प्रभात उप्रेती
मैं गोरखा लाईन में पढ़ता था। तभी एक प्रिंसिपल हमारे कॉलेज में आये। वह बहुत सुंदर दिखते थे, उनका ड्रेस सेंस भी कमाल था पर वह मानसिक रूप से गड़बड़ हो गये। फील्ड में हमारी प्रार्थना जब होती थी तो वह जाति के आधार पर घेरे बना देते थे फिर गाते थे – ‘यह है हिंदुस्तान का चक्कर डीडी जोशी घनचक्कर।’
उन्हीं दिनों खु्रश्चेव बुलगैनिन रूद्रपुर में आये थे। रूद्रपुर में उनका स्वागत होना था। गोरखा लाइन से भी स्वागत के लिए बच्चों की टीम जानी थी। प्रिंसिपल साहब ने हमारे लिए अनाथालय की तरह सफेद ड्रेस पहनायी। कहते हैं, वह वहां सुरक्षा कवच को भेद के चले गये। वह इतने जमते थे कि पुलिस गुप्तचर विभाग सबने उन्हें सलाम किया। भेद तब खुला जब उन्होंने एक अफसर से कहा, देखो दो डुपलीकेट बुलगैनिन आये हैं। एक की नकली दाढी है। मैं उसे खेचुंगा अगर वह नकली होगी तो वह नकली होगा। तब हलचल मच गयी और जब वह वापस आये तो पुलिस उन्हें पकड़ कर तल्लीताल थाने ले गयी। वह बच्चों में लोकप्रिय थे। हम सब एक भीड़ के रूप में थाने पहुंच गये।
एक लम्बा सा सजीला युवा थानेदार से भिड़ा पड़ा था। उसके तर्क वाजिब और दमदार थे। वह कह रहे थे, बिना वारंट के आपने हमारे प्रिसंपल को कैसे गिरफ्तार कर दिया। वह गजेटेड आफिसर हैं, प्रतिष्ठित हैं। अगर वह पागल ही हैं तो उनकी डॉक्टरी जांच कराओ, फिर अस्पताल भेजो। कुछ अंग्रेजी भी उन्होंने बोली। उनके तर्क और दम ऐसा था कि थानेदार भी हकबका गया और प्रिंसिपल छोड़ दिये गये।
हम सब बच्चों में चर्चा हुई कि जो लम्बे सुदर्शनीय युवा थे वह सखा दाज्यू थे। बाद-बाद में उनके किस्से डॉन के रूप में हमारे बालमन में छा गये। उन दिनों बजरियों की लड़ाई होती थी। तल्लीताल, मल्लीताल में भी गेंगवार भी होती थी। उन सबमें सबसे ऊपर डॉन के रूप में कैलाखान के सखा दाज्यू का नाम चमकता, लहराता था। उनके किस्से थे कि उन्होंने फिल्म बनायी। बम्बई वालों ने उनकी पर्सनल्टी देख कर उन्हें हीरो का रोल ऑफर किया है। गेठिया में मधुमती बनते समय डुप्लीकेट वैजयंतीमाला से किसी फिल्म वाले ने छेड़-छाड़ की तो सखा दाज्यू ने उसका कॉलर पकड़ दिया। कुछ लोग तो कहे थे कि वह दलीप कुमार थे। अब पता नहीं क्या था ? और एक किस्सा यह था कि एक बार गुंडे टूरिस्टों ने नैनीताल की लड़कियों को छेड़ दिया। इस पर सखा दाज्यू और चंदोला जी दोनों ने बॉक्स तान के उनसे कहा, ‘यू वांट फाइट! कम वन बाई वन।’ अब ये कितना सच था पर अपने किस्सों में हम बच्चों के लिए उनकी छवि रॉबिनहुड, डॉन या हीरो वाली थी।
हमारे डॉन सखा दाज्यू को मेरा सल्यूट।