महिपाल नेगी
5500 से ज्यादा बच्चों पर पड़ गई इसकी मार। इस वर्ष मार्च में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा के आखिरी दिन मैं टिहरी जिले के एक अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज में मौजूद था। 12वीं के आखिरी पेपर के बाद हमें बच्चों से “कैरियर गाइडेंस व काउंसलिंग“ हेतु आमंत्रित किया गया था। मुझे उसी दिन एहसास हो गया था कि उत्तराखंड के 155 अटल उत्कृष्ट कॉलेजों के बच्चों पर सीबीएसई बोर्ड थोप दिया गया है, जिसके परिणाम निराशाजनक होंगे। ये कॉलेज नए नहीं खुले थे, बल्कि राज्य बोर्ड के पुराने कॉलेजों का नाम बदलकर सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध कर दिया गया था। बच्चों के पास इन्हें बदलने का कोई विकल्प नहीं था क्योंकि उन क्षेत्रों में आसपास राज्य बोर्ड के दूसरे इंटर कॉलेज नहीं हैं। कल सीबीएसई बोर्ड के परीक्षा परिणाम घोषित हुए तो मेरी आशंका सही साबित हुई। 155 कॉलेजों में हाई स्कूल के 8499 और इंटर के 12534 बच्चों ने परीक्षा दी थी और परिणाम क्रमशः 60.49% और 51.49% ही रहा।
पिछले वर्ष उत्तराखंड बोर्ड के हाई स्कूल और इंटर का परीक्षा का परिणाम क्रमशः 78% और 85% रहा था, जिसमें से 155 यह कॉलेज भी शामिल थे। यदि उत्तराखंड बोर्ड का इस सत्र का परीक्षा परिणाम, जोकि अभी आना बाकी है, गत वर्ष के परिणाम के आस पास ही रहता है तब अंदाजा लगाइए इन अटल उत्कृष्ट कॉलेजों का परिणाम भी इसके आसपास (दो या चार परसेंट कम ज्यादा ही रहना था)
इस तरह समझिए –
उत्तराखंड के अटल उत्कृष्ट कॉलेजों में इस वर्ष हाई स्कूल में 8499 बच्चों ने परीक्षा दी जिसमें उत्तीर्ण हुए 5141 लेकिन यदि इसे गत वर्ष उत्तराखंड बोर्ड के परीक्षा परिणाम के सापेक्ष देखें तब लगभग 6600 बच्चे पास होने चाहिए थे। इस तरह है करीब 1500 बच्चे थोपे गए बोर्ड के कारण फेल हो गए हैं। इसी तरह इंटरमीडिएट बोर्ड में 12534 बच्चों ने परीक्षा दी, इनमें 6454 ही उत्तीर्ण हुए लेकिन गत वर्ष उत्तराखंड बोर्ड के परिणाम के सापेक्ष इसे देखें तब लगभग 10600 बच्चे पास होने चाहिए थे अर्थात लगभग 5400 बच्चे थोपे गए बोर्ड के चलते फेल हो गए। हाईस्कूल व इंटर दोनों को मिलाकर देखें तब करीब 5700 बच्चे अटल उत्कृष्ट कॉलेजों पर थोपे गए सीबीएसई बोर्ड के कारण फेल हुए हैं। जिनकी समझ में यह बात नहीं आ रही है वे अगले साल फिर इन विद्यालयों के परीक्षा परिणाम का इंतजार करें। इन विद्यालयों को सीबीएससी के अनुरूप ढलने में या ढाले जाने में अगले 5 से 7 वर्ष और लगेंगे।
सीबीएसई के देहरादून रीजन के परीक्षा परिणाम देश में सबसे कम लगभग 90% रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण यह 155 अटल उत्कृष्ट कॉलेज ही हैं। अन्यथा इस रीजन में जवाहर जवाहर नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय व अन्य प्राइवेट कॉलेजों का परीक्षा परिणाम तो लगभग 99% रहा है। क्या आपको ताज़्जुब नहीं हो रहा है कि हमेशा ही बोर्ड परीक्षाओं में हाई स्कूल के मुकाबले इंटर का परिणाम करीब 10 -12% अधिक रहता है लेकिन अटल उत्कृष्ट कॉलेजों में इंटर का परिणाम हाई स्कूल से करीब 10 % नीचे है। मुझे इसका स्पष्ट कारण मालूम है, लेकिन कुछ दिमाग बच्चे, उनके अभिभावक, शिक्षक और सरकार भी तो खर्च करे भाई और हां, अभी एक और रहस्य है, लेकिन पोस्ट लम्बी हो रही है, आगे फ़िर बताऊंगा।
समझ गए क्या ….? नहीं समझे …..? शिक्षक तो इस बात को समझ गए होंगे, लेकिन अभिभावकों और उनकी सरकार की समझ में इतनी जल्दी तो कुछ आने से रहा।