समाचार डैस्क
पिछली बरसात , खास 18, 19 अक्टूबर 2021 को आई आपदा से नैनीताल क्षेत्र की सड़कों और पहाड़ियों में जो भूस्खलन आए , उनके घाव छः माह बाद, अभी भी ज्यों की त्यों हैं। पहले बताया गया कि पैसा नहीं है, फिर इन कार्यों को आचार संहिता की छत्र छाया प्राप्त हो गई। अब जबकि नया बजट वर्ष प्रारम्भ हो गया है, और आचार संहिता भी लागू नहीं है फिर भी इन मरम्मत के कार्यों में कोई तेजी नहीं दिखाई दे रही है । नैनीताल- हल्द्वानी मोटर मार्ग जो कि एन.एच. हल्द्वानी के अन्तर्गत आता है को गौर से देखने पर दो जगह दीवार देकर सड़क का पुनः निर्माण दिखाई देता है परन्तु अन्य क्षतिग्रस्त जगहों को अभी होने वाली मरम्मतों का इन्तजार है।
नैनीताल भवाली मोटर मार्ग जो कि लोक निर्माण विभाग के प्रान्तीय खन्ड के अन्तर्गत आता है की हालत अत्यधिक गम्भीर है I भले ही इस मार्ग पर स्थित कब्रिस्तान का जीर्णोद्वार बहुत बेहतरीन ढंग से हो रहा है पर पर्यटक नगरी नैनीताल को जोड़ने वाला केवल 10 कि.मी. लम्बा यह महत्वपूर्ण मार्ग लगभग 14 जगहों पर क्षतिग्रस्त है । कई जगह सड़क फटी दिख रही है और कई जगह बगैर बरसात के भी हल्का हल्का मलवा गिरते ही रहता है । एक जगह सड़क इतनी कम चौड़ी रह गई है कि एक वक्त में केवल एक ही वाहन निकल सकता है। उक्त विभाग के सहायक अभियंता से पूछे जाने पर वह कहते हैं कि यह मामला जिलाधिकारी एवं एच.ओ. डी. के संज्ञान में है और एच.ओ.डी . 19 बिन्दुओं पर आख्या भी मांग चुके हैं। इस्टीमेट बना कर भेज दिया गया है इसके पास होते ही टेन्डर करवा कर इस मार्ग पर कार्य प्रारम्भ कर दिया जाएगा । हमारा प्रश्न था कि तब तक बरसात पुनः प्रारम्भ हो जाएगी क्या आप पूरी सड़क के बह जाने का इन्तजार कर रहे हैं ? उत्तर नदारद था और एक गहरी चुप्पी को उत्तर नहीं कहा जा सकता। भवाली – अल्मोड़ा को मोटर मार्ग को मोटर मार्ग लिखना हमारी मजबूरी है क्योंकि इस पर वाहन चलते हैं । यह मोटर मार्ग कभी भी बन्द हो सकता है । इसके लिए भी पास होने हेतु इस्टीमेट गया है।
पिछली बरसात में डी. एस .बी . कॉलेज के के.पी. हॉस्टल के नीचे जबरदस्त भूस्खलन हुई था और ठंडी सड़क वाला मार्ग अवरुद्ध हो गया था। यह इलाका झील क्षेत्र होने के कारण सिंचाई विभाग के अन्तर्गत आता है । छ: माह उपरान्त भी केवल अवरुद्ध मार्ग ही हो खोला जा सका है । सिंचाई विभाग का कहना है कि उक्त क्षेत्र की स्टडी कर ली गई है । डी.पी.आर. तैयार कर के भेज दी गई है। लगभग 5 करोड़ का इस्टीमेट अनुमोदन हेतु भेजा गया है । पैसा आबंटित होते ही टैन्डर करवा दिए जाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया में जो वक्त लगना है उससे डर लगता है कि भूस्खलन को रोकने के लिए दी जाने वाली दीवारें दिए जाने से पहले ही कहीं इस भूस्खलन के शीर्ष पर टिके भवन तालाब में न समा जाएं ।
ये तमाम तरह के विभाग, तमाम तरह की लापरवाहियां और विभागों की उदासीनता निश्चित रुप से आने वाली बरसात को खतरनाक बना देगी।