महेश पुनेठा
आज हर किसी की जुबां में कल शाम हुई बारिश के किस्से हैं। जहां भी दो लोग मिल रहे हैं,उनकी बातचीत के बीच कल की बारिश बरस पड़ रही है। कल शाम 4 बजे से लगभग 2 घंटे तक बारिश होती रही। इतनी तेज कि एक मिनट आप बाहर निकलें,पूरे भीग जाएं। बारिश का पानी न केवल सड़कों में दौड़ रहा था, बल्कि बहुत सारे घरों के भीतर भी घुस गया। पैदल तो छोड़िए गाड़ियों में का चलना भी कठिन हो गया। जहां पानी को दौड़ने या घुसने की जगह नहीं मिली, वहां पैर जमा कर खड़ा हो गया और ताल तलैया बन गए। सोशल मीडिया में ऐसे बहुत सारे वीडियो आप देख सकते हैं। कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बारिश ने कुछ समय के लिए शहर में कर्फ्यू लगा दिया।
कल के हालात जानने के लिए आज सुबह मैंने शहर की लगभग 7 किलोमीटर परिधि का एक चक्कर लगाया। पानी तो कहीं कहीं दिखा लेकिन उसके गुस्से के निशान चारों ओर दिखाई दिए,जिन्हें आप विडियोज में देख सकते हैं। जगह-जगह सड़कों में मालवा और प्लास्टिक का कूड़ा करकट अभी भी बिखरा पड़ा है।
भविष्य में फिर से बारिश का ऐसा गुस्सा न दिखाई दे, उसके लिये हमें ठोस उपाय करने होंगे। कुछ उपाय, जो मेरे समझ में आ रहे हैं,विचार के लिए प्रस्तुत कर रहा हूं। यदि उचित लगें तो शेयर कीजिएगा।
* हर भवन(सरकारी गैर सरकारी) में वर्षा जल के संग्रहण की व्यवस्था की जाय।
* शहर के आसपास की पहाड़ियों में, जहां से शहर के बीच से बहने वाले गाड़ गधेरे निकलते हैं, वहां ताल खाल बनाए जाएं।
* नालियों से बारिश का पानी निर्बाध रूप से जा सके, इसके लिए नालियों को पूरी तरह से खुला रखा जाय क्योंकि प्लास्टिक के कूड़े से अधिकांश नालियां बंद पड़ी हुई हैं।
* प्लास्टिक के कूड़े के निस्तारण के लिए ठोस व्यवस्था की जाय। हर व्यक्ति इसे अपनी जिम्मेदारी समझे।
* अधिकांश गाड़ गधेरे प्लास्टिक कूड़े के डंपिंग जोन बनते जा रहे हैं,इससे उन्हें बचाया जाय।साथ ही भवन या सड़क निर्माण कार्य से निकलने वाले मलवे को गाड़ गधेरों में न डाला जाय।*प्राकृतिक गाड़ गधेरों के अपवाह क्षेत्र में अतिक्रमण कर निर्माण कार्य न किया जाय।
* आसपास की पहाड़ियों में,विशेष रूप से बजेटी से ऊपर वाली पहाड़ी में वृक्षारोपण किया जाय।
इनके अलावा भी अन्य उपाय हो सकते हैं आप सुझा सकते हैं। आपके सुझावों का स्वागत है।