केशव भटृ
जीन डेलहाय ने यूं तो बेल्जियम में जन्म लिया लेकिन उसकी आत्मा हमेशा हिमालय की वादियों में विचरती है साल 2014 के सितंबर महीने में एक शाम जब वह बागेश्वर पहुंचा तोए छह फीट से ज्यादा लम्बे इस छरहरे युवक के कंधों पर टिके रुकसैक ने मेरा ध्यान खींच लियाण् हमारी नज़रें मिली तो वह मेरी ओर आ गयाण् वह रूपकुंड होते हुए शिलासमुद्र के ट्रैक के बारे में जानना चाहता थाण् मैंने बाक़ायदा नक्शा बनाकर रास्ते के विवरण विस्तार से समझा दिए बातों.बातों में पता चला कि अभी वह मुनस्यारी होते हुए बरास्ते मिलम आ रहा है और आगे रूपकुंड.होमकुंड ट्रैक के बाद कुंवारी पास जाना चाहता है एक लंबा ट्रैक पूरा करने के बाद फिर से हिमालय की दुर्गम राहों में जाने की उसकी बैचेनी देख मैं हैरान थाण् हमारी बातें जैसे ख़त्म ही नहीं हो रही थीं आखिरकार मैंने उसे मेरे पास ही रात गुजारने आ आग्रम किया वह एकदम से तैयार हो गया लगा जैसे वह खुद मेरे आग्रह का ही इंतज़ार कर रहा था
अगली सुबह जीन ग्वालदम के रास्ते देवाल.वाण गांव को निकल गया बीसेक दिन बाद उसने सन्देश भेजा कि ट्रैक काफी मजेदार और शांत रहा इसके बाद वह कुंवारी पास पारकर जोशीमठ निकल गया था और बाद में उसने उस ट्रैक का विस्तृत विवरण भी मुझे भेजा उसके बाद अर्से तक उससे कोई संपर्क नहीं हुआ कभी.कभार फेसबुक पर उसके खींचे हिमालय के अदृभुत नजारों की तस्वीरें उसकी घुमक्कड़ी की याद दिला जाती थीं जीन जैसे जिन्न की तरह अकेला ही हिमालय की ख़ाक छान रहा था मैं उसकी जीवटता और हिमालय के प्रति उसके बेशर्त प्रेम के बारे में सोचता रहता था
छह साल बाद सितंबर 2020 को अचानक जीन का सन्देश आया कि वह कुमाऊं क्षेत्र में हिमालय की यात्रा पर है और जल्द ही बागेश्वर आकर मुलाकात करेगा और एक शाम वह दोबारा प्रकट हुआ तो मैं उसे बमुश्किल पहचान सकाण् बातों का सिलसिला शुरू हुआ और पुरानी यादें मौसमी फूलों की तरह खिल उठींण् पता चला कि इस बार जीन पंचाचूली बेस कैंप के बाद मुनस्यारी से खलिया टॉप होते हुए नामिक गांवए झूनी.खलझूनीए खाती होते हुए जातोली गांव पहुंचा और आगे सुंदरढूंगा घाटी में कनकटा पास को पार कर बागेश्वर पहुंचा है लगभग दो.एक महिना वह अकेला बुग्यालों से गुज़रने वाले विस्मृत रास्तों में भटकता रहा जीन ने बताया कि अब वह कुछ दिन अल्मोड़ा में अपने पांवों को आराम देना चाहता है और उसके बाद उसका इरादा गढ़वाल के श्काक.भूषंडीश् के ट्रैक पर जाने का हैण् मैं सोच रहा था. श्हद है इस जूनून की!
