हेमराज सिंह चौहान
लेबर रूम में तड़पता छोड़ लापता हुए डॉक्टर और नर्स
अल्मोड़ा: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ सुविधाओं की कमी से लोग पहले ही परेशान है और ये रामभरोसे चल रही है। यहां के ज्यादातर सरकारी हॉस्पिटल रेफर सेंटर में तब्दील हो गए हैं। सूबे के अल्मोड़ा जिले से ऐसा मामला सामने आया है जो सुनकर किसी के भी रोंगेट खडे़ हो जाएंगे। अल्मोड़ा के विक्टर मोहन जोशी महिला जिला अस्पताल में डॉक्टरों और नर्सों की लापरवाही की वजह से एक गर्भवती महिला की जान पर बन आई। यहां जिला अस्पताल में हीरा देवी जो कि कठपुड़ियाछाना, बागेश्वर की रहने वाली है। प्रसव पीड़ा होने के बाद उसके परिजन उसे हॉस्पिटल लेकर आए। डॉक्टरों ने महिला को एडमिट करने के बाद लेबर रूम में भेज दिया।
लेबर रुम में महिला को प्रसव पीड़ा में तड़पता छोड़कर पूरा स्टॉफ लापता हो गया है। इस बीच महिला दर्द से कराहती रही। महिला को दर्द को देखते हुए जब उसके परिजनों ने हंगामा किया तो डॉक्टर और स्टॉफ लेबर रूम में पहुंचा। उनके पहुंचने तक आधा बच्चा बाहर आ चुका था। डॉक्टरों ने इसके बाद महिला की डिलीवरी कराई। लेकिन डॉक्टरों की इस गैर पेशेवर रवैये ने सूबे की बेहाल स्वास्थ-व्यवस्था की पोल खोल दी। जच्चा-बच्चा दोनों की इस लापरवाही की वजह से जान जा सकती थी। सवाल ये उठता है कि उसकी देखरेख के लिए वहां पर कोई मौजूद क्यों नहीं था और ऐसा कौन सा जरूरी काम था कि सबको बाहर जाना पड़ा।
बताया जा रहा है कि महिला का पति एलआईसी एजेंट है और उसका नाम विनोद है। हमने उससे संर्पक करने की कोशिश की लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो पाई। एक स्थानीय पोर्टल द्वारा अपलोड किए गए एक वीडियो में गर्भवती महिला के पति ने अस्पताल के डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ये कोई पहली बार नहीं है कि जिले के सरकारी हॉस्पिटल के रुख पर सवाल उठे हों। इससे करीब दो महीने पहले एक गर्भवती महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उनका कहना था कि उसे सही समय पर रेफर नहीं करा गया। राज्य की 19 वीं वर्षगांठ इसी महीने 9 नवंबर को मनाई गई। सोचिए इसके एक हफ्ते बाद हुई इस घटना ने सरकार के दावों की पोल खोल दी। इन 19 सालों में इस राज्य को शिक्षा और स्वास्थ की सबसे ज्यादा जरूरत थी, ताकि पलायन रोका जा सकता।
गौरतलब है कि जिले में मेडिकल कॉलेज लाने का प्रचार जोर-शोर से किया। उसके आने के बावजूद हालात सुधर नहीं रहे हैं। अस्पताल में डॉक्टर हैं तो मशीने नहीं, मशीनें है तो उसे ऑपरेट करने वाले नहीं। हाल ही में अल्मोड़ा में हार्ट केयर सेंटर भी बंद हो गया है, जिससे हजारों मरीजों को झटका लगा है। लेकिन अगर थोड़ा सा गंभीरता से सोचेंगे तो आप पाएंगे इसी वजह स्वास्थ क्षेत्र का भी शिक्षा की तरह निजीकरण ही मुख्य वजह है। सरकार इस क्षेत्र में उस तरह से संसाधन नहीं झोंक रही है, जैसा झोंकने चाहिए थी। राज्य में आजतक कोई कारगर स्वास्यथ नीति नहीं बन पाई। मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा पहाड़ों में डॉक्टरो की संख्या बेहद कम है। अनुभवी डॉक्टर सरकारी पदों से इस्तीफा दे कर निजी हॉस्पिटल में काम कर रहे हैं। ऐसे में जहां राज्य में प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 90 हजार दो सौ चौरासी रुपये है, तो ऐसे में कितने लोग निजी हॉस्पिटलों में अपना इलाज कर सकते हैं।