प्रमोद साह
कोरोना के संकट और इससे मुकाबला करने के इंतजामों को जब हम अंतरराष्ट्रीय पटल पर देखते हैं तो हर मोर्चे पर हमें डोनाल्ड ट्रंप उभर कर आते दिखते हैं.. और उनका चेहरा लगातार नकारात्मक होता जाता है .यह अलग बात है कि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और पिछले 75 वर्ष से विश्व नेता की जो अमेरिका की छवि रही है ,इस वक्त डोनाल्ड ट्रंप का आचरण उसके बिल्कुल विपरीत साबित हुआ .
यहां पहाड़ में प्रचलित एक कहावत “निर्बुद्धी राजक् काथे काथ ” अथवा यह धारणा कि “जब राजा विचारशील ना होकर सिर्फ बातूनी होता है तो उसकी प्रजा कष्ट भोगती हैंऔर पीढ़ियां पश्चाताप करती हैं ”
जिस अति आत्मविश्वास और लापरवाही से डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना का सामना किया उससे यह बात सच साबित होती है .
घटनाक्रम में नजर डालें तो ,30 दिसंबर 2019 को कोरोना का पहला केस चीन में पाया गया और 15 जनवरी को बुहान शहर से एक अमेरिकी नागरिक न्यूयॉर्क आया ,उसके न्ययार्क आने की खबर भी विधिवत पहुंची ,वही व्यक्ति 21 जनवरी को कोरोना पोजिटिव पाया गया 22 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप इसे बहुत छोटी घटना बताते हैं और कोई परवाह नहीं क .. कहते हैं हमारे इंतजाम पुख्ता है ।
-30 जनवरी हमारी चाइना पर पूरी नजर है चिंता की कोई बात नहीं जमीन पर कोई तैयारी नहीं होती .
-10 फरवरी बड़े बोल कोरोना वायरस अप्रैल में गर्मी आते-आते खत्म हो जाएगा
-14 फरवरी समस्या बड़ी नहीं अमेरिका के लिए चुनौती नहीं है .. और दोस्तों के मुकाबले अच्छी तैयारी कर रहे हैं
-23 फरवरी डेमोक्रेट्स कोरोना का हव्वा खड़ा कर उसका राजनीतिकरण कर रहे हैं .
-28 फरवरी अमेरिका जैसे देश के लिए 15 मौत कोई बड़ा आंकड़ा नहीं है हम युद्धस्तर पर तैयारी कर रहे हैं
-10 मार्च कोरोना को का कोई वैक्सीन तैयार नहीं है तब तक पेरासिटामोल और ब्रूफिन से कंट्रोल किया जा सकता है .
-12 मार्च 32 मौत का आंकडा बडा नही है . हम अच्छी तैयारी कर रहे हैं टेस्ट बढ़ा रहे जबकि टेस्ट दक्षिण कोरिया के मुकाबले 5% भी नहीं हो रहे थे .
– 13 मार्च संकट बड़ा है हम नेशनल इमरजेंसी लगा रहे हैं अंतरराष्ट्रीय उड़ाने बंद
-17 मार्च महामारी घोषित , जबकि महामारी घोषित करने का दबाव सीआईए द्वारा फरवरी आखिर में बनाया गया था
-20 मार्च मलेरिया की दवा कोरोना से लडने में कारगर
-31 संकट बड़ा है. अगर मौतों का आंकड़ा हम एक लाख तक भी रोक पाए तो उपलब्धि होगी. जो दो लाख तक जा सकता है
– 7 अप्रैल मलेरिया की दवा हाइड्रोक्लोरिक्वीन के लिए अपने मित्र भारत को धमकाया,आपूर्ति जारी.
-13 अप्रैल बराक ओबामा ने बीमारी से निपटने की सही तैयारियां नहीं की थी.
-15अप्रैल विश्व स्वास्थ्य संगठन की आर्थिक मदद रोकी कहा कि डब्ल्यूएचओ अपनी भूमिका का सही निर्वहन नहीं कर पाया, चीन के पक्ष में काम किया फिलहाल ड्रामा जारी है चारों तरफ ट्रंप ही ट्रम्प हैं.. मौत का आंकड़ा 32 हजार पार और कोरोनावायरस पॉजिटिव 6लाख से ऊपर है.. अलबत्ता चीन 76 दिन के लॉक डाउन से उभर चुका है. अमेरिका कुल आठ करोड़ नौकरियों से एक करोड़ 80 लाख नौकरी गंवा चुका है अभी राह अंधी सुरंगमें ही है.. ठीक ही कहते हैं नेतृत्व की कीमत राष्ट्र को चुकानी होती है.. इंतजामों को जब हम अंतरराष्ट्रीय पटल पर देखते हैं तो हर मोर्चे पर हमें डोनाल्ड ट्रंप उभर कर आते दिखते हैं.. और उनका चेहरा लगातार नकारात्मक होता जाता है .यह अलग बात है कि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और पिछले 75 वर्ष से विश्व नेता की जो अमेरिका की छवि रही है ,इस वक्त डोनाल्ड ट्रंप का आचरण उसके बिल्कुल विपरीत साबित हुआ .
