संकलन : चित्ररेखा उप्रेती ऐसी चतुर ब्रज नारि रंग में हो रही बावरी ऐसी नवल ब्रज नारि रंग में हो रही बावरी कित मन उड़त गुलाल कित मन केसरी होली एक मन उड़त गुलाल सवा मन केसर होली काहे पे छिड़कत श्य... Read more
चन्द्रशेखर तिवारी उत्तराखंड अपनी निराली संस्कृति के लिए जाना जाता है. यहां के लोक जीवन के कई रंग और कई उत्सव हैं. ऐसा ही एक पारंपरिक उत्सव है घी संक्रांति. उत्तराखण्ड में घी संक्रान्ति पर्व... Read more
स्वस्ती श्री नैनीताल समाचार का सम्पादकज्यू उनरा टीम का सहयोगी, सबै भाई-बन्धु, दीदी-भुली, साथी-दगड़ी और सम्मानित प्रवर पाठकों को यथायोग्य हाथ जोड़ी नमस्कार और आशीष। अत्र कुशलं च तत्रास्तु। मुख्... Read more
महेंद्र मिश्र उत्तराखंड में मुक्तेश्वर से तकरीबन 15 किमी पहले स्थित एक गांव कोकिलबना के एक घर पर गांव वालों को अचानक अडानी के नाम का एक बोर्ड दिखता है। भला पहाड़ के इस इंटीरियर गांव से अडानी... Read more
बृजमोहन जोशी होली, ऋत परिवर्तन को अभिव्यक्त करने का उत्सव है। कुमाऊँ अंचल में पौष मास को, विशेष रूप से इसके प्रथम रविवार को बहुत ही पवि़त्र माना जाता हैं। लोक देवताओं की पूजा ‘बैसी’ के लिये... Read more
ज़हूर आलम फोटो : विनीता यशस्वी युगमंच होली महोत्सव : एव सार्थक पहल तमाम मंचो से पहाड़ के गीत-संगीत और लोक संस्कृति को बचाने के लिए बड़े-बड़े भाषण दिये जाते हैं। पर हमारी कलाओं को बचाने और कलाकार... Read more
रेवती बिष्ट ‘‘ऋतुरैणा, चैतोमैना, ऋतुरैणा, चैतों मैना, एग्यो ईजू चेतो मैना……’’ इस गीत के बोल अब पहाड़ में बहुत कम सुनाई देते हैं और इन्हें गाने वाले भी पहाड़ के जंगलों की तरह लुप्... Read more
विश्वम्भरनाथ साह ‘सखा’ कुमाऊँ में होली के दो प्रचलित स्वरूप है। एक ग्रामीण अंचल की होली, जिसे खड़ी होली कहते हैं। दूसरी, नागर होली, जिसे शहरी क्षेत्रों में बैठ होली कहते हैं। इसे 200-300 वर्ष... Read more
चारु तिवारी फेसबुक कभी-कभी हमारे जीवन का प्रतिबिंब बन जाता है। इसमें दिखाई देने लगता अपना सुखद अतीत। एक माध्यम ही तो है फेसबुक। संवेदनाएं अपनी हैं। यादें भी अपनी। पहले कभी कोई वर्षो बाद मिलत... Read more
बृजमोहन जोशी कुमाऊँ के लोकप्रिय त्यौहारों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्यौहार है हर्याव (हरियाला)। इस दिन से सूर्य दक्षिण की ओर अर्थात् कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर बढ़ने लगता है। इस कारण इसे कर्क... Read more