कमलेश उप्रेती कोरोना काल में उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों में हुए रिवर्स पलायन को जहां आशा की नज़र से देखा जा रहा है वहीं इसके एक और पहलू पर भी गौर करने की जरूरत है. आजकल गांवों... Read more
राजेन्द्र भट्ट इस कोरोना-काल में ऐसे वाकये से बात शुरू करना अच्छा लग रहा है जिससे दुष्यंत कुमार की पंक्तियाँ याद आ गईं– ‘इस अंधेरी कोठरी में एक रोशनदान है।’ ये रोशनदान नोएडा की एक युवा पुलिस... Read more
राजशेखर पंत हर बड़ी विभीषिका ने समाज को बदला है. यूं तो समाज और उससे जुड़ा हर पहलू समय के साथ-साथ हमेशा बदलते रहते हैं, ठीक वैसे ही जैसे प्रकृति की हर जैविक संरचना बदलती है. पर यह परिवर्तन इतन... Read more
दीपंकर भट्टाचार्य मई दिवस अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है। इसकी प्रेरणा एक दिन में काम के घंटे तय करने के उन्नीसवीं सदी में हुए पहले बड़े संघर्ष से मिली। इस संघर्ष की मांग थी कि एक दिन में काम... Read more
डॉ ए. के. अरुण दुनिया के सामने कोरोना वायरस संक्रमण का अब तक चार महीने का अनुभव सामने है। उपलब्ध जानकारियाँ और विभिन्न देशों की गतिविधियां बता रही हैं कि अगले दो या तीन हफ्ते में देश और दुनि... Read more
संजय कुंदन 13.04.2020 वह नींद में कोड़े फटकारता है और चिल्लाता है वैज्ञानिकों, डॉक्टरों पर -जल्दी शोध पूरा करो, हमें दवा चाहिए टीका चाहिए इस बीमारी का वह परेशान है अपने देश में लाशों के लगते... Read more
जयसिंह रावत कोरोना महामारी के महासंकट में तब्लीगियों के शोर में लोग भूल ही गये कि यह विपत्ति कहां उत्पन्न हुयी और कहां-कहां उत्पात मचाने के बाद भारत पहुंची। आजकल तो केवल कोराना जिहाद और जमात... Read more
प्रतिभा कटियार लॉकडाउन का चौथा दिन था. सड़को पर सन्नाटा पसरा हुआ था. वही सड़कें जो किसी वक़्त ट्रैफिक जाम से कराहा करती थीं. इतनी शांति चारों ओर जैसे किसी और ही जहाँ में आ गए हों. लेकिन इस शां... Read more
राहुल सिंह शेखावत मुझे अपने चैतन्य काल में याद नहीं है कि कभी हवा इतनी साफ रही होगी। जीवनदायिनी नदियों में अब पानी इतना साफ है कि करोड़ों की रकम ठिकाने लगाने के बाद भी वो शायद ही सपने में दिख... Read more
अरुंधति रॉय अंग्रेजी में “वायरल होना” (किसी वीडियो, संदेश आदि का फैलना) शब्द को सुनते ही अब किसको थोड़ी सिहरन नहीं होगी? दरवाजे के हैंडल, गत्ते का डिब्बा या सब्जी का थैला देखते ही किसकी कल्प... Read more