खबड़ोली गांव में चल रहे भ्रष्टाचार के बारे में हरीश सुप्याल ने बताया कि खबडोली गांव को वर्ष 2009 में निर्मल गांव घोषित करने के बाद 58 शौचालय बनाए गए। ये अपने आप में चैंकाने वाली बात थी। आरटीआई से मिली सूचना में गांव में तेरह लोगों को फर्जी तरीके से दो बार शौचालय देना दिखाया गया है।
बागेश्वर जिला मुख्यालय से करीब बारेक किलोमीटर की दूरी पर है खबड़ोली गांव। तुलानी, गंगगाढ़ और रतगांव तोकों को मिलाकार खबड़ोली गांव की जनसंख्या करीब तीन सौ पचास के करीब है। गांव में जूनियर हाईस्कूल तक की शिक्षा है। जूनियर हाईस्कूल का कम्प्यूटर कक्ष 2007-08 से अधूरा बना है। और जब बना तो विद्यालय के लिए आए दो कम्प्यूटर भी कुछ महीने बाद चोरी हो गए। स्कूल के लिए नई बनी बिल्डिंग में दरारें आ चुकी हैं। इस गांव में दीपा परिहार महिला प्रधान हैं, लेकिन उनका सारा काम उनके पति महेन्द्र परिहार और पुत्र जीवन सिंह ही देखते हैं। हर गांवों की तरह इस गांव के लिए भी विकास के नाम पर मनरेगा, स्वजल, पर्यावरण सहित लाखों-करोड़ों रूपयों की दर्जनों योजनाएं आती रहती हैं, लेकिन विकास धरातल के वजाय सिर्फ कांगजों में ही होता है। ज्यादातर ग्रामीण तबका अज्ञानता की वजह से चुपचाप ही रहता है। प्रधान, प्रधानपति, सरपंच केसाथ ही नेतागिरी की दबंगई से भी ग्रामीण चुप रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं। लेकिन खबड़ोली गांव के हरीश सुप्याल को गांव में विकास के नाम पर आ रहे धन की बंदरबांट नागंवार लगी तो उसने इसका विरोध कर गांव के प्रधानपति से जानकारी मांगी। जानकारी ना मिलने पर उन्होंने सूचना का अधिकार से जानकारी लेने की कोशिश की। कई बार अस्पष्ट व अधूरी जानकारी मिलने के बाद भी वो जुटे रहे। जो जानकारी मिली तो उससे भ्रष्टाचार की परतें खुलती चली गई। उन्होंने गांव में कई योंजनाओं में चल रहे भ्रष्टाचार के तथ्यों को इलेक्ट्रोनिक मीडिया के साथ ही प्रिंट मीडिया में हिंदुस्तान, दैनिक जागरण सहित अमर उजाला के पत्रकारों को दिए, लेकिन किसी भी पत्रकार को खबड़ोली गांव में भ्रष्टाचार नहीं दिखा तो वो खबरें इलेक्ट्रोनिक मीडिया के साथ ही अखबारों में जगह नहीं बना सके। सायद इन खबरों में पत्रकारों को संस्थान या अपना कोई हित नजर नहीं आ रहा होगा।
खबड़ोली गांव के हरीश सुप्याल साधारण परिवार से हैं। बागेश्वर-गरूड़ मोटर मार्ग में कमेड़ी के पास सड़क किनारे एक छोटी सी इनकी दुकान है जिसमें ये टेलर मास्टरी का काम कर अपनी आजीविका चलाते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ इनकी सनक ऐसी है कि ये यदा-कदा अपनी दुकान ही बंद कर अपने सांथी आरटीआई एक्टविस्ट दरबार सिंह कुंवर के साथ सच को सामने लाने के लिए निकल पड़ते हैं। दरबान सिंह बागेश्वर नगर से सटे गांव कफलखेत में रहते हैं। भ्रष्ट्रचार के खिलाफ वर्षों से लड़ाई लड़ते-लड़ते इन्होंने अकेले रहने का संकल्प लिया और ये अविवाहित हैं।
