बची सिंह बिष्ट
आचार्यकुल उत्तराखंड के मार्गदर्शन में कल 20 अक्टूबर 2024 को स्माइल होम स्टे काठगोदाम में उत्तराखंड सर्वोदय मंडल की बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक में श्री इस्लाम हुसैन जी को अध्यक्ष, श्री सुरेन्द्र लाल आर्य जी को महासचिव “उत्तराखंड सर्वोदय मंडल” चयनित किया गया।
इससे पहले उत्तराखंड सर्वोदय मंडल द्वारा पिछले सालों में की गई तमाम सामाजिक कार्यवाहियों का विवरण प्रस्तुत कर उनकी पुष्टि की गई। बैठक में सर्व सेवा संघ के सचिव, आचार्यकुल के राष्ट्रीय संयोजक के अलावा, सर्व सेवा संघ के चुनाव पर्यवेक्षक शेख हुसैन और उत्तराखंड के छह जिलों के जिला संयोजकों ने भी भागीदारी की…
गांधी विचार की पिछली पीढ़ी के लोगों ने समाज की चेतना को बढ़ाने और समन्वय आधारित लोक मानस बनाने के लिए बहुत कार्य किया। साथ ही रचनात्मक कार्यों के अनेक उल्लेखनीय कार्य कर देश और दुनिया में गांधी विचार आधारित ग्राम स्वराज्य को नई पहचान दी है। जब दुनिया युद्ध के दौर में है और जन मानस को धार्मिक और क्षेत्रीय उन्माद में झोंकने के लिए पूरी व्यवस्था लगी हुई है। ऐसे समय में गांधी विनोबा जय प्रकाश के विचार की देश और दुनिया को बहुत आवश्यकता है।
तमाम घटनाओं में काशी, बनारस में गांधी की स्मृति के भंडार और संग्रहालय पर मौजूदा सरकार का आक्रमण बेहद निंदनीय और शर्मनाक कृत्य है। जिसका प्रतिकार लगातार गांधीजनों द्वारा किया जा रहा है। विनोबा जी के जय जगत का महत्व आज बहुत बढ़ चुका है क्योंकि दुनिया भर में युद्ध उन्मादी सत्ताओं ने अनवरत नरसंहार को बढ़ा दिया है।
गांधी की शक्ति का केंद्र वे निराश भारतीय थे, जिन्होंने सदियों की दासता से लड़ना छोड़कर गुलामी को ही अपनी नियति मान लिया था। ऐसे समय में एक अधनंगा फकीर उनके सामने अहिंसा, सत्य, अस्तेय अपरिग्रह, सर्व धर्म समन्वय और सविनय अवज्ञा जैसे सात्विक विचारों के साथ प्रकट होता है और दासता, काहिली, निराशा में डूबे भारतीय आम जन की चेतना में आजादी का स्वप्न जगा देता है।साथ ही दुनिया भर में कभी जिनका राज खत्म नहीं होता वे अंग्रेज भी उस कमजोर से दिखने वाले व्यक्ति की आंतरिक शक्तियों के सम्मुख झुकने को मजबूर होते चले गए। आज गांधी एक व्यक्ति से अधिक विचार हैं और व्यवहार हैं।
निराश और लूट आधारित व्यवस्था के सामने खड़े होकर चुनौती देने वाला विचार बने हैं। जिसके कारण दुनिया के प्रबुद्ध देश और लोग फिर से नए दौर में गांधी को जानना, खोजना और उनके जीवन के विचार के आधार पर अपनी व्यवस्थाओं को बनाना चाहते हैं। ऐसे में उत्तराखंड और देश के गांधी जनों का दायित्य बनता है कि वे लोगों के बीच गांधी के विचार, उनके ग्राम स्वराज्य की अवधारणा, उनके रचनात्मक कार्यों का प्रकटीकरण करें…
हम यह मानते और समझते हैं कि गांधी पर टिप्पणी, उनकी निंदा और आलोचना करना बहुत सरल है लेकिन गांधी के विचार को उनके एकादश व्रतों को अपना कर उनके बनाए रास्तों पर एक कदम चलना भी सहज नहीं है। एक विशाल फुलवारी है गांधी विचार, जिसने अनेक चमकीले, लुभावने पुष्प मानवता को दिए हैं और देते रहेगी। इसकी सुगंध, सुबास और सुंदरता को बनाना, बढ़ाना और बनाए रखना अब प्रदेश और देश के गांधीजनों का दायित्व है। गांधी किसी एक संगठन या कुछ समूहों के अंदर समा जाने वाला विचार नहीं है। उसकी हजारों शाखा प्रशाखाओं में वे समाहित हैं।
यह वक्त है जब देश के गांधी विचार के प्रति सम्मान रखने वाले, उनके संगठनों के लोग और उनके विचार में जीवन को ढालने वाले लोग सक्रिय होकर, संगठित होकर आगे बढ़ें। गांधीजन खुद के संस्थानों को पारदर्शी, जनोपयोगी, कानून सम्मत और विचार प्रेषक बनाने के लिए कार्य करें। एक और बात जिसे बड़ी सावधानी से देखा जाना चाहिए, वह है तमाम अन्य विचार के लोगों और संगठनों, राजनैतिक दलों से समान दूरी बनाकर गांधी विचार प्रसार का कार्य करना क्योंकि गांधी का विचार शिक्षण, संगठन, रचना और संघर्ष से प्रसारित होता है और होता रहेगा।
अंत में सर्व धर्म प्रार्थना के साथ बैठक का समापन किया गया.