अतुल सती
हरक सिंह रावत उत्तराखण्ड की सत्तालोलुप राजनीति का आईना है । इसमें उत्तराखण्ड क्या देश की ही सत्तालोलुप राजनीति का चेहरा देखा जा सकता है ।
हरक सिंह उस राजनीति की खुली किताब हैं जो भ्रष्ट है, पतित है, नीति मर्यादा हीन है, जिसका जनता के दुःख तकलीफ से लेना देना नहीं, जो स्वकेन्द्रित है स्वार्थ का चरम है ।
उत्तराखण्ड की सत्ता राजनीति के बाकी प्रमुख चेहरे भी ढंके छुपे रूप में हरक सिंह ही हैं । अंतर बस यह है कि उनके ऊपर मुलम्मा है चेहरे पर पालिश है एक झीना पर्दा है । उस पर्दे के पार उस चेहरे के नीचे अधिकांश हरक सिंह ही हैं ।
हरक सिंह रावत साहब के साथ यह सुविधा है कि वह जो हैं एलानिया तौर पर हैं । इसके बावजूद कि वह जो हैं वह खुला है वह सफल हैं । सफल क्या हैं कि बाक़ायदा डंके की चोट पर सफल हैं । यह इस राजनीति की वह हक़ीक़त है जिससे सब नफरत करते हैं आलोचना करते हैं मगर इसके बगैर निबाह नहीं मानते हुए अपनाए हैं ।
एक सज्जन चौहान साहब कुछ दिन पहले कोटद्वार से आए थे । कहने लगे अबकी हरक सिंह कोटद्वार आए तो जमानत नहीं बचने देंगे । हमने ही हमारे भाईसाहब ने ही उन्हें वहां जीतने में मदद की पर अब नहीं । हो सकता है यह सत्य हो परन्तु राजनीति का जो स्तर है जो स्थिति है उसमें बहुत सम्भव है हरक सिंह कोटद्वार जांय और फिर जीत जांय ।
यह अफसोस जनक है । यह इस नए नवेले राज्य के साथ सबसे भद्दा मजाक है । यह विडंबना है । यह राज्य के लिए कुर्बान हुए लोगों का अपमान है । मगर यही हक़ीक़त है । यहां Indresh Maikhuri चुनाव दर चुनाव हारेंगे । सड़क पर लड़ते भिड़ते एक बेहतर राज्य बेहतर दुनिया का सपना लेकर गुजर जाएंगे और हरक सिंह तमाम घपले घोटाले भ्रष्ट तरीकों के बावजूद सफल होंगे ।
यह राज्य हरक सिंहों के चरने के लिए ही बनकर रह जाएगा अगर हम चेते नहीं तो !!