रवीन्द्र देवलियाल
नैनीताल। विभिन्न विभागों की भर्ती प्रक्रिया में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) के असफल रहने के बाद अब उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यूकेपीएससी) की कार्यक्षमता पर भी सवाल उठने लगे हैं। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने स्वयं यूकेपीएससी की कार्यशैली पर सवाल उठाये हैं और आयोग के अध्यक्ष को निर्देश दिये हैं कि आयोग की विशेषज्ञ समिति में विषय विशेषज्ञ, सक्षम व बुद्धिमान लोगों को शामिल किया जाये।
उच्च न्यायालय की यह बेहद अहम टिप्पणी उस समय आयी है जब यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले को लेकर प्रदेश में कोहराम मचा हुआ है। 40 से अधिक लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। खुद आयोग के सचिव व परीक्षा नियंत्रक पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। इससे साफ अदांजा लगाया जा सकता है कि देवभूमि उत्तराखंड में परीक्षाओं का क्या हाल है।
दरअसल यूकेपीएसएसी की ओर से हाल ही में राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा प्रारंभिक परीक्षा, 2021 सम्पन्न करायी गयी। आयोग के सामान्य अध्ययन की परीक्षा में 106 नंबर के एक प्रश्न को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। आयोग की ओर से पूछा गया कि उत्तरांचल नाम परिवर्तन अधिनियम किस वर्ष अस्तित्व में आया।
प्रश्न के जवाब में चार विकल्प ए, बी, सी व डी दिये गये थे। कुछ अभ्यर्थियों ने ‘सी’ विकल्प को चुना और इसका उत्तर सन् 2006 लिखा जबकि आयोग ने उनके उत्तर को गलत करार दिया और सही जवाब ‘डी’ विकल्प को माना।
इसके बाद मामला उच्च न्यायालय की चौखट तक आ पहुंचा। शोएब हुसैन व अन्य 21 अभ्यर्थियों ने आयोग के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी दी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि आयोग का निर्णय गलत है। इसके बाद अदालत ने 04 जुलाई, 2022 को आयोग की विशेषज्ञ समिति (एक्सपर्ट कमेटी) को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिये।
आयोग की छह सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी की ओर से 15 सितम्बर को सीलबंद रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ के समक्ष सौंपी गयी। कमेटी अपने पुराने स्टैंड पर कायम रही और उसने कहा कि उपरोक्त प्रश्न का सही उत्तर सन् 2006 नहीं है।
अदालत ने समिति के जवाब से असहमति जताते हुए अपने महत्वपूर्ण निर्णय में आयोग को निर्देश दिये कि याचिकाकर्ताओं को उक्त प्रश्न के अंक प्रदान करे और तदनुसार पुनः योग्यता सूची (मेरिट सूची) तैयार करे।
अदालत ने अपने आदेश में विशेषज्ञ समिति के कौशल पर पर भी सवाल उठाये और दुख व्यक्त करते हुए निर्देश दिए कि इस निर्णय की प्रति आयोग के अध्यक्ष के समक्ष पेश करे और अध्यक्ष सुनिश्चित करे कि भविष्य में विशेषज्ञ समिति में जानकार, सक्षम व बुद्धिमान लोगों को शामिल करे।