करीब तीन हफ़्ते बाद जीन फिर प्रकट हुआ इस बार वह बेहद खुश नज़र आ रहा था अपनी खुशी जाहिर करते हुए उसने बताया कि इस बार उसे अद्भुत मज़ा आयाण्ण्ण् बर्फ गिर चुकी थी और ट्रैक में कई जगह अल्पाइन ग्लेशियरों को पार करना पड़ाण्ण् जिनमें कई सारी हिम दरारें थीं खतरा बहुत था लेकिन प्रकृति के शानदार नजारों से जैसे रूह भीग गयीण् जीन उन अदृभुत नजारों की तस्वीरें मुझे दिखा रहा था और मैं उन दृश्यों में डूबा उसके बारे में भी सोच रहा था कि वह इस धरती का इंसान है नहीं हैए सचमुच जिन्न है!
इस बीच मैंने अपने भतीजे अरुण को भी उससे मिलने के लिए बुला लिया हम घंटो तक बतियाते रहे मैंने महसूस किया कि जीन पर्वतों के अलावा अन्य बातों में कोई दिलचस्पी नहीं रखता मैंने उससे उसके हिमालय की शुरूआत के बारे में पूछा जीन ने बताया कि वह जब बाईस साल का था तो नेपाल घूमने गया था काठमांडू पहुंचने पर वह इधर.उधर घूम रहा तो उसे पता चला कि यहां से दुनिया की सबसे उंची चोटी ऐवरेस्ट के बेस कैंप तक पहुंचने के लिए अच्छा ट्रैक है इस पर वह चंद जरूरी सामान लेकर अकेले ही एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा पर निकल पड़ा इस ट्रैक ने जैसे उसकी जिंदगी बदल दी और अब वह हिमालय के रहस्यमयी संसार को जानने.समझने को आतुर हो उठा
घर वापस लौटने के कुछेक महिनों बाद वह फिर से हिमालय की यात्रा में निकल गया और जब यह सिलसिला लंबा चलने लगा तो घरवालों की टोका.टाकी शुरू हो गयीण् रोजी.रोटी और घर बसाने के लिए दबाव पड़ने लगा लेकिन उसने अपनी जिंदगी उसके हिसाब से जीने का इरादा कर लिया था जीन कहता है कि हिमालय की गोद में घूमने में जो आनंद उसे मिलता है वह उसे दुनिया में कहीं और नहीं है
दुर्गम पथों पर अकेले क्या कभी उसे डर नहीं महसूस होता जवाब में जीन बड़ी शांति से बताया हैए श्कभी नहीं दिनभर चलने के बाद जब मंजिल पर पहुंचता हूं तो थक चुका होता हूं फिर तम्बू लगाने के बाद खिचड़ी बनाकर खाता हूं और हिमालय के आसमान में झिलमिलाते तारों को निहारते हुए सो जाता हूं लोग जंगली जानवरों का ख़तरा भी बताते हैं लेकिन मुझे कभी कोई भालू.बाघ मिला नहीं मिलाण् हां कभी.कभी मैंने हिमालयी हिरनों के झुंड जरूर देखेए जो मुझसे कोई वास्ता न रख चुपचाप बुग्याली घास चरते रहते हैं
जीन की समूची दुनिया उसके रुकसेक में समाई हुई रहती हैण् लगभग सोलह किलो का भार जैसे उसके शरीर का हिस्सा है सवा किलो का टेंट व स्लीपिंग बैगए छोटा स्टोवए बर्तन और हफ़्ते भर का मामूली राशन इनके अलावा कुछ कपड़े और साथ में हमेशा रहने वाला दोस्त श्लोक मै जो कि उसे रास्ते के बारे में बताते रहता है
अब जब सर्दियां शुरू हो गई हैं तो जीन केरल की ओर निकल गया हैण् सर्दी खत्म होते ही फिर से वह नापना शुरू कर देगा हिमालय के कभी ख़त्म न होने वाले रास्तों को जिन्नी से बात करते हुए मुझे उसकी आंखों में एक मीठी सी शांति महसूस हुवी जैसे वो कहना चाह रही हों किए हम सभी सुबह से शाम तक चलते हैंए लेकिन पहुंचते कहां हैं हाथ में न तो कभी कुछ लगता हैघ् मंजिल कहीं पास आती मालूम पड़ती भी नहीं है लेकिन फिर भी ये प्यास है कि बुझती ही नहीं