अतुल सती
कल दिन भर एक वीडियो सोसियल मीडिया पर वायरल रहा जिसमें सड़क निर्माण में विस्फोट होता दिख रहा है। यह यहां जोशीमठ में स्थानीय पत्रकारों, सोसियल मीडिया पर सक्रीय लोगों द्वारा शेयर किया गया। वर्तमान में जोशीमठ बाईपास के कार्य की स्वीकृति जिस तरह मिली है और जनता में उसे लेकर जो आक्रोश है, उसके चलते यह स्वाभाविक ही था या है कि इस वीडियो को वर्तमान कार्य से ही जोड़ कर देखा जाता।
इसी आशय से यह साझा हुआ किया गया। अब सीमा सड़क संघठन ने, जिसके पास इस बाईपास को बनाने की जिम्मेदारी है, यह कहा है कि यह वीडियो अभी का नहीं है और अभी बाईपास पर विस्फोट नहीं किए जा रहे हैं। कल उपजिलाधिकारी जोशीमठ ने भी हमसे फोन कर पूछा कि वीडियो किसने बनाया। यह बता दें जिससे लोकेशन पता चले। हमने पता किया तो, गांव के लोगों ने कहा कि वहां कई मज़दूर कार्य करते हैं, किसी ने भी बना लिया होगा ।
असल सवाल है कि क्या विस्फोट नहीं किए गए ?
अभी नहीं भी किए जा रहे हों, क्या पूर्व में नहीं किये गए ? तो पूर्व में किए गए विस्फोट जायज थे ? उनसे कोई नुकसान नहीं हुआ ? क्या मलवा निस्तारण नदी में नहीं किया गया ? उसके तो वीडियो पुराने साईट के ही लोगों ने साझा किए !
पूर्व में जनवरी माह में कार्य बंद होने के समय जब विस्फोट हुए तो उनकी शिकायत उपजिलाधिकारी जोशीमठ से की गई। पैनी गांव के प्रतिनिधियों ने शिकायत की गई। यहां तक कि देहरादून में आपदा प्रबन्धन के सचिव डा रंजीत सिन्हा से भी हमने इस बारे में शिकायत की। जिस पर अपने जिलाधिकारी रहते उन्होंने कैसे स्थानीय विधायक के विस्फोट रुकवाए थे, उसका किस्सा भी सुनाया ।
सिर्फ़ विस्फोट ही नहीं, जब इस बाईपास की स्वीकृति भी नहीं मिली थी तब, तीन साल पहले, बगैर इजाजत, बाईपास के लिए पेड़ काटने की भी हमने थाने में लिखित तहरीर दी थी।
तो असल सवाल यह नहीं है कि वीडियो अभी का है कि तभी का, सवाल है कि, जोशीमठ की भूगर्भिक स्थिति को देखते हुए इस बाईपास के निर्माण की जरूरत है कि नहीं क्योंकि इसी आधार पर, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 090 के दशक में इस बाईपास के बनने पर रोक लगाई थी। सीमा सड़क संघठन का कहना है कि आई आई टी रुड़की ने इसकी इजाज़त दी है, तो क्या आठ संस्थाओं ने भी अपनी रिपोर्ट में इसकी इजाजत दी है जबकि न तो आई आई टी रुड़की और न ही बाकी संस्थाओं की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है।
हमारा आरोप है कि, 6 किलोमीटर सड़क के लिए मिले 400 करोड़ रुपए को निपटाने के लिए ही केवल, इस बाईपास को बनाया जा रहा है जिसमें करोड़ों के वारे न्यारे के अलावा कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता !
अब जब हेलंग जोशीमठ मार्ग पर्याप्त चौड़ा हो गया है और भविष्य में जोशीमठ मारवाड़ी सड़क चौड़ा होना ही है , जिसके टेंडर हो चुके, तब इस बाईपास की क्या जरुरत रहती है ? इससे न सिर्फ जोशीमठ नगर को खतरा होगा बल्कि जोशीमठ के लोगों की आजीविका भी प्रभावित होगी । इसलिए इस पर तुरन्त प्रभाव से रोक लगनी चाहिए।