खबड़ोली गांव में चल रहे भ्रष्टाचार के बारे में हरीश सुप्याल ने बताया कि खबडोली गांव को वर्ष 2009 में निर्मल गांव घोषित करने के बाद 58 शौचालय बनाए गए। ये अपने आप में चैंकाने वाली बात थी। आरटीआई से मिली सूचना में गांव में तेरह लोगों को फर्जी तरीके से दो बार शौचालय देना दिखाया गया है। इनमें कुंदन सिंह, डुगर सिंह, नैन सिंह, शेर सिंह, पूरन सिंह, हिम्मत सिंह, गंगा देवी, कृष्ण सिंह, शिव सिंह, दिवान सिंह, धन सिंह, भगवती देवी समेत प्रेम सिंह आदि हैं। इसके साथ ही गांव में करीब चैदह लाख बीस हजार रूपयों के काम में मस्टरोल में फर्जी उपस्थिति दिखाकर करीब तीन लाख चैरासी हजार सात सौ बीस रूपये हजम कर लिए गए। यहां तक कि कुशल मिस्त्री के नाम पर प्रधान पति और उसके बेटे को भी कागजों में दिखाया गया है। खबडोली में चकीगैर में उद्ययानीकरण के नाम पर कमला, हरीश सिंह व बलवंत के एकाउंट में क्रमशः रू.2088 डाला गया।
हरीश सुप्याल ने बताया कि खबड़ोली ग्रामसभा में जितने भी उद्यानीकरण बनाए गए उनमें पेड़ तक नहीं लगाए गए। खबडोली गधेरे में चैक डैम बनाने के के साथ ही गंगाड़ में नौले के जीर्णोंद्वार के नाम पर चालीस हजार, खबडोली में गोलू मंदिर के पास चैकडैम के नाम पर एक लाख रूपया, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। इस योजना में मोहन सिंह 3864, पदम राम 7728, आनंद सिंह 5152, बिशन सिंह 5796 तथा गीता देवी, लीला देवी, तारा राम, जैंत राम समेत कईयों के एकाउंट में मजदूरी के भुगतान का रूपया डाला गया, जबकि इन लोगों ने काम ही नहीं किया था। रतगांव से जुनियर हाईस्कूल का सीसी मार्ग तीन लाख की लागत से बनना था लेकिन प्रधान ने उस मद से अपने घर को रास्ता बना दिया गया। इसके अलावा गांव में दो लाख की लागत से बनने वाली जल निकासी को कुलांकी के पास बना दिया गया।
खबडोली में तिवारी कोट में उद्यानीकरण में दो लाख रूपया फर्जी तरीके से काम के लिए लाया गया। दयाल चन्द्र कांडपाल को 8352, खीमानंद को 14484, हेमा देवी को 4176, बिशन सिंह को 17922, आंनदी देवी को 16704 तथा नरराम को 14489 रूपये का भुगतान किया गया। खबडोली में अस्सी हजार की लागत पर फार्म पोंड के निर्माण पर नरेन्द्र सिंह को 4176, हीरा सिंह को 6264, धाम सिंह को 6264, गणेश सिंह को 4174, जयंती देवी को 4174, गंगा देवी को 6264 को मस्टरोल में फर्जी साइन कराकर पैंसे डकार लिए गए। जबकि इन्होंने काम ही नहीं किया। इसके अलावा गोलू मंदिर में तीन लाख की लागत पर बनने वाले पुल में 19 लोगों को फर्जी तरीके से मजदूर दिखाकर करीब नब्बे हजार रूपये डकार लिए गए। खबडोली के गंगाड में संपर्क मार्ग बनना था। जिसकी लागत करीब तीन लाख रूपये थी। इस योजना में तेरह लोगों ने काम नहीं किया लेकिन उनके खातों में करीब बावन हजार रूपये डालकर बाद में उन्हें कुछ रूपये देकर बांकी रूपये डकार लिए गए।
