हरीश कंडवाल
आने वाले भविष्य में 21वीं सदी के साल 2020 को हमेशा इतिहास के पन्नों में याद किया जायेगा। इस 21वीं सदी की एक ऐसा साल जिसमें पूरी दुनिया में दहशत का माहौल बना रहाए दुनिया में कोरोना नामक इस महामारी ने जहाँ पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को चरमरा दियाए मानव जाति जो हमेशा विचरण करती रहती है उसको भीें कुछ दिनों के लिए घर में कैद होने के लिए मजबूर कर दिया। जहाँ इस वर्ष को कोविड 19 के महामारी विश्व संकट के नाम से याद किया जायेगा। इस साल देश ने जो प्रगति करनी थीए वह आज कोरोना कंलक के नाम से कंलकित होकर नीति नियताओं के लिए एक कहावत बनकर आड़ बन गया है।
भारत में जहाँ कोरेाना से पीड़ित लोगों की संख्या 1ए02ए66ए674 तक पहुँच गयी है वहीं 148738 लोग इस कोरेाना की चपेट में आकर वर्ष 2020 में अलविदा कह गये। वहीं उत्तराखण्ड के परिपेक्ष्य में मार्च 2020 से वर्ष के अंत तक भी कोविड का भय बना हुआ है. उत्तराखण्ड में अभी तक 90616 मरीज कोरोना की चपेट में आ चुक हैं वहीं 87967 9156ः लोग कोरोना की जंग जीतकर स्वस्थ हो चुके हैं, वहीं दूसरी ओर 1504 लोग उत्तराखण्ड में अपनी जान इस महामारी से गवां बैठे। उत्तराखण्ड में जहाॅ जून 2020 तक कोरोना के मामले बहुत कम थे वहीं बरसात के बाद कोरोना के मामलें में लगातार बढते गये। इस महामारी ने जहाॅ देश के रोजगारए अर्थव्यवस्थाए को पूरी तरह से प्रभावित किया वहीं उत्तराखण्ड भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका है।
इस वर्ष 2020 में उत्तराखण्ड में जहाँ प्रवासियों की संख्या में इजाफा हुआ पूरे देश में उत्तराखण्ड के पहाड़ो में रोजगार के लिए पलायन कर चुके युवा वापिस अपने गाँव लौटे, कोविड़ 19 के नियमों के तहत 14 दिन तक क्वांरटीन रहे। इस अवधि में अनेको ऐसे प्रवासियों ने स्कूलों में 14 दिन तक जीवन यापन किया, जहाँ उन्होेने अपनी पढाई शुरूवात की थी। इस अवधि में कई जगह अप्रिय घटनायें भी देखने को मिली, वहीं दूसरी ओर स्कूल में साफ सफाई, खाली हो चुके गाॅव में युवाओं की संख्या बढी। होटल व्यवसाय से जुड़े युवाओं को मनरेगा में कुछ दिन ध्याड़ी कर जीवन यापन किया गया। उत्तराखण्ड में पहाड़ों में दो तीन माह के लिए रौनक बढ गयी थी लेकिन जैसे जैसे कोविड 19 के नियमों में छूट मिली और युवा पुनः रोजगार की तलाश में पहाड़ से नीचे उतरकर अपने अपने कर्मभूमि की ओर लौटने लगे। किंतु कई युवाओं ने गाँव में रहकर ही स्वरोजगार योजना को अपना कर नये कार्यों की शुरूवात की।
एक ओर जहाँ उत्तराखण्ड सरकार लोगों को स्वरोजगार देने की बात कर रही थी लेकिन युवाओं के लिए वह पर्याप्त संसाधन नहीं जुटा पायी जो कि पहा़ड़ की जवानी को यहाँ रोकने में सफल होती। इस दौर में सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य की पोल खुली लेकिन कुछ जगह पर कोविड के नाम पर नये उपकरणों की व्यवस्था की गयी, लेकिन यह भी पर्याप्त नहीं हुईं। स्वास्थ्य व्यवस्था के हालातों की पोल तब खुली जब उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री कोरोना पाॅजीटिव होने के बाद फेफडों के इनफैक्शन के बाद इलाज के लिए दिल्ली जाना प्रदेश की जनता को नागवार गुजरा है।
वहीं अप्रैल मई 2020 में लाॅकडाउन के अवधि के दौरान जहाँ मानव जाति में सेवाभाव देखा गया वह मानवता की एक मिसाल कायम थी। हर किसी के लिए राशन की व्यवस्था किया जानाए प्रवासियों के लिए ठहरने व भोजन की व्यवस्था करना आदि सब भारतीय समाज की एकता और संगठित होने के प्रमाण थे। लाॅकडाउन और कोरोना की वजह से स्कूल काॅलेज सब बंद रहे, जिस कारण नवीनतम एवं आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में भी एकाएक परिवर्तन देखने को मिलाए यह परिवर्तन का एक दौर भी रहा। जहाँ 34 साल बाद देश में नई शिक्षा नीति लागू हुई वहीं दूसरी ओर लाॅकडाउन के कारण घर पर ही आॅन लाईन पढाई की शुरूवात हुई, यह तकनीकि में एक नया परिवर्तन था जिसको शिक्षकों और छात्रों ने बिना हिचक के स्वीकार किया। लेकिन उत्तराखण्ड जैेसे पहाड़ी क्षेत्रों के लिए आॅनलाईन पढाई कराना किसी चुनौति से कम नहीं रहा। यहाँ नेटवर्क को खोजते खोजते प्रवासी बच्चे जंगल तक पहुॅचने के लिए मजबूर हुए।
वहीं सरकारी कार्यालयों में आॅनलाईन बैठकों का आयोजन, आनलाईन सेमिनार, आॅन लाईन सम्मेलन और विभिन्न सामाजिक कार्याक्रमों में आॅनलाईन की बड़ी भूमिका रही। कोविड का प्रभाव मानव जाति की सजगता पर पड़ा, लोगों को लाॅकडाउन के दौरान सामान्य जीवन जीने का आदी बनाने में सफल रहा, सामान्य खानण्पानए रहन सहन आदि में परिवर्तन देखने को मिला। वहीं सामाजिक जीवन में भी इस कोविड-19 ने प्रभावित किया। शादीयां जहाँ सादगी में हुई, लोगो ने भीड़ से बचने का स्वंय प्रयास किया। सेनेटाईजर, मास्क, सोशल डिस्टेसिंग जैसे नये शब्दों के साथ अन्य कई नई जानकारीयां समाज को मिली। लाॅकडाउन की अवधि में लोगों ने परिवार के साथ मिलकर पारिवारिक जिम्मेदारियों को वखूबी से जानाए और परिवार के सदस्यों के करीब रहने का भी अवसर मिला।
कोविड के दौरान कुछ नये शब्द जो आम प्रचलन में आयेए जो आम जन के मुॅह से सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। ऐसे प्रमुख शब्द जैसे कोरोनाए कोरोना वायरस, पैण्डेमिक विश्व महामारी कोविड-19, लाॅकडाउनए सोशल डिस्टेसिंग, आइसोलेशन, क्वारंटाईन, इक्यूबेशन, द कर्व, कोरोनियल्स आदि थे। वहीं अभी तक पूरी दुनिया कोविड-19 के टीके का इंतजार कर रहा है, जिसके लिए हर देश के वैज्ञानिक परीक्षण कर रहे है। आशा है कि वर्ष 2021 में कोरेाना की वैक्सीन जल्दी तैयार होकर इस महामारी का असर कम हो और आम जनमानस पहले बिना किसी डर के जीवन यापन कर सके।