संजीव भगत
कोरोना आपदा में उत्तराखण्ड में सबसे बुरा हाल पर्यटन उद्योग का है। पूरे देश में इस उद्योग में तबाही साफ नजर आ रही है । करोडों लोग इस व्यापार और रोजगार से जुड़े हैं। अभी ये सारे लोग बेरोजगार हैं।
होटल और टैक्सियों इसका पर्यटन का मुख्य आधार हैं। इसके अलावा रेस्तरां,गाइड,ढाबे, नाव वाले, छोटे दुकानदार, साहसिक पर्यटन से जुड़े लोग, पैराग्लाईडिग, ट्रैकिंग कराने गाइड और पोर्टर, रिवर राफ्टिंग, घोड़े वाले और इससे जुड़े कई कारोबार चौपट हो चुके हैं ।
इस सारे लोगों की कमाई ठप्प होने का स्थानीय बाज़ारों में भी असर पड़ा है। नैनीताल,हरिद्वार, मसूरी जैसी पर्यटक/धार्मिक नगरी के तो सभी व्यापार पूरी तरह ठप्प हो चुका हैं। पूरे बाजार में सारे दिन सन्नाटा पसरा है। पर्यटक स्थलों के कई दुकानदारों का व्यापार केवल पर्यटकों से ही चलता है। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भी नैनीताल में मुख्य बाजार और माल रोड की कई दुकानों , रेस्टोरेंट अभी भी बंद हैं। हाईवे के किनारे की चाय – पानी की दुकानें और ढाबे बंद हैं।
आज जब पूरे देश में कोरोना के 22 लाख से अधिक संक्रमित सामने आ चुके हैं और अभी ये कहर बढ़ता जा रहा है तो पर्यटन व्यवसाय के उभरने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती । आज जब अनलाक 3 का दौर चल रहा है तब भी सरकार लोगों को ये सलाह दे रही है कि अभी लोग घर में ही रहें। जब सरकार की कालर ट्यून ही आपसे घर में रहने की हिदायत दे रही हो तो कोई क्यों घर से बाहर निकले।
कैसा पर्यटन?
उच्च मध्य वर्ग के ऐसे लोग जो खाये-अघाये हैं और जिनकी घर में दम घुट रहा हैं वे लोग अभी भी घूमने के लिए छटपटा रहे हैं। ऐसे लोगों का उत्तराखण्ड और हिमाचल घूमना मुश्किल हो रहा है तो दिल्ली और आसपास के लोग राजस्थान की तरफ रूख कर रहे हैं। कोरोना आपदा में वहाँ पर्यटकों के लिए ज्यादा छूट है।
कुछ बड़े होटलों को ये उम्मीद है कि आने वाले शादी – ब्याह के सीज़न में काम शुरू हो जाएगा। काश ऐसा ही हो। सीजन में नैनीताल व मसूरी जैसे पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों का दबाव इस कदर रहता है कि उत्तराखण्ड सरकार अपना पूरा जोर यहाँ से पर्यटकों को भगाने में लगाती है। पूरे देश में उत्तराखण्ड ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन देकर पर्यटकों से यहां न आने की अपील करती है। अब जब कोरोना काल में ये सारी जगह सैलानियों से मुक्त हो चुकी है यहाँ पुनः सैलानियों को बुलाना एक नयी चुनौती है। यह देखना होगा कि पुनः पर्यटकों को लुभाने के लिए उत्तराखण्ड सरकार क्या करती है?? फिलहाल तो मुख्यमंत्री द्वारा घोषित १५० से अधिक स्वरोजगार की योजनाएं बहुत ही सतही हैं और इससे पर्यटन कारोबार उभरने की संभावनाएं नहीं है। ये सारे स्वरोजगार भी तभी चलेंगे जब हमारे पहाड़ सैलानियों से गुलजार होंगे।
उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था और रोजगार का आधार पर्यटन ही है । इसके अलावा पूरे देश भर में होटल कार्मिकों के रूप में यहाँ के निवासियों का दबदबा है । ऐसे हालात में बहुत ही चरणबद्ध तरीके से इस व्यवसाय को खोले जाने के विषय में सरकार को विचार करना चाहिए। ताकि कुछ लोगों का रोजगार तो शुरू हो सके।
सरकारी राहत पैकेज में उन लोगों को भी कुछ राहत मिलनी चाहिए जिन्होने पैसा उधार लेकर इस उद्योग में लगाया है।इस कारोबार को बिजली ,पानी के बिल और ऋण पर ब्याज में छूट की दरकार है। आने वाले कुछ सालों तक जेएसटी में भी कुछ छूट दी जानी चाहिए। सरकार को अब कई चरणों में काम करना है। एक तो इस उद्योग को खोलना है दूसरा पर्यटकों को आमंत्रित कर यह आश्वस्त करना है कि उत्तराखण्ड पर्यटकों के लिए हमेशा की तरह आकर्षक और सुरक्षित है।
पर्यटन से जुड़े लोगों का मानना है कि अनलाक-3 के तहत पर्यटकों को जो छूट सरकार द्वारा दी गयी है , जिला प्रशासन के कर्मचारी और अधिकारी उन नियमों को लागू करा पाने में असमर्थ हैं । भीमताल के होटल व्यवसायों का कहना है कि पर्यटकों के पास सभी वैध दस्तावेज़ , ई- पास व कोरोना की नेगेटिव रिपोर्टें होने के बाद भी प्रदेश के तमाम पुलिस बैरियारों में रोका जा रहा है। निचले स्तर के कर्मचारियों को अनलॉक -३ की गाइडलाइन की जानकारी ही नहीं है। नैनीताल व भीमताल आने वाले पर्यटकों को जांच के लिए गौलापार स्टेडियम भेजा जा रहा है। लेकिन रामनगर जाने वालों के लिए ये व्यवस्था नहीं है। सब जगह अफरा – तफरी का माहौल है। पुलिस वाले होटल पहुंच कर भी पर्यटकों को अनावश्यक रूप से परेशान का रहे हैं ।
अगर वे दिन में घूम भी रहे हैं तो वहां भी बाहर की गाड़ी देखकर उनसे पूछताछ की जा रही है। नैनीताल, भीमताल के होटल व्यवसायी इतने लिजलिजे और डरपोक हैं कि वे प्रशासन के सामने अपनी बातों को दमदार तरीके से रख भी नहीं सकते।हालाँकि इस आपदा काल में देश के सारे भले-बुरे फैसले लेने का अधिकार केवल मोदी सरकार ने अपने हाथ में ले लिया हैं। राज्य सरकारें अपाहिज हो गयी हैं।
पर्यटन उद्योग सबसे संवेदनशील कारोबार है और यह कारोबार तभी संभल पायेगा जब पूरे देश कोरोना की दहशत से बाहर निकलेगा और लोगों को घर से बाहर सुरक्षित रहने का भरोसा हो जायेगा।
सारे सार्वजनिक परिवहन के सुचारू होने ,स्कूल-कालेजों के खुलने, सभी यात्राओं पर प्रतिबंधित समाप्त होने, सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों के शुरू होने के बाद ही पर्यटन उद्योग की सांसे वापस आयेंगी। इस उद्योग के उभरने के लिए अभी लम्बा इंतजार करना होगा ।
कम से कम दो साल ।