चारू तिवारी
भारत के ‘यशस्वी’ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर मोदी जी सादर नमस्कार.
आप विश्व के सबसे ‘ताकतवर’ नेता हैं. आपसे दुनिया डरती है. पाकिस्तान-चीन तो क्या पूरा यूरोप-अमेरिका आपका लोहा मानता है. कल आप जब संसद में बोल रहे थे कि भारत की 140 करोड जनता का विश्वास आपके साथ है. आपके बारे में कितना झूठा प्रचार करे आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते. जिस समय आप संसद में यह दावा कर रहे थे उसी समय उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी देहरादून में आपके ‘राष्ट्रभक्त’, ‘रामभक्त’, संस्कारी’ रणबांकुरे नौजवानों पर हमले के लिए अपने हथियार पैने कर रहे थे. आपके सबसे प्रिय और मुंहलगे मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने पहली रात में और फिर आज दिन में युवाओं के साथ जो खूनी खेल खेला उससे आपका झूठ और छ्द्म सबने खुली आंखों से देखा. आपसे पहला सवाल तो यही बनता है कि जिन युवाओं पर आपकी सरपरस्ती में पलने वाले सत्ता के गुंडों ने बर्बरता की वे युवा 140 करोड़ में नहीं हैं या आपकी पार्टी भाजपा के गोबर दिमाग प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की तरह आप भी इनको चीन का मानते हैं?
मोदी जी, आप कई बार उत्तराखंड आते रहते हैं. कुमाउनी और गढवाली में कुछ शब्द बोलकर यह जताने की कोशिश करते हैं कि आप जैसा कोई दूसरा हमारा हमदर्द नहीं है. आपने विधानसभा चुनाव में कहा था कि आप मुझे समझकर वोट देना. आपने अपने साथ उत्तर प्रदेश के उन योगी जी को भी उतारा था जो बुलडोजर और इनकाउंटर से नीचे बात नहीं करते. उनकी ताकत हम अंकिता हत्या कांड की चुप्पी में देख चुके हैं. सबको टपकाने की बात करने वाले बाबा अपने जन्मस्थान पर हुई बेटी की निर्मम हत्या पर एक शब्द नहीं बोल पाये.
मोदी जी आप कह सकते हैं कि यह पत्र मुझे क्यों लिखा है. इसकी वजह यह है कि आप और योगी जी ही इन सत्ताधारी हिंसक पशुओं के लिए वोट मांगने आये थे. वोट आपके नाम पर और हिंसा नाकाबिल धामी के सर यह नहीं हो सकता. आप इस सरकारी हिंसा के सबसे बडे़ हिस्सेदार हैं. आपकी छत्रछाया में पहाड़ के बच्चों का खून बहा है. उन बच्चों का जो रोजगार पाने के लिए बहुत विषम परिस्थितियों में संघर्ष कर रहे हैं. आपको हम याद दिलाना चाहते हैं कि पिछली बार जब आप उत्तराखंड आये थे तो चार बार कपड़े बदलकर माणा पहुंचे थे. आपके पीछे आपका यह हिंसक मुख्यमंत्री भी थे जो आपको देवता का अवतार बता रहे थे. आपने हमेशा की तरह एक जुमला उछालते हुए कहा था कि यह सदी उत्तराखंड की होगी. इस बीच बहुत सारी घटनाएं उत्तराखंड में घटी. अंकिता भंडारी को आपके ही कुनबे के विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य ने मारा था. उसे आपकी पार्टी ने ही कथित तौर पर राज्य मंत्री बनाया था मुख्यमंत्री से लेकर आज लाठी चलवाने वाले पुलिस महानिदेशक के फोटो उसके साथ हैं. क्या यही आपकी इस सदी का उत्तराखंड?
मोदीजी, युवाओं का भविष्य लीलने वाले भर्ती घोटाले में भी आपकी पार्टी और संघ से जुड़े लोग शामिल थे. हेलंग घाटी में महिलाओं से घास छीनने की घटना भी आपके ‘यशस्वी’ नेतृत्व में हुई. आपने उस डीएम को ईनाम दिया जो लोगों के हक-हकूकों का लुटेरा था. अभी जब जोशीमठ में भूमि धंसाव से लोगों के सामने जीने तक का संकट खडा़ है आपके मुख्यमंत्री धामी कह रहे हैं कि यहां सत्तर प्रतिशत जमीन सुरक्षित है. आपके परम भक्त प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने तो अपने घर बचाने की गुहार लगा रहे प्रभावितों को चीन से संचालित बता दिया, जिसका समर्थन आपके चेहते मुख्यमंत्री धामी ने भी किया. क्या यही आपका इस सदी का उत्तराखंड?
मोदी जी, आपका दावा है कि आपने हिमालय में कई साल तपस्या की. हिमालय को आप अपने पिता समान मानते हैं. कोई बेटा अपने पिता के प्रति इतना क्रूर तो नहीं हो सकता कि उसकी एक पीढ़ी को अपनी सत्ता की हनक में सड़कों पर पीटने लगे. आपने हिमालय के साथ अपने जितने भी रिश्ते जोड़े हैं वह न केवल झूठ हैं, बल्कि उत्तराखंड के लोगों को चिढ़ाने वाले भी. उत्तराखंड के युवाओं के साथ आपके मुंहलगे मुख्यमंत्री ने जो किया है वह माफी योग्य नहीं है. आप लोगों की झूठ-फरेब की राजनीति से भले ही आपको सत्ता मिल गई हो, लेकिन उत्तराखंड के युवाओं के साथ आप जो अमानवीय मजाक कर रहे हैं वह आप लोगों को ‘यशस्वी’ तो क्या सामान्य इंसान होने की इजाजत भी नहीं देता. आपकी पार्टी की सरकारें इतनी गिरी हुई हरकतें कर सकती हैं, बहुत बेशर्मी है. एक तरफ हर भर्ती में घोटाले करो और अगर युवा उसकी जांच की मांग करता है तो आप उसका सिर पत्थर से फोड़ दो. इतना भी लिहाज नहीं है कि नारा देते हो ‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’ का और वह जब अपना हक मांगती है तो शराब पीए पुरुष पुलिसकर्मी उन पर बर्बरता करते हैं. यही है आपके इस सदी का उत्तराखंड?
मोदी जी, आपको इस पत्र से बुरा लग सकता है क्योंकि आपने अंधभक्तों की इतनी बडी़ फौज खड़ी कर दी है कि जब आप देश की सर्वोच्च पंचायत संसद से ऐलान कर रहे हैं कि आपका 140 करोड़ जनता का विश्वास है तो वह आपके इस सबसे बडे़ झूठ को भी सच मान लेते हैं. अगर आप ऐसा मानते हैं तो यह समझा जाना चाहिए कि सत्ता में आकर आपका अभीष्ट असहमत लोगों को कुचलना है. उन्हें भी जिन्होंने आप पर विश्वास किया. जब वह अपना हक मांगेंगे तो आप उन्हें देहरादून की सडकों पर लहुलुहान कर देंगे.