इन्द्रेश मैखुरी गढ़वाली में एक कहावत है “दिदा भी भलो अर बौ भी भली” यानि भाई भी सही और भाभी भी सही ! यह एक तरह का तंज़ है, जो ऐसे व्यक्ति पर किया जाता है, जो दो विरोधाभासी स्थितियों में दोनों क... Read more
अतुल सती दिल्ली से आए साथी विद्या भूषण रावत जी, जिनका दलित आदिवासी क्षेत्रों लोगों, भूमि अधिकार पर विशेष व अन्य सामाजिक मुद्दों पर लम्बा गम्भीर कार्य है, के साथ नीति की तरफ जा रहा था । रास्त... Read more
विद्या भूषण रावत उत्तराखंड सरकार को चमोली जिले के जोशीमठ कस्बे से करीब 90 किलोमीटर दूर ग्राम नीति से करीब दो किलोमीटर आगे और गमसाली गांव से करीब एक किलोमीटर दूर धौली गंगा नदी का रास्ता साफ क... Read more
दिनेश जुयाल कुदरत को बचाने के लिए पूरी दुनिया की एक नया मंत्र देने वाली चिपको आंदोलन की मां गौरा देवी के गांव रैणी पर कुदरत कहर बन कर टूट पड़ी है। गांव के आधार को विकराल हो रही ऋषिगंगा कुरेद... Read more
देवेश जोशी 1857 की क्रांति में गढ़वाल भूभाग में पूरी तरह शांति रही।इतनी कि तत्कालीन कमिश्नर रैमजे को गढ़वाल भ्रमण पर होने के बावजूद नैनीताल पहुँचना ही श्रेयस्कर लगा। उसी गढ़वाल में अंग्रेजी रा... Read more
देवेश जोशी उत्तराखंड में जनसामान्य गुलदार (लेपर्ड) को बाघ के नाम से ही जानता है। बोलचाल, गीत, कथा व अखबारों में भी इसी नाम का प्रचलन है। सामान्यतया बाघ इंसानों पर हमला नहीं करते पर विभिन्न... Read more
अरुण कुकसाल गढ़वाल में यात्रा सीजन तेजी से अपने चरम की ओर है। तो दूसरी ओर प्रवासी लोगों का अपने घर-गांवों की ओर गर्मियों में आने का सिलसिला भी प्रारम्भ हो गया हैै। गर्मिैयों में एक तरफ यात्रि... Read more
बचपन- बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी एवं साहित्यकार श्री चमन लाल प्रद्योत का जन्म 3 मई 1936 को ग्राम- भीमली तल्ली (पालसैंण तोक), पट्टी- पैडुलस्यूं, जनपद- पौडी गढवाल में... Read more