रतगांव में दो लाख की बनी सिंचाई गूल में रिपेयरिंग के काम में सात लोगों को फर्जी तरीके से काम में दिखाकर लगभग उन्तीस हजार रूपये डकार लिए गए। इसके अलावा गांव में नौला जीर्णोंद्वार के नाम पर हजारों रूपये डकारे गए। उन्होंने बताया कि कमेड़ी-ओखलसों मोटर मार्ग में प्रधानपति ने अपने घर तक करीब छह सौ मीटर अवैध रूप से मोटर रोड बनाई। जिसमें चीड़, तुन के पेड़ के साथ ही नाप जमीन, राजस्व, वन पंचायत व वन भूमि को काटा गया। वन विभाग में इसकी शिकयत करने के बाद भी वन महकमे ने उस वक्त कुछ नहीं किया, बाद में आरटीआई का सहारा लिया तो वन विभाग को मजबूरन कार्यवाही करनी पड़ी। वन महकमे ने काफी देर बाद ग्राम प्रधान को करीब तीस हजार का जुर्माना लगाकर इतिश्री कर ली।
ताजा मामला उत्तराखंड पेयजल निर्माण निगम द्वारा खबड़ोली गांव में पेयजल योजना बनाने के बावत है। इस योजना की जब जानकारी लेनी चाही तो आज तक भी नहीं दी गई है। हरीश सुप्याल ने संबंधित विभाग से जानकारी मांगी तो विभाग के अधिशासी अभियंता सीपीएस गंगवार ने ग्राम प्रधान को दो रूपये प्रति पेज पर सूचना देने के निर्देश दिए। इस पर प्रधानपति महीनों तक इस बात को कहता रहा कि उसे अभी तक कोई पत्र नहीं मिला है। हरीश सुप्याल ने प्रधानपति को जब उस निर्देश की काॅपी दी तो इस पर प्रधानपति ने विभाग के अधिकारियों पर ही दोषारोपण करते हुए कहा कि उन्हें विभाग ने कोई भी दस्तावेज नहीं दिए हैं। इधर विभाग का भी यही कहना है कि उनके पास पेयजल से संबंधित दस्तावेज नहीं है।
हरीश सुप्याल ने इसी वर्ष सात मार्च को जिलाधिकारी को वर्ष 2014 से वर्तमान तक के विकास कार्यों की जांच की मांग की। जिस पर चैदह जून को जिलाधिकारी ने जिला विकास अधिकारी की अध्यक्षता में तीन अधिकारियों की एक कमेटी गठित कर जांच के निर्देश भी दिए, लेकिन बाद में जिलाधिकारी का स्थानांतरण होने पर यह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बहरहाल् एक अक्टूबर को सीडीओ ने अधिशासी अभियंता निर्माण शाखा को खबडोली में पेयजल योजना के अनियमितताओं की जांच करने के निर्देश देते हुए कहा कि यदि धनराशि का दुरूपयोग हो रहा है तो उसे तत्काल रोका जा सके।
हरीश सुप्याल बतातें हैं कि निर्माण विभाग में चर्चा है कि यह परियोजना करीब 47 लाख 47 हजार की है। अब कितने कि है ये जानकारी कोई नहीं दे रहा है। उन्होंने बताया कि ये भी अफवाह चली है कि पेयजल निर्माण निगम द्वारा प्रधानपति को मौखिक तौर पर कहा गया कि इस योजना को 36 लाख में ही पूरा करना है तुम्हें इतना ही मिल पाएगा। और अब जब उनके द्वारा इस योजना की जानकारी मांगी जा रही है तो ईई साहब कह रहे हैं कि इस योजना में लोगों को आपत्ति हो रही है, जितना सामान लग गया है अपने आप रहता है बांकि वापस ले आओ। अब आम चर्चा है कि पेयजल के पाइपों में से करीब हजार पाईप गरूड़ व सेल्टा क्षेत्र में ठिकाने लगा दिए गए हैं। प्रधानपति गांव में विकास न होने पर हरीश सुप्याल को ही हर जगह दोषी ठकराने में लगा है। और गांव वाले सदियों से चुप रहने वाले अपने पुरूखों से सीख ले चुप्पी साधे हैं।