यहां पहाड़ में प्रचलित एक कहावत “निर्बुद्धी राजक् काथे काथ ” अथवा यह धारणा कि “जब राजा विचारशील ना होकर सिर्फ बातूनी होता है तो उसकी प्रजा कष्ट भोगती हैंऔर पीढ़ियां पश्चाताप करती हैं ”
जिस अति आत्मविश्वास और लापरवाही से डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना का सामना किया उससे यह बात सच साबित होती है .
घटनाक्रम में नजर डालें तो ,30 दिसंबर 2019 को कोरोना का पहला केस चीन में पाया गया और 15 जनवरी को बुहान शहर से एक अमेरिकी नागरिक न्यूयॉर्क आया ,उसके न्ययार्क आने की खबर भी विधिवत पहुंची ,वही व्यक्ति 21 जनवरी को कोरोना पोजिटिव पाया गया 22 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप इसे बहुत छोटी घटना बताते हैं और कोई परवाह नहीं क .. कहते हैं हमारे इंतजाम पुख्ता है ।
-30 जनवरी हमारी चाइना पर पूरी नजर है चिंता की कोई बात नहीं जमीन पर कोई तैयारी नहीं होती .
-10 फरवरी बड़े बोल कोरोना वायरस अप्रैल में गर्मी आते-आते खत्म हो जाएगा
-14 फरवरी समस्या बड़ी नहीं अमेरिका के लिए चुनौती नहीं है .. और दोस्तों के मुकाबले अच्छी तैयारी कर रहे हैं
-23 फरवरी डेमोक्रेट्स कोरोना का हव्वा खड़ा कर उसका राजनीतिकरण कर रहे हैं .
-28 फरवरी अमेरिका जैसे देश के लिए 15 मौत कोई बड़ा आंकड़ा नहीं है हम युद्धस्तर पर तैयारी कर रहे हैं
-10 मार्च कोरोना को का कोई वैक्सीन तैयार नहीं है तब तक पेरासिटामोल और ब्रूफिन से कंट्रोल किया जा सकता है .
-12 मार्च 32 मौत का आंकडा बडा नही है . हम अच्छी तैयारी कर रहे हैं टेस्ट बढ़ा रहे जबकि टेस्ट दक्षिण कोरिया के मुकाबले 5% भी नहीं हो रहे थे .
– 13 मार्च संकट बड़ा है हम नेशनल इमरजेंसी लगा रहे हैं अंतरराष्ट्रीय उड़ाने बंद
-17 मार्च महामारी घोषित , जबकि महामारी घोषित करने का दबाव सीआईए द्वारा फरवरी आखिर में बनाया गया था
-20 मार्च मलेरिया की दवा कोरोना से लडने में कारगर
-31 संकट बड़ा है. अगर मौतों का आंकड़ा हम एक लाख तक भी रोक पाए तो उपलब्धि होगी. जो दो लाख तक जा सकता है
– 7 अप्रैल मलेरिया की दवा हाइड्रोक्लोरिक्वीन के लिए अपने मित्र भारत को धमकाया,आपूर्ति जारी.
-13 अप्रैल बराक ओबामा ने बीमारी से निपटने की सही तैयारियां नहीं की थी.
-15अप्रैल विश्व स्वास्थ्य संगठन की आर्थिक मदद रोकी कहा कि डब्ल्यूएचओ अपनी भूमिका का सही निर्वहन नहीं कर पाया, चीन के पक्ष में काम किया फिलहाल ड्रामा जारी है चारों तरफ ट्रंप ही ट्रम्प हैं.. मौत का आंकड़ा 32 हजार पार और कोरोनावायरस पॉजिटिव 6लाख से ऊपर है.. अलबत्ता चीन 76 दिन के लॉक डाउन से उभर चुका है. अमेरिका कुल आठ करोड़ नौकरियों से एक करोड़ 80 लाख नौकरी गंवा चुका है अभी राह अंधी सुरंगमें ही है.. ठीक ही कहते हैं नेतृत्व की कीमत राष्ट्र को चुकानी होती है..