प्रो. सावित्री कैड़ा जन्तवाल
2 अक्टूबर 1994, इसी दिन सत्य, अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का जन्म भी होता है। इसी दिन 2 अक्टूबर को उत्तराखण्ड की महिलाएं अपनी बात कहने जब दिल्ली जा रही थी तो तत्कालीन मुलायम सिह यादव की सरकार ने उन महिलाओं को मुज्जफरनगर के रामपुर तिराहे पर रोक दिया गया था और उन महिलाओं के साथ दरिंदगी की गई थी। भारतीय इतिहास का यह काला दिन याद कर आज भी उत्तराखण्ड के निवासी सिहर जाते हैं।
एक तरफ पुलिस ने ऐसी ज्यादती की थी तो दूसरी और रामपुर तिराहा के आसपास के गांवो के लोगों ने यहां की महिलाओं को शरण दी, उन्हें वस्त्र व भोजन दिया था। और तो और ग्राम बगवाड़ी के मुस्लिम भाईयों अखिर व सलीम ने यहां की महिलाओं को सहायता व सुरक्षा दी जिनको बाद में उत्तराखण्ड की विजय बहुगुणा सरकार ने सम्मानित भी किया था।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति जिन्होंने अपने तन मन धन से उस समय उत्तराखण्ड आंदोलनकारियों की सहायता की थी वो हैं सिसौना गांव के महावीर शर्मा। उन्होंने अपने घर मैं बहुत सारी महिलाओं को शरण दी व भोजन व वस्त्र दिये, और तो और उन्होंने शहीद उत्तराखण्ड आन्दोलनकारियों की याद को चिरस्थाई बनाने हेतु अपनी 5 नाली जमीन दान में कर दी ताकि जब भी उत्तराखण्डवासी इस जगह से गुजरें तो उन्हें अपने (पूर्वज) शहीदों की याद आएगी जिन्होंने अपनी जान देकर उत्तराखण्ड राज्य का सपना पूरा किया।
प० महावीर शर्मा ने मुझसे 8 अक्टूबर 2007 को उनके घर सिसौना, रामपुर तिराहा (मुज्जफरनगर) में मुलाकात के दौरान कहा था कि उन्होंने अपना शरीर भी उत्तराखण्ड सरकार को दान कर दिया है ताकि मरने पश्चात उनके शरीर के अंग किसी भी उत्तराखण्डी के काम आ जाए, उस समय वह 72 वर्ष के थे लेकिन यह हो पाया कि नहीं इसे जानने हेतु मैंने उनके घर में बहुत बार फोन किया तो फोन बराबर स्विच ऑफ आ रहा था।
यही महापुरुष 27 जुलाई 2022 को इस दुनिया को छोड़कर चले गये हैं तो मुझे उनके घर में उनके साथ बिताये पल व उनकी बातें बरबस याद आ रही हैं कि ‘शाबास बेटा, तुम नैनीताल से उत्तराखण्ड <span;>के शहीदों के बारे में जानने व लिखने के लिए मेरे पास आई हो, मुझे बहुत गर्व है’।
उनके द्वारा दी गयी जानकारियों के लिए मैं तो आजन्म उनकी ऋणी रहूंगी साथ ही साथ उनके इस योगदान के लिए सम्पूर्ण उत्तराखण्ड उनका ऋणी बना रहेगा और उनके द्वारा दान में दी गई 5 नाली जमीन में बना शहीद स्मारक उनकी दानवीरता की याद हमारे उत्तराखण्ड वासियों के दिलों में हमेशा संजोय रखेगा ।
मैं इतिहास विभाग, डी0एस0बी0 परिसर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल व नैनीताल समाचार परिवार की ओर से उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।