चन्द्रशेखर तिवारी
17 जनवरी। दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से आज सामाजिक शोधार्थी और प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी की पुस्तक ’उत्तराखंड का भूगोल’ का लोकार्पण आज केन्द्र के सभागार में किया गया। लोकार्पण के पश्चात चर्चा का कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्र के संस्थापक सलाहकार प्रो. बी.के. जोशी ने की। कार्यक्रम में अतिथि वक्ता के तौर पर प्रो.एस.सी.खर्कवाल पूर्व विभागाध्यक्ष भूगोल,एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय परिसर, पौड़ी, प्रो.वी.सी. तिवारी पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक,वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान,देहरादून तथा प्रो. के.सी. पुरोहित पूर्व निदेशक, एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय, परिसर, पौड़ी उपस्थित थे।
लोकार्पण के बाद लेखक चन्द्रशेखर तिवारी ने पुस्तक का परिचय देते हुए कहा कि स्थान विशेष की परियोजनाओं के निर्धारण, नियोजन व संरचनात्मक विकास के लिए भौगोलिक सूचनाओं, आधारभूत आंकडों, तथा मानचित्रों की जरुरत होती है। जिनके अध्ययन और विश्लेषण के आधार पर परियोजनाओं के क्रियान्वयन में मदद मिलती है। इसी बात को ध्यान में रखकर उत्तराखण्ड का भूगोल पुस्तक का लेखन किया गया।
प्रो. बी.के. जोशी ने लेखक चन्द्रशेखर तिवारी को इस कार्य के लिए साधुवाद देते हुए कहा कि सामाजिक अध्येताओं के लिए उत्तराखण्ड के भौगोलिक सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए यह पुस्तक सहायक साबित होगी। लेखक ने पुस्तक को तथ्यपरक आंकड़ों, मानचित्रों व रेखांकनों का समावेश कर बोधगम्य बना दिया है। पुस्तक के अंत में दी गई स्थानीय बोली में प्रयुक्त कतिपय भौगोलिक परिवेश की सूची से पुस्तक की उपादेयता और बढ़ गयी है।
प्रो.एस.सी.खर्कवाल ने कहा कि उत्तराखण्ड का भूगोल पुस्तक उत्तराखण्ड राज्य की विषद भौतिक बनावट पर प्रकाश डालती है। नव गठित राज्य के भूगोल संबंधी विषय पर लिखी यह पुस्तक विद्यार्थियों, सामाजिक अध्येताओं एवं योजनाकारों सभी के लिए मार्गदर्शक का कार्य करेगी। स्थानीय भू-आकारिकी पर आधारित स्थलों के नामोल्लेख होने से पुस्तक महत्वपूर्ण बन गयी है।
प्रो. के सी पुरोहित ने कहा लेखक ने बहुत परिश्रम,लगन एवं निष्ठाभाव से इस कार्य संपन्न किया है। यह पुस्तक न केवल प्रदेश की भौगोलिक जानकारी प्रदान करती है,अपितु क्षेत्रीय साहित्य में भी योगदान करती है। वांछित आंकड़ों, मानचित्रों एवं रेखाचित्रों के के साथ सरल तथा प्रभावपूर्ण भाषा-शैली में लिखीयह पुस्तक एक संदर्भ ग्रंथ व पाठ्य-पुस्तक सिद्ध होगी। अगले संस्करण में कुछ और अध्यायों को समावेशित किया जा सकता है।
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान,देहरादून के पूर्व वैज्ञानिक, प्रो.वी.सी. तिवारी ने कहा कि लेखक श्री चन्द्रशेखर तिवारी की पुस्तक न केवल भूगोल में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए है अपितु यह पुस्तक भूवैज्ञानिकों एवं जनसाधारण लिए भी उतनी ही महत्व की है। इसमें उत्तराखण्ड की भू-आकृतिकी, भौगोलिक संरचना, जलवायु, जलप्रवाह, मिट्टी एवं प्राकृतिक खनिजों पर भी पर्याप्त जानकारी है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ.योगेश धस्माना ने इस पुस्तक को भूगोल में रुचि रखने वाले लोगों ओर सामान्य ज्ञान की दृष्टि से भी एक सहायक ग्रन्थ के रूप में अच्छी पुस्तक बताया। उन्होनें कहा कि तिवारी द्वारा इस पुस्तक में स्थानीय भौगोलिक शब्दों की नवीनतम जानकारी देने के साथ ही पहाड़ के विलुप्त हो रहे परंपरागत उद्योग को भी बखूबी से रेखांकित करने का प्रयास किया गया है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में निकोलस हॉॅफलैण्ड ने सभागार में उपस्थित लोगों स्वागत और अंत में धन्यवाद दिया। इस अवसर पर केन्द्र के निदेशक और पूर्व मुख्य सचिव श्री एन. रवि शंकर, श्री इंदु कुमार पांडे,पूर्व मुख्य सचिव श्री एन. एस. नपलच्याल, कमला पंत,,शांता एन रवि शंकर, बिजू नेगी, डॉ. सविता मोहन, मुकेश नौटियाल, हरि चंद निमेष, विनोद सकलानी, भारती पाण्डे,सुंदर सिंह बिष्ट, जगदीश सिंह महर,राधा धस्माना, दक्ष तिवारी,मेघा विल्सन,विजय भट्ट, अनिल भारती,शैलेन्द्र नौटियाल, हर्षमणि भट्ट सहित अनेक साहित्यकार ,लेखक, सामाजिक अध्येता,छात्र, युवा पाठक आदि उपस्थित रहे।