चारू तिवारी
हमारे एक नवनिर्वाचित सांसद हैं अजय भट्ट जी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। बहुत ‘संवेदनशील’। मंच पर बहुत अच्छी कुमाउनी बोलते हैं। बिल्कुल ‘लाटा’ आदमी। सीधे-सरल। बिल्कुल ‘चालाकी’ नहीं। व्यवहार कुशल। कभी मौका लगे तो ‘जागर’ भी लगा दें। अभी जब औली में ‘संस्कारवान’ और लक्ष्मी पुत्र गुप्ता जी के लड़कों की शादी का ऐतिहासिक समारोह होना था तो भट्ट जी बहुत ‘डर’ गये। उनका ‘डरना’ स्वाभाविक था। बेचारे बिल्कुल पहाड़ी ‘लाटा’ आदमी हुये भट्ट जी। गांव के आदमी। उन्हें लगने वाला हुआ कि किसी के ‘लग्न में बिघ्न’ नहीं होना चाहिये। उन्हें मीडिया ने ‘डरा’ दिया था बल। भट्ट जी बेचारे तो इतने ‘लाटा’ और ‘सीधे आदमी’ हुये कि उन्हें तो शायद यह भी पता नहीं होगा कि यह गुप्ता बेचारा कौन है? उन्हें तो यही चिंता सता रही होगी कि किसी ‘गरीब बेचारे’ के साथ अन्याय नहीं होना चाहिये। उन्हें मीडिया से पता लगा बल कि गुप्ता लोग पर्यावरण को नुकसान भी कर सकते हैं। उन्हें इस बात का ‘डर’ भी सताने लगा कि कहीं मुख्यमंत्री मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लेकर अपना कार्यक्रम रद्द न कर दें। वे बहुत ‘डर’ गये थे बल। बड़े जुगाड़ से शादी कर रहे परिवार के साथ क्या गुजरेगी। बेचारे भट्ट जी को तो बाद में सांस में सांस आई जब वहां स्वामी रामदेव, बालकृष्ण और स्वामी चिदानन्द भी आ गये बल। फिर उन्हें लगा कि जब रामदेव जैसा व्यक्ति आ रहा है तो फिर इन ‘निकम्मे’ पहाड़ियों की क्या बिसात जो पर्यावरण के नाम पर औली मे शादी का विरोध कर सकें। अजय भट्ट जी और उनके साथी मानने वाले हुये कि इस देश को नरेन्द्र मोदी बचा सकता है और संस्कृति को रामदेव। भले ही देश की जनता ईलाज के बिना मरे और हमारी संस्कृति हिमालय को नष्ट कर। वो तो अच्छा हुआ हमें एक ‘समझदार’ मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत जी मिले ठहरे। वह कभी विकास से समझौता नहीं करने वाले हुये। जिन्होंने उद्योगपतियों के हित में भू-कानून में संशोधन कर दिया ठहरा। पंूजीपतियों का पहाड़ बुलाने के लिये। नहीं तो ये ‘बुज’ पहाड़ियों’ ने देखी थी कभी 200 करोड़ की शादी। अपना तो ‘निकम्मे-आलसी’ पहाड़ी कुछ काम-धाम करेंगे नहीं, कोई काम कर भी रहा है तो उसे भी नहीं करने देंगे। मुख्यमंत्री ने गुप्ता बंधुओं का अच्छा ‘इंतजाम’ कर दिया। खुद भी उत्साह के साथ गये शादी में। सुशील, संस्कारित बच्चों को अपना आशीर्वाद भी दिया। अपने चेले-चपाटे पहले से ही वहां तैनात कर दिये थे। ‘बेचारा’ स्थानीय विधायक कई दिन से लगा था गुप्ता बंधुओं की खिदमत में। सोशल मीडिया में इस ‘लाटे’ विधायक ने जिस तरह से अपने क्षेत्र में गुप्ता लोगों के आने के उत्साह में पोस्टें डाली उससे लगता है कि विधायक का सोशल मीडिया चलाने वाला व्यक्ति इनकी बैंड बजा के ही मानेगा। खैर।
चलो जो भी हुआ। न्यायालय ने भी बिघ्न नहीं डाला। तीन करोड़ की मामूली सी रकम देकर गुप्ता के बेटों की शादी का रास्ता खोल दिया। ‘जमीन से जुड़े’ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी औली पहुंच गये। इन ‘निकम्मे’ पहाड़ियों को तब पता चला कि ये गुप्ता कितना बड़ा आदमी है करके। अब करो पहाड़ियो विरोध। पिछली बार तक तो हरीश रावत आपको ‘काफल पार्टी’, ‘नींबू पार्टी’, ‘आम पार्टी’ ही दे रहे थे, इस बार तुम्हें 200 करोड़ की शादी में ले गये हैं। अब जिन्हें तुमने बहुमत से जिताया है वह भी औली में, जिसे छह बार हराया वह भी औली में। तुम पहाड़ी रहोगे ‘बुज के बुज’ ही। हमारे सबसे ‘गहरे जमीन से जुड़े’ हरीश रावत जी तो भट्ट जी भी ‘लाटा’ ठहरे। बहुत ही मधुर बोलने वाले। मौ (शहद) टपकने वाला हुआ जुबान से। हमें लगने वाला हुआ कोई बड़ा बर्तन जो नहीं ले आये। हमने उन्हें कभी जोर से बोलते नहीं सुना। वे तो हर हाल में पहाड़ का भला ही चाहने वाले हुये। इस शादी में वे बेचारे भी गुप्ता के साथ पारिवारिक दोस्ती के कारण चले गये। वे 200 करोड़ की शादी में थोड़ा ही गये थे। उन्हें तो पहाड़ की चिंता थी। बेचारे ‘उत्तराखंड हितैषी’ गुप्ता ने निमंत्रण दिया तो चले गये। वे वहां कोई ज्यादा देर रुके थोड़ा ही ‘शगुन’ देकर आ गये ठहरे बल। उवर्शी रौतेला से थोड़ी बातचीत की। हरीश रावत जी बेचारे कहां महनोरी गांव के और कहां का गुप्ता परिवार। हरदा बेचारों को तो इस तरह के तामझाम की आदत भी नहीं ठहरी। फिर भी दोस्ती तो हुई ही गुप्ता परिवार के साथ। अब गुप्ता किसी ‘भुस’ पहाड़ियों को तो बुलायेगा नहीं। जो हरीश रावत जी ढोल, दमाऊ, शकुन आंखर, जागर, हरैला, पंडिताई, को प्रमोट करने वाले हुये उनके लिये भी इस तरह का अनुभव अच्छा ही ठहरा। उनके समय में गुप्ता आया होता तो वे तो सारे उत्तराखंड के गांवों से इस तरह के लोक विधाओं का औली में जमघट लगा देते। अब कोई कह रहा था कि हरदा तो इतने उदार हुये कि ‘डेनिश’ वाले को भी औली में ले आते। फिलहाल वे ‘शकुन’ देने ही गये थे।
इन ‘विकास विरोधियों’ ने, ‘पर्यावरण के ठेकेदारों’ ने, ‘हिमालय के रखवालों’ ने जिस तरह से इस शादी का मजाक बनाया उसका जबाव भी दे दिया ‘भुंड’ पहाडियों को। गुप्ता ने क्या कमी छोड़ी थी तुम्हारे लिये। अपना जैसा माना ठहरा। गांवों को निमंत्रण दिया ठहरा। साड़ी और उसमें कुछ पैसे भी थे बल। आदमियों के लिये कुर्ता-पजामा था बल। कुछ जो टैम पर नहीं पहुंचे तो उन्हें कुछ नहीं मिला। बाद में उन्होंने हंगामा किया वहां। आरोप लगाया कि पानी भी नहीं मिला हमें तो! अब यार भगवान ही जाने क्या हुआ, क्या नहीं हुआ, लेकिन इन पहाड़ियों को ‘अकल’ तो हुई नहीं। अरे! अगर कुछ कमी-बैसी हो भी गई तो इस तरह किसी को बदनाम क्यों करना हुआ। गुप्ता बेचारा तो तुम्हारा भला ही चाहने वाला हुआ। उतनी दूर से तुम्हारे लिये आया ठहरा। देखो तुम्हारी ही उवर्शी रौतेला आई थी शादी में। देश को जिस व्यक्ति ने संस्कार दिये इतना बड़ा तपस्वी रामदेव आये ठहरे शादी में। पूरे पहाड़ के गो-मूत्र से लेकर तुम्हारी जड़ी-बूटियों को विश्व बाजार में ले गये ठहरे बाबा रामदेव। कितना बड़ा नाम हुआ उनका। वो तुम जरा ‘अकल’ वाले नहीं ठहरेे, नहीं तो आज पूरे पहाड़ की जड़ी-बूटी रामदेव की होती। जब वे आये तो फिर गुप्ता के लड़कों की शादी पर सवाल क्यों उठा रहे हो। इतने बड़े आयुर्वेद के जानकार बालकृष्ण ने शिरकत की शादी में। कैटरीना कैफ जैसी सुन्दर हीरोइन आई ठहरी बारात में। अभिजीत भी हुआ बल। वो जो एक बड़ा गायक है कैलाश खेर वो भी आया ठहरा। सिद्धार्थ मल्होत्रा और न जाने कितने लोग आये थे बाराती बनकर। अब तुम पहाड़ियों को इतना भी पता नहीं कि तुम्हारा मुख्यमंत्री कितना लगा है तुम्हारे पीछे। अभी पूरे राज्य में उद्योगपतियों को बुलाया है उन्होंने। यह तो एक छोटा सी झांकी है। हो सकता है गुप्ता ही यहां पर्यटन का कोई नया माॅडल खड़ा कर दे। वैसे एक लाख 24 हजार करोड़ का निवेश होने वाला है बल राज्य में। मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उद्योगपतियों की इच्छा को ध्यान में रखकर ही तो भूमि कानून में संशोधन किया गया है। अब कोई भी उद्योगपति कहीं भी, कितनी भी जमीन खरीद कर तुम पहाड़ियों का भला कर सकता है। तुम लगे हो इस शादी को विरोध करने में। कुछ तो अकल से काम लो। तुमने जो वोट दिया है वह देश बचाने के लिये दिया है। तुम स्कूल, अस्पताल, सड़क, रोजगार की मांग कर रहे ठहरे। तुम अपनी जमीन, हिमालय को बचाने की बात कर रहे ठहरे। तुम कह रहे ठहरे कि नदी, जंगल, जमीन पर हमारा अधिकार होना चाहिये। रोजगार तो तभी मिलेगा जब गुप्ता के लड़कों की शादी होगी। पलायन भी तभी रुकेगा जब उद्योगपति यहां आकर तुम्हारी जमीन पर रिजार्ट बनायेंगे। पर्यटक भी तभी आयेंगे जब तुम्हारे गांवों को सेंसिटिव जोन घोषित कर उसमें बाघ पाले जायेंगे। देश को पहली बार राष्ट्र को बचाने वाली सरकार मिली है और तुम्हें अपने गांव—देहात को बचाने की पड़ी है।