा (माले) से जुड़े इन्द्रेश मैखुरी प्रखर पत्रकारिता भी करते हैं. सोशल मीडिया में वे काफी सक्रिय हैं.