विनीता यशस्वी
जननायक शमशेर सिंह बिष्ट की तीसरी पुण्य तिथि के अवसर में 22 सितम्बर 2021 को अल्मोड़ा में एक आयोजन किया गया। इस आयोजन में भू-कानून पर एक गोष्ठी भी रखी गयी थी। भू कानून के अलावा आयोजन के माध्यम से विभिन्न राजनैतिक दलों को एकजुट करने की कोशिश की गई. उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड लोक वाहिनी तथा उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी की इस मंच पर एक साथ उपस्थिति इस कार्यक्रम की विशेषता रही। आयोजन में विशेष रूप से इस बात पर मंथन किया गया कि 2022 में उत्तराखंड में होने वाले चुनावों में सभी राजनैतिक दलों की क्या भूमिका रहेगी।
गोष्ठी का संचालन पूरन चन्द्र तिवारी व दयाकृष्ण काण्डपाल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। गोष्ठी की शुरूआत जनकवि गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ के जनगीतों से की गयी। गोष्ठी में ‘पहरू’ पत्रिका के सम्पादक हयात सिंह रावत ने कहा कि आज तक कोई भी पार्टी उत्तराखंड में क्यों न आई हो, पर किसी ने भी यहाँ की क्षेत्रीय भाषा के लिये कोई काम नहीं किया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए ईश्वर दत्त जोशी ने भू कानून के बारे में विस्तार से बताया और कृषि से संबंधित अन्य समस्याओं का जिक्र भी किया। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष पी.सी. तिवारी ने कहा कि भू कानून के मामले में सबसे पहले तो उत्तराखंड सरकार, त्रिवेन्द्र रावत सरकार के समय सन् 2018 में बनाये भूकानून को वापस ले, जिसकी वजह से उत्तराखंड में जमीन की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिला है। इसी क्रम में पूर्व विधायक, उक्रांद के डॉ. नारायण सिंह जन्तवाल ने कहा कि राज्य बने हुए 21 साल हो चुके हैं, पर आज तक भी परिसंपत्तियों के अधिकार उत्तराखंड सरकार को हस्तांतरित नहीं हुए हैं।
आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल उक्रांद के केन्द्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने सभा को संबोधित करते हुए सभी स्थानीय पार्टियों को एकजुट होने के लिये कहा। उन्होंने बंगाल में हुए पिछले विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि बंगाल से हमें सबक लेना चाहिये कि एकजुट होकर ही उत्तराखंड के मुद्दों को सशक्त तरीके से उठाया जा सकता है। उत्तराखंड लोकवाहिनी के अध्यक्ष राजीव लोचन साह ने शमशेर सिंह बिष्ट जी से जुड़ी यादों को साझा करते हुए बताया कि कैसे शमशेर सिंह जी सबको एकजुट रखते थे और आंदोलनों को उनके अंत तक पहुँचाते थे। उन्होंने भी ऐरी जी की बात का समर्थन करते हुए सभी क्षेत्रीय दलों से एकजुट होने का आह्वान किया।
कुणाल तिवारी, भाष्कर भौर्याल, उदय किरौला, राम सिंह, बसन्त खनी, पूरन चन्द्र तिवारी व जगत रौतेला द्वारा हुड़के की थाप पर गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ का लिखा जनगीत ‘कस होलो उत्तराखंड कस हमारा नेता’ गाया गया। अंत में अजयमित्र बिष्ट ने सभी को धन्यवाद देकर गोष्ठी का समापन किया। कार्यक्रम मे जंगबहादुर थापा, शमशेर जंग गुरुंग, रेवती बिष्ट, उक्रांद के भानु जोशी, शिवराज बनौला, गिरीश लाल साह, आम आदमी पार्टी के अमित जोशी, नन्दलाल साह, अखिलेश टम्टा, विनोद पांडे, डॉ. उमा भट्ट व शीला रजवार सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
शाम को डॉ शमशेर सिंह बिष्ट की तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर पर एक वेबिनार का आयोजन भी किया गया जिसका विषय ‘डॉ.शमशेर सिंह बिष्ट का जल, जंगल, जमीन का संघर्ष और वर्तमान परिदृश्य में उसकी महत्ता’ था।
मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली से चारु तिवारी ने अपने संबोधन में भू कानून का इतिहास विस्तृत रूप से रखा। उन्होंने 1823 बंदोबस्त, 180 साला बंदोबस्त से लेकर सन 2020 तक के सभी नियमों और कानून को विस्तृत रूप से बताया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उत्तराखंड के 54 लाख हेक्टेयर भूमि क्षेत्र में 34 लाख हेक्टेयर वन भूमि है। 10 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि और 75 हजार हैक्टेयर भूमि आमजन के पास है। वेबिनार में श्री तरुण जोशी ने भूमि कानून की व्यवहारिक जटिलताओं को सरलता से स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि पूरे उत्तराखंड में 2 जिलों हरिद्वार और उधम सिंह नगर को मिलाकर 50 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि है जबकि उत्तरकाशी क्षेत्र में 3.5 प्रतिशत और अन्य जिलों को मिलाकर 4 प्रतिशत ही कृषि योग्य भूमि उत्तराखंड में उपलब्ध है। वेबिनार में तीसरे वक्ता के रूप में डॉ रवि चोपड़ा पूर्व निदेशक लोक विज्ञान संस्थान देहरादून ने अपने संबोधन में डॉ शमशेर सिंह बिष्ट के साथ किए कार्यों को सभी के सामने रखा। उन्होंने बताया कि कैसे डा. बिष्ट के साथ मिलकर उन्होंने लघु विद्युत परियोजनाओं का खाका तैयार किया जिससे कि आम जन को रोजगार भी मिल पाता और साथ ही यहां के संसाधनों पर यहां के लोगों का ही हक होता। चारधाम योजना के बारे में बोलते हुए डॉक्टर चोपड़ा ने कहा यह विकास नहीं विनाश का रास्ता नजर आता है। माननीय उच्चतम न्यायालय का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र में रोड की चौड़ाई अधिकतम 7 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन अजयमित्र सिंह बिष्ट ने किया। अंत में श्रीमती रेवती बिष्ट ने सभी का आभार और धन्यवाद जताया और डा. शमशेर सिंह बिष्ट के साथ ही गिरीश तिवारी “गिर्दा“, स्वामी अग्निवेश और उन तमाम साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। वेबिनार में डा. शेखर पाठक, विनोद बडोनी, स्वप्निल श्रीवास्तव, पूरन चंद्र तिवारी, चंदन घुघतियाल, राजीव लोचन साह, जगत रौतेला, दयाकृष्ण कांडपाल, अजय सिंह मेहता आदि लोगां ने भाग लिया।
One Comment
करुणा पांडे
बहुत सुनदर कार्यक्रम ,अपनी भाषा और राज्य के लिए इस तरह के आयोजनों की बहुत जरुरत है ,साधुवाद