गिरिजा पांडे महामारियों का मिजाज और फैलाव का तरीका हमेशा से अकल्पनीय रहा है। सामाजिक और जीव-उद्विकास की अब तक की कहानी भी यही बताती है कि एक बार अस्तित्व में आ जाने के बाद विषाणु का समाप्त ह... Read more
राजीव लोचन साह ‘आपदा में अवसर’ मुहावरे गढ़ने में निष्णात हमारे प्रधानमंत्री का प्रिय जुमला है। वैसे समझदार लोग ऐसा हमेशा से करते आये हैं। यह हमारे देश की फितरत है। आज से सत्तर साल पहले तक व्य... Read more
बाॅबी रमाकांत व संदीप पाण्डेय विकास ही सबसे अच्छा गर्भ-निरोधक है . जिस समाज में सभी इंसानों के लिए विकास के सभी संकेतक बेहतर हैं वहां पर जनसंख्या स्वतः ही नियंत्रित एवं स्थिर हो गयी है। जनसं... Read more
नवीन पाँगती यूँ तो सहयोग में अद्भुत ताकत है, पर भारत के अन्य राज्यों के विपरीत उत्तराखंड में गैर सरकारी संगठनों के बीच सहयोग के मामले थोड़ा कम ही सुनने में आते हैं। ऐसे में कोविड सपोर्ट ग्रु... Read more
राजीव लोचन साह आखिर कोविड की यह बीमारी है क्या ? डेढ़ साल से इसने पूरी दुनिया को हलकान कर रखा है और अभी भी यह रहस्यों के घेरे में ही है। विज्ञान को इतना असहाय होते हमने कभी नहीं देखा था। विज्... Read more
भारत डोगरा कोविड-19 के संकट ने एक बात तो उजागर कर ही दी है कि हमारी सरकारें महामारी तक में जरूरी आंकड़े संभाल नहीं पातीं। सरकारी और श्मशान-कब्रिस्तान से जुटाए गए मौत के आंकडों में जमीन-आसमान... Read more
हिमांशु जोशी कोरोना महामारी की पहली वेव में भारतीय हवा में लाठियां भांज रहे थे और दूसरी वेव में ‘अश्वथामा’ की मिथकीय कहानी की तरह खुद को अजर-अमर मानकर निश्चिंत पड़े रहे। संक्रमित... Read more
जगमोहन रौतेला पंकज सिंह महर था तो सरकारी नौकरी (विधानसभा में प्रतिवेदक/रिपोर्टर ) में, पर राज्य बनने के दो दशक बाद भी विकास व व्यवस्था के स्तर पर जो चिंताजनक हालात हैं, उसके खिलाफ वह... Read more
डॉ आर अचल कोरोना काविड के शुरुआती दौर में ही यह स्पष्ट हो गया था कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान मे इस महामारी की कोई चिकित्सा नहीं है।इसलिए दैहिक दूरी, मास्क, सेनेटाईजर, पीपीई किट, लाकडाउन जैसे... Read more
चारु तिवारी तुम समझते होगे कि दुनिया तुम्हारे बिना भी ऐसे ही चलती रहेगी। कुछ नहीं बदलने वाला है। लेकिन तुम सच नहीं कह रहे थे, सच को नहीं समझ रहे थे। हां, दुनिया फिर भी चलेगी तुम्हारे बिना भी... Read more