समाचार डैस्क
वाई.टी.डी.ओ., जिसे हिन्दी में युवा पर्यटन विकास संस्थान कहा जाता है, के संस्थापक सदस्य विजय मोहन सिंह खाती जी को हमारे पड़ोसी देश नेपाल का ’फेयरवेस्ट ट्रेवल मार्ट- 2022’ सम्मान प्राप्त हुआ है। नैनीताल के पर्यटन से जुड़े इस दिग्गज को ’नैनीताल समाचार’ की ओर से बधाई देते वक्त जो कुछ बातचीत हमारे बीच हो पाई वो कुछ इस तरह से है :-
नैनीताल समाचार- ये सम्मान आपको क्यों दिया गया ? आपके लिये इसके क्या मायने हैं ?
खाती जी- पिछले 40 वर्षों से मैं नेपाल के लिए टूर आयोजित करता आ रहा हूं। इस कारण नेपाल में पर्यटन को बढ़ावा देने में मेरा भी थोड़ा बहुत सहयोग रहा है। मेरी इसी मेहनत को सम्मान प्राप्त हुआ है। मुझे मंच में सम्मानित कर एक शॉल भेंट किया गया। मेरे लिए यह गर्व का क्षण था।
नै. स.- आपके द्वारा नेपाल को पर्यटन के लिए चुनने के क्या कारण हैं ?
खाती जी- नेपाल अपने सौन्दर्य और संस्कृति के कारण मुझे प्रारम्भ से ही आकर्षित करता रहा है। बिल्कुल हमारे पहाड़ जैसे नेपाल में पर्यटन सस्ता भी बहुत है। पहले जो टूर 12 दिन का होता था अब वह 8 दिन का हो गया है। धनगढ़ी से कई हवाई सेवाएं हैं। पहले काठमांडू पहुँचने में दो से तीन दिन तक लग जाते थे। अब धनगढ़ी से काठमाण्डू मुश्किल से एक घंटे का रास्ता है।
नेपाल पर्यटन के क्षेत्र में अपने को तेजी से बदल रहा है। लोगों ने इस क्षेत्र में बड़े-बड़े इन्वेस्टमेंट किए हैं। यहाँ के पूर्वी भाग में स्थित जनकपुर ऐसी जगह है जहां कोई नहीं जाता था। पर अब इसे काठमाण्डू टूर के साथ जोड़ दिया गया है। भारत की तुलना में वहां की हवाई सेवाओं को बहुत बेहतर कहा जा सकता है। मुझे पिछले सितम्बर का वाकया याद है जब घनघोर वर्षा और आंधी-तूफान के बावजूद में हवाई सेवा द्वारा धनगढ़ी से काठमाण्डू पहुंचा। ए.डी.बी. के कारण नेपाल की सड़कें भी अब बेहतर हो गई है।
नै. स.- नेपाल में आपको पहले की अपेक्षा अब क्या बदलाव दिखता है ?
खाती जी- काठमाण्डू के आसपास गरीबी घटती हुई दिखती है। बड़े-बड़े बांध बन रहे हैं। कई तरह के निर्माणों में वहां के स्थानीय लोग रोजगार पा रहे हैं।
नै. स.- नेपाल के पर्यटन को लेकर आप की भविष्य की योजनाएं क्या हैं?
खाती जी- आजकल में मुक्तिनाथ के प्रचार प्रसार में लगा हूं। मुस्तान जिले में स्थित मुक्तिनाथ 13,200 फीट की ऊँचाई पर है। यह लेह-लद्दाख सा खूबसूरत है। वहां के अधिकांश निवासी तिब्बती शरणार्थी हैं। हमारे मित्र पेमा गेकिल सिथर का बचपन वहीं गुजरा है। वहां शालीमार पत्थर मिलता है। मन्दिर की विष्णु प्रतिमा इसी पत्थर से बनी है। बौद्ध लोगों में भी इस मन्दिर की मान्यता है। यहां तक कि इस मन्दिर का एक पुजारी भी बौद्ध है।
हालांकि मुक्तिनाथ टूर ले जाने का यह मेरा प्रथम प्रयास होगा। पर मैं अच्छी तरह जानता हूं कि हर एक को यह बहुत पसंद आएगा। मुक्तिनाथ है ही इतना खूबसूरत।
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batrohi
खाती जी को इस उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई।