चारू तिवारी आजकल पहाड़ में एक गीत ‘फ्वां बाग रे’ बहुत हिट हो रहा है। हमारे पत्रकार साथी महिपाल नेगी ने इस गीत से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी। यह गीत लिखा था विशालमणि ने और गाया और संगीतब... Read more
अशोक पाण्डे जब उनसे पहली बार मिला वे नैनीताल के लिखने-पढ़ने वालों के बीच एक सुपरस्टार का दर्जा हासिल चुके थे. उनकी कविताओं की पहली किताब ने आना बाकी था अलबत्ता मेरे परिचितों का एक बड़ा हिस्सा... Read more
विनीता यशस्वी ‘खतड़ुवा’ कुमाऊं का एक पारम्परिक त्यौहार जिसे आश्विन मास की प्रथम तिथि या १५ सितम्न्बर के आस पास मनाया जाता है। यह भी माना जाता है कि ‘खतडुवा’ से सर्दियों की शुरूआत हो जाती है।... Read more
डाॅ. अरुण कुकसाल ‘आ, यहां आ। अपनी ईजा से आखिरी बार मिल ले। मुझसे बचन ले गई, देबी जब तक पढ़ना चाहेगा, पढ़ाते रहना।’ उन्होने किनारे से कफन हटाकर मेरा हाथ भीतर डाला और बोले ‘अपनी ईजा को अच्छी तरह... Read more
डॉ. अरुण कुकसाल ‘गो-बैक मेलकम हैली’ ‘भारत माता की जय’ हाथ में तिरंगा उठा, नारे भी गूंज उठे, भाग चला, लाट निज साथियों की रेल में, जनता-पुलिस मध्य, शेर यहां घेर लिया, वीर जयानन्द, चला पौड़ी वाल... Read more
विनीता यशस्वी पूरे उत्तराखंड में भाद्रपद शुक्ल पक्ष में नन्दा देवी मेले का आयोजन बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ किया जाता है। नन्दा देवी हिमालय की एक चोटी होने के अलावा उत्तराखंड के लोगों की... Read more
देवेश जोशी उत्तराखंड में जनसामान्य गुलदार (लेपर्ड) को बाघ के नाम से ही जानता है। बोलचाल, गीत, कथा व अखबारों में भी इसी नाम का प्रचलन है। सामान्यतया बाघ इंसानों पर हमला नहीं करते पर विभिन्न... Read more
डॉ. उमाशंकर थपलियाल ‘समदर्शी’ खुशनुमा व्यक्तित्व, जीवन की जकड़ता से दूर, ‘जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबह और शाम’ की तर्ज पर हर समय गतिशील एवं ऊर्जावान, जीवन के 75वें पायदान पर दुनिया स... Read more
डॉ. अरुण कुकसाल ‘किसी समय कहीं एक चिड़िया रहती थी। वह अज्ञानी थी। वह गाती बहुत अच्छा थी, लेकिन शास्त्रों का पाठ नहीं कर पाती थी। वह फुदकती बहुत सुन्दर थी, लेकिन उसे तमीज नहीं थी। राजा ने सोचा... Read more