उमेश तिवारी ‘विश्वास
नैनीताल समाचार के लिए व्यंग
उनकी टैस्ट रिपोर्ट अभी-अभी पॉजिटिव आयी है। ये एन्टीजन टैस्ट बताया जा रहा है। वो हमेशा ही एन्टी जन रहे हैं, रिपोर्ट तो पॉजिटिव आनी ही थी। उन्होंने इतरा कर ट्वीट किया है कि वो ‘पॉजिटिव हो गए हैं। जो लोग उनसे हाल में मिले वो भी अपनी जाँच करवा लें।’ ये उनकी भलमनसाहत का उदाहरण है, तब्लीग़ी जमात वालों ने ये ध्यान नहीं रखा था, आपको याद होगा। वो ख़ुद से ज़्यादा दूसरों के लिए चिंतित लग रहे हैं। ठीक भी है।कोविड टैस्ट करवाना ईवीएम से वोट डालने जितना आसान थोड़े है कि इधर बटन दबाया और टीं आवाज़ के साथ हो गया, जो होना था। एक टैम था जब पत्रकार ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए भाग-दौड़ करते थे। स्कूटर में तेल डाल-डाल कर बीमार के पास आते थे। मंत्रीजी की ज़ुकाम-बुखार वाली छवि जब समाचार पत्रों में छपती थी तो उनको हमेशा मोटा-ताज़ा देखने वाली जनता को धीरज बंधता था कि कोई तो है जो उनको कमज़ोर कर सकता है। ट्विटर ने उनसे सैडिस्टिक आनंद की घड़ी भी छीन ली है।
माननीय ने ट्वीट में बताया है कि स्वयं ‘उनमें कोरोना के कोई लक्षण हैं, न कोई परेशानी हो रही है।’ आप पूछेंगे तो टैस्ट क्यों करवाया भला ? .. घरवाले ज़रा सी छींक-खाँसी पर सरकारी डॉक्टर को दौड़ा देते हैं, ये तो कोरोना है भइये ! ऊपर से माननीयों के लिए हर सुविधा की तरह कोविड जाँच भी फ्री है। वो चाहें तो रोज़ाना करवा लें। एक छींटा रक्त का तक नहीं देना पड़ता। अब कुछ दिन घर से ही काम करेंगे। मतलब नहाने-धोने से भी छुट्टी। बस श्रीमती, साली, सलाहकार और संतरी की कोरोना जाँच करवानी है। सरकारी बंगले में सबको अलग-अलग कमरा देना है जहाँ उनका बार-बार टैस्ट होगा, जब तक नेगेटिव नहीं आ जाता। तत्पश्चात वो जनता की चिंतायें मिटाते हुए, ख़ुशियों भरे चार-पाँच ट्वीट करेंगे। हर वारियर सदस्य के लिए अलग-अलग या सबके लिये साथ, तीन दिन छोड़कर कि सारे बच गए।
अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक करने का अधिकार भी माननीय के पास ही है। वो जब चाहें जिसको या सबको बताएं। ठहर कर बताएं, न बताएं। जिस मासूमियत के साथ अपने पॉजिटिव होने की घोषणा रात सवा नौ पर की, उनसे मिलकर गए नेता विपक्ष की तो निश्चित ही नींद हराम हो गई होगी जो भ्रष्टाचार पर डील करने आये थे। उम्मीद करिए शीघ्र ही ट्वीटों की दुनियाँ में उनका ट्वीट भी हलचल मचाएगा।
मैंने पाया है कि जो ट्वीट नहीं करते उनके लिए कोरोना बहुत घातक है। मेरे देखते-देखते कई नॉन-ट्वीटकारी कोरोना से युद्ध में खेत रहे। उनके मुक़ाबले आप देख लें ट्वीट पेलू देर-सबेर चंगे होकर घर वापस आ ही गये। जो चल बसे मैंने उनका एक भी ट्वीट आजतक नहीं देखा। हाँ, उनके असमय निधन की सूचना ज़रूर ट्विटर पर मिल रही है। मैं तो कहूँगा हम सबको कोई ट्वीट अवश्य कर देना चाहिए। इतनी झाड़-फूँक, पूजा-पाठ आदि करते हैं, ट्वीट भी करके देखना चाहिए। नया वायरस है, ट्वीट भी नए जमाने की बीमारी है, कौन जाने ‘विषस्य विषमौषधम’ वाला फंडा लागू हो रहा हो।