राजीव लोचन साह
उत्तराखंड को क्या हो गया है ? डबल इंजन की बहुमत वाली सरकार है। अच्छे भले यहाँ के मुख्यमंत्री हैं। उन्हें नजदीक से जानने वाले कहते हैं कि वे एक विनम्र और खुशमिजाज व्यक्ति हैं। इतनी कम उम्र में एक प्रान्त की जिम्मेदारी मिल जाने पर भी उनमें कोई घमण्ड या हेकड़ी नहीं है। इसीलिये उनके दो बार मुख्यमंत्री बन जाने के बावजूद उनके मंत्रिमंडल में असंतोष की कोई सुगबुगाहट कभी सुनाई नहीं देती। वे कभी नौजवानों के साथ दौड़ लगा देते हैं, कभी सार्वजनिक रूप से योगा करने बैठ जाते हैं तो कभी सड़क पर के ठेले वालों से कुछ खरीदने पहुँच जाते हैं। ऐसी अदायें उन्होंने अपने प्रधानमंत्री जी से सीखी होंगी। इससे मुख्यधारा के मीडिया, जिसके पास अब करने के लिये ज्यादा कुछ बचा नहीं, को अच्छा मसाला मिल जाता है। मगर इस सबके बावजूद उनमें कोई राजनैतिक दृष्टि तो दिखती नहीं। उनकी सरकार कुछ करती हुई नहीं लगती। कभी लगता है कि केन्द्र सरकार से कुछ निर्देश मिले हैं, जिन पर वे चुपचाप अमल कर दे रहे हैं तो कभी लगता है कि वे पड़ौसी राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नकल कर वाहवाही लूटना चाह रहे हैं। पिछले विधान सभा चुनाव से पूर्व उनकी पार्टी को प्रदेश की भूमि व्यवस्था की बड़ी चिन्ता थी। अब उनकी सरकार बने आठ माह से ज्यादा हो गये हैं और उन्हें भू कानून के बदले समान नागरिक संहिता की चिन्ता सताने लगी है। सरकारी स्कूलों की दुर्व्यवस्था है। एक जगह तो छत गिरने से बच्चे मर गये। मगर उन्हें मदरसों को ठीक करने की फिक्र ज्यादा है। हेलंग में पुलिस ने घसियारी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया तो वे बगल के गाँव में हो रहे भागवत कार्यक्रम में भाग लेने तो चले गये, उन महिलाओं के हाल पूछने नहीं गये। उस घटना में आयुक्त गढ़वाल की जाँच हो रही थी। उस जाँच में क्या हो रहा है किसी को नहीं मालूम। भर्ती घोटाले सार्वजनिक होते हैं, उन्हीं की पार्टी के एक पूर्व मुख्यमंत्री विकास कार्यों में कमीशनखोरी का आरोप लगा देते हैं मगर उनके मुँह से कोई स्पष्टीकरण तक नहीं निकल पाते। इस सरकार ने बहुत जल्दी ही अपनी विश्वसनीयता खो दी है। मगर जैसी भी है, है तो यह चुनी हुई सरकार और इसे अगले चार साल तक झेलने के लिये जनता अभिशप्त है।
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bhatt.trilochan@gmail.com
पोर्टल वालों को ₹25000 महीने का देते हैं आदेश है कि मुख्यमंत्री की रोज 3 खबरें लगाएं