जहूर आलम
नैनीताल के वरिष्ठ रंगकर्मी सुरेश गुरुरानी जी का लंबी बीमारी के बाद देहरादून में इलाज के दौरान देहांत हो गया है. उनकी बीमारी के कारण उनकी पत्नी और बेटा उन्हें देहरादून इलाज के लिए ले गए थे. स्वर्गीय सुरेश गुरुरानी जी का अंतिम संस्कार हरिद्वार में होगा. सुरेश गुरुरानी एक मंझे हुए खूबसूरत गबरु कलाकार थे उन की स्टेज पर्सनाीलटी अति विशिष्ट थी. वह मंच के हीरो थे साथ ही बेहतरीन अभिनेता भी. दशकों तक उन्होंने मंच पर अभिनय किया। अभिनय की प्रेरणा उन्हें अपने बड़े भाई और जबरदस्त अभिनेता हरीश गुरुरानी जी से विरासत में मिली….और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. दर्जनों नाटकों में अपनी हीरोइक एक्टिंग से उन्होंने दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा.उन्हें अनेकों बार प्रतियोगिताओं में बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला..सुरेश गुरुरानी जी की पत्नी निर्मला साह भी मंच की बेहतरीन अदाकारा रही हैं और नैनीताल में महिला अभिनेत्रियों में एक प्रकार से अग्रणी भी रही हैं. सुरेश जी और निर्मला जी एक दूसरे के अभिनय के कायल थे और एक दूसरे को पसंद भी करते थे.यह दोनों कलाकार मंच और अभिनय के कारण ही विवाह बंधन में बंधे. रंगकर्मी सुरेश गुरुरानी ने मंच की सेवा करते हुए अभिनय में सिक्का जमाया। उन्होंने गंगा प्रसाद साह,बिशन सिंह वकील, रूपकिशोर मेहरोत्रा,विशंभर नाथ साह सखा, प्यारे लाल शाह,जीवनलाल साह,प्रकाश चौधरी,अंबिका प्रसाद साह और श्याम लाल शाह जैसे नामवर रंगमंच के दिग्गजों के साथ काम किया और अपने काम को निखारा. गुरुरानी जी ने न केवल नैनीताल के दिग्गज अभिनेताओं और निर्देशकों के साथ काम किया बल्कि हम जैसे नई पीढ़ी के रंग कर्मियों के साथ भी मंच साझा किया. इनमें ललित तिवारी, हेमा तिवारी,जहूर आलम,मनोज शाह,मुकुल साह आदि के नाम लिए जा सकते हैं जिन्हें उनके साथ मंच पर काम करने का अवसर मिला।
सुरेश गुरुरानी जी का एक और महत्वपूर्ण काम नैनीताल शरदोत्सव में फ्लैट के ‘मुक्ताकाशी रंगमंच ‘ पर अखिल भारतीय नाटक प्रतियोगिता कराना भी रहा . नैनीताल में शरदोत्सव अलग-अलग नामों से ब्रिटिश काल से ही शुरू हो गया था . नाटक के लिए नैनीताल की धरती बहुत ज़रुखेज़ रही है. शरदोत्सव में जबसे नाटक प्रतियोगिता शुरू हुई वही इस का सबसे मुख्य आकर्षण बन गया था…. सबसे पहले कई वर्षों तक इसे पूरे मनोयोग से शारदा संघ ने संपन्न कराया…. यह प्रतियोगिता नैनीताल क्लब के शैले हॉल में होती थी….. फिर कुछ वर्षों तक इससे नैनी जागृति संघ ने कराया… तत्पश्चात नगरपालिका नैनीताल जो कि इस प्रतियोगिता और शरद उत्सव को सम्मानित करती थी ने निर्णय लिया कि यह प्रतियोगिता फ्लैट्स में मुक्ता काशी रंगमंच में होगी… इसके लिए कोई संस्था तैयार नहीं हुई…. लेकिन 1976 में रामनगर में शुरू हुई सफल नाटक प्रतियोगिता से प्रेरणा लेते हुए सुरेश गुरुरानी की संस्था ‘नैनी लोक कलाकार संघ ‘ ने इसका बीड़ा उठाया और सफलतापूर्वक कई वर्षों तक इसे पूरे मनोयोग से संपन्न किया…..नैनी लोक कलाकार के सुरेश गुरु रानी जी के साथ और इस चुनौती को स्वीकार करने वालों में दिनेश जोशी, जगदीश भट्ट, रमेश पांडे आदि रहे हैं जिन्होंने बहुत मेहनत से इस प्रतियोगिता के माध्यम से मंच की सेवा के साथ-साथ नैनीताल की कला प्रेमी जनता को देश भर के रंग नाटकों से रूबरू कराया .
सुरेश जी आप हमेशा हमेशा याद रहेंगे…………… विनम्र श्रद्धांजलि. पुनश्च नैनीताल के शैले हॉल में 15 सितंबर से प्रारंभ हो रही अमृत नाट्य महोत्सव में प्रथम दिवस स्वर्गीय सुरेश गुरुरानी जी को सामूहिक श्रद्धांजलि दी जाएगी.
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Devendra Nainwal
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