रमेश पहाड़ी
25 सितंबर को मुझे पहली बार भीरी के पश्चिमी, मंदाकिनी के दाँयें भाग में स्थित बष्टी गाँव में एक ग्रामीण समारोह में सम्मिलित होने का अवसर मिला। भारी भीड़ और वह भी उत्साह से भरी हुई। गाँव में त्यौहार का सा माहौल था। बड़ी संख्या में समीपवर्ती गाँवों की महिलाएं भी सजधज कर पहुँचीं थीं। स्कूली बच्चे बहुत उत्साह में चहलकदमी करते दिखाई दे रहे थे। पुरुष और विशेष रूप से वृद्ध काफी संख्या में वहां एकत्र थे। सब प्रतीक्षा कर रहे थे गाँव के ही एक उदारमना व्यक्ति की अपने बीच पहुँचने की। वे आये तो जयकारों के साथ उनका जोशपूर्ण स्वागत हुआ। स्वागत-सत्कार की सामान्य औपचारिकताओं के बाद वृद्ध महिलाओं और उसके बाद वृद्ध पुरुषों का सम्मान हुआ, फिर विभिन्न महिला मंगल दलों को उनकी आवश्यकता का सामान बाँटा गया, फिर नवयुवकों को उनके खेल का सामान। किसी को ध्वनि-विस्तारक यंत्र तो किसी को शॉल, टॉर्च। किसी को क्रिकेट का सामान तो किसी को कपड़े। कई गाँवों, स्कूलों, महिला संगठनों की माँग का सामान बंट रहा था। सबके चेहरों पर खुशी थी कि उनकी जरूरत का सामान उन्हें मिला। इसलिए बीच-बीच में जयकारे भी गूँजते रहे।
यह सब हो रहा था बष्टी गाँव के ही एक उदारमना, अपनी जड़ों से जुड़े व्यक्ति सुन्दर सिंह भंडारी द्वारा जुटाई गई सामग्री के वितरण के समारोह में। इसी गाँव के एक किसान परिवार में जन्में सुन्दर सिंह की प्राथमिक शिक्षा यहीं हुई लेकिन अवसर मिलने पर जब वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर अच्छी आय प्राप्त करने लगे तो उन्होंने अपने गाँव, जिसकी तंग पगडंडियों पर उनके पैरों पर ठोकरें भी लगी होंगी और नंगी मिट्टी पर बैठकर अक्षर-ज्ञान से लेकर प्राथमिक शिक्षा भी पाई, उसे भूले नहीं और निश्चय कर लिया कि अपनी आय का एक अंश वे नियमित रूप से अपने गाँव की भलाई के लिए खर्च करेंगे, चाहे उन्हें कितनी भी आर्थिक कठिनाइयों से क्यों न जूझना पड़े। उनकी प्रोन्नति के साथ यह क्रम बढ़ता चला गया और आज स्थिति यह है कि उन्होंने तथा उनके बच्चों ने भी अपनी आय का 20 प्रतिशत इसके लिए नियमित रूप से देना तय किया है। सभी परिजनों द्वारा एकत्र इस धनराशि से इस नेक कार्य को पूरा करने का यह अटूट सिलसिला लगातार चल रहा है। इसके लिए सुन्दर सिंह भंडारी जी ने अपनी माँ एवं पिता जी के नाम से ‘श्रीमती बचन देई एवं श्री दीवान सिंह भंडारी कल्याण समिति’ के नाम से एक समिति बनाई हुई है और इसमें सभी परिजनों के नियमित अंशदान से बष्टी ही नहीं, समीपवर्ती गाँवों की जरूरतों को पूरा करने का प्रयास किया जाता है।
इस समय श्री भंडारी विश्व-प्रसिद्ध मार्टिन एण्ड हैरिस लिमिटेड व उसके समूह की 9 अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के समूह के निदेशक हैं। अपने मुल्क की गरीबी और बेरोजगारी के प्रति संवेदना से परिपूर्ण सुन्दर भाषणों और उपदेशों से इसका समाधान निकालने की प्रचलित परंपरा के विपरीत परिणामपरक कार्य करने में विश्वास करते हैं। इस क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं को उन्होंने शिक्षित व प्रशिक्षित कर सम्मानजनक व प्रतिस्पर्धात्मक कार्यों में लगाया है, जो कि एक बड़ी उपलब्धि एवं उदाहरण है। नेता बनने की लालसा और प्रचार से दूर सुन्दर सिंह भंडारी जी अपने बूते जितना अधिक से अधिक हो, करने की कोशिश में जुटे हैं। शहरों में मौज उड़ाते और मौके-बे-मौक़े पहाड़ व अपने गाँव की याद का स्वांग रचते उत्तराखंड के समर्थ पहाड़ियों के लिए सुन्दर सिंह एक उदाहरण, एक प्रेरणा, एक सीख हैं- यदि कोई लेना व करना चाहे तो।