स्वस्ती श्री सर्वोपमायोग्य नैनीताल समाचार के प्रिय पाठकगण, आप सपरिवार स्वस्थ होंगे और रहें यह मेरी पहली कामना है। आज जब मैं आपको हरेले की चिठ्ठी में ‘यत्र कुशलम तत्रास्तु’ का शुभ-संदेश लिख र... Read more
अमरीक सुमित्रानंदन पंत छायावाद के चार प्रमुख हस्ताक्षरों में से सिरमौर थे। सौंदर्य के अप्रीतम कवि। प्रकृति उनके विशाल शब्द-संसार की आत्मा है। पंत जी का जन्म 20 मई, 1900 में अल्मोड़ा के कौसान... Read more
प्रमोद साह 13 जनवरी 1921 मकर संक्रांति के दिन बागेश्वर के सरयूबगड़ में दस हजार से अधिक आजादी के दीवानों ने गुलामी और कलंक के प्रतीक कुली बेगार के रजिस्टर को सरयू नदी में प्रवाहित कर दिया और फ... Read more
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला उत्तराखंड हिमालयी वायग्रा के नाम से जानी जाने वाली कीड़ा जड़ी पर जलवायु परिवर्तन के चलते खतरा मंडरा रहा है। पीटीआई के मुताबिक वैज्ञानिकों का कहना है कि बढ़ता तापमान न... Read more
मौर्या गढ़वाली, कुमाउनी और जौनसारी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया ने एक एकेडमी गठित कर दी है। मशहूर अवार्ड-विनिंग सिंगर और आर्टिस्ट हीरा स... Read more
चन्द्रशेखर तिवारी सन 1915 से लेकर 1946 तक गांधी जी का पांच बार उत्तराखण्ड में आगमन हुआ और वे काफी समय तक यहां रहे भी। ‘सच्चा हिमालय तो हमारे हृदय में है, इस हृदय रुपी गुफा में छिपकर उस... Read more
विनीता यशस्वी ‘खतड़ुवा’ कुमाऊं का एक पारम्परिक त्यौहार जिसे आश्विन मास की प्रथम तिथि या १५ सितम्न्बर के आस पास मनाया जाता है। यह भी माना जाता है कि ‘खतडुवा’ से सर्दियों की शुरूआत हो जाती है।... Read more
देवेश जोशी उत्तराखंड में जनसामान्य गुलदार (लेपर्ड) को बाघ के नाम से ही जानता है। बोलचाल, गीत, कथा व अखबारों में भी इसी नाम का प्रचलन है। सामान्यतया बाघ इंसानों पर हमला नहीं करते पर विभिन्न... Read more
(‘जर्नल ऑफ़ एशियन स्टडीज’ मे प्रकाशित संजय जोशी के रिसर्च पेपर ‘जूलियट गौट इट रौंग –कन्वर्जन एंड द पॉलिटिक्स ऑफ़ नेमिंग इन कुमाऊं 1850-1930’ के आधार पर.) उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम और बीसवीं... Read more
ज्योग्राफिकल सर्वे आफ इंडिया के वैज्ञानिक सुंदरडुंगा ग्लेशियर की तरफ कैंप लगाकर सोने धातु की खोज कर रहे हैं, यदि यहां कुछ ऐसा मिल जाता है तो इस इलाके की प्राकृतिक सुंदरता हो जायेगी इतिहास क... Read more