हेमंत बिष्ट
अनिल भोज जी का इस संसार को छोड़कर जाना, कई क्षेत्रों में शून्यता भर गया। एक भौतिक विज्ञान प्रवक्ता के रूप में सुदीर्घ सेवा करते हुए वह साहित्य, संस्कृति और कलाओं के प्रति समर्पित रहे। सुन्दर हस्त-लेख और प्रभावशाली ढंग से विषय वस्तु को परोसना उनकी विशेषता थी। अल्मोड़ा रा.इ.का. से प्रवक्ता से प्रधानाध्यापक के रुप में पदोन्नत होकर गजरौला, बाजपुर फिर प्रधानाचार्य के रुप में गौला पार और फिर रा0इ0का0 नैनीताल में प्रधानायार्च के रुप में आते ही उन्होंने परिसर का सुसज्जीकरण प्रारम्भ कर दिया जिनमें दीवारों में आकर्षक म्यूरल्स व कक्षों को व्यवस्थित करना प्रमुख है। 1899 में राजकीय संस्था का नाम बदलते-बदलते रा0इ0का0 के रूप में स्थापित हो गया। उन्होंने 1999 से 2000 तक शताब्दी वर्ष के अन्तर्गत कई कार्यक्रम किए और करवाए। होली कार्यशाला, बाल कवि सम्मेलन आदि गतिविधियों में उन्हें ‘गिर्दा, शेरदा ‘अनपढ’़ आदि का भी सहयोग मिलता था।
अल्मोड़ा प्रवास के दौरान अनिल भोज एवं दीपक कार्की ने ‘व्याण तार’ हस्तलिखित कुमाऊनी पत्रिका संचालित की। अनिल भोज व दीपक कार्की के प्रयासों को सभी ने सराहा। विज्ञान, साहित्यिक, सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों का आयोजन-संयोजन उनकी विशेषता थी। उन्होंने ‘आशल-कुशल‘ नामक पत्रिका का सम्पादन करके प्रौढ़ शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा के लिये प्रशंसनीय कार्य किया।
एक उदघोषक, संचालक, कवि के रूप में जनता के बीच उनकी लोकप्रिय छवि थी। एक कुशल शिक्षक के लिये 2003 में 5 सितम्बर 2004 को विज्ञान भवन दिल्ली में महामहिम ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के हाथों वह सम्मानित हुए। मुख्य शिक्षा अधिकारी, हरिद्वार, प्राचार्य, डायट भीमताल (नैनीताल) और मुख्य शिक्षा अधिकारी नैनीताल के रुप में उन्होंने सफल सेवाएं दी।
उत्तराखण्ड के लिये विज्ञान की 6, 7, 8 की पुस्तकों के लेखक मण्डल में वह शामिल रहे। रा0इ0का0 नैनीताल के कार्यकाल में प्रादेशिक विज्ञान संगोष्ठी, विज्ञान मेलों का सफल आयोजन उन्होंने किया। प्राधानाचार्य श्री एच.सी.एस रौतेला जी द्वारा आयोजित कुमाऊनी वाक प्रतियोगिता, कुमाऊनी क्विज में बतौर अतिथि उन्होंने प्रतिभाग किया।
एक कुशल शिक्षक, कुशल उदघोषक, संचालक, कलाप्रेमी, आकाशवाणी व मंचों के कवि का यूँ चला जाना सभी के मनों में विषाद भर गया है।
नैनीताल समाचार परिवार की श्रृद्धांजलि !