उत्तराखंड में महाकाली नदी पर बनने वाले 315 मीटर ऊँचे पंचेश्वर बांध के प्रतिरोध में तब एक नया मोड़ आ गया, जब देश के 45 महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव व पर्यावरण आकलन समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव तथा सभी सदस्यों को पत्र लिखकर पंचेश्वर बाँध की पर्यावरणीय जनसुनवाई पर अपनी आपत्ति दर्ज की। इन विशेषज्ञों में अनेक वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद शामिल हैं। इनमें प्रमुख हैं डाॅ. रवि चोपड़ा, दुनू रॉय, डॉ. भरत झुनझुनवाला, मनोज मिश्रा व हिमांशु ठक्कर। इन लोगों का कहना है कि 9, 11 व 17 अगस्त 2017 को चंपावत, पिथौरागढ़ व अल्मोड़ा में हुई जन सुनवाइयों की सूचना प्रभावितों को 14 सितंबर 2006 की अधिसूचना के अनुसार नहीं दी गयी।
उत्तराखंड में महाकाली नदी पर बनने वाले 315 मीटर ऊँचे पंचेश्वर बांध के प्रतिरोध में तब एक नया मोड़ आ गया, जब देश के 45 महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव व पर्यावरण आकलन समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव तथा सभी सदस्यों को पत्र लिखकर पंचेश्वर बाँध की पर्यावरणीय जनसुनवाई पर अपनी आपत्ति दर्ज की। इन विशेषज्ञों में अनेक वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद शामिल हैं। इनमें प्रमुख हैं डाॅ. रवि चोपड़ा, दुनू रॉय, डॉ. भरत झुनझुनवाला, मनोज मिश्रा व हिमांशु ठक्कर। इन लोगों का कहना है कि 9, 11 व 17 अगस्त 2017 को चंपावत, पिथौरागढ़ व अल्मोड़ा में हुई जन सुनवाइयों की सूचना प्रभावितों को 14 सितंबर 2006 की अधिसूचना के अनुसार नहीं दी गयी।
इस बाँध की जद में आने वाले 134 गाँव ऐसी जगहों में हैं, जहाँ अखबार तक नहीं पहुंचता। अपने सीमित ज्ञान के चलते लोगों ने जन सुनवाई में चाहे जो भी कहा हो, किंतु वह ई.आई.ए., ई.एम.पी. व एस.आई.ए. की जानकारी के बिना था। पत्र में चिंता जताते हुए इन लोगों ने कहा कि एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की परियोजना की शुरुआत के लिए यह बहुत ही गलत संदेश है। परियोजना का उद्देश्य कुछ भी हो, फायदा नुकसान कुछ भी हो, किंतु प्रभावितों से सच्चाई छुपाकर जन सुनवाई करना तथा ई.ए.सी. द्वारा भी जनसंगठनों व प्रभावितों की आवाज को नकार के पर्यावरण स्वीकृति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना पूरी तरह गलत है।
इस बीच पंचेश्वर क्षेत्र में एक बड़ा भूस्खलन हुआ है। यह भूस्खलन उसी स्थान पर हुआ है जहाँ पर सैम्पल टपल के लिये पहाड़ी पर खुदान हो रहा है। यह सैम्पल टनल (सुरंग) पंचेश्वर मल्टीपरपज डेवेलपमेंट प्रोजेक्ट की डी.पी.आर. और पर्यावरण आंकलन रिपोर्ट बनाने के उद्देश्य से ही खोदी जा रही है। यह भूस्खलन ठीक उसी स्थान पर हुआ है जहाँ पर पंचेश्वर बांध के मजदूर रह रहे थे। अब इन मजदूरों को उस स्थान से अन्यत्र हटा दिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह भूस्खलन सैम्पल टनल की खदान के कारण ही हुआ है। अन्यथा ऐसा कोई कारण नहीं कि उस स्थान पर भूस्खलन होता।