नाम : ज्योति आर्या
उम्र : 16 वर्ष
ग्राम थपलिया (मेहरागांव)
नौकुचियाताल, भीमताल, नैनीताल
‘‘नशा एक अभिशाप है सबको ये समझाएं, देश का भविष्य हैं युवा, जीवन इनका बचाएं‘‘!!
प्रस्तावना- किसी भी देश के युवा उस देश के विकास का प्रमुख आधार होते हैं। देश का भविष्य कैसा होगा यह देश के युवाओं पर ही निर्भर होता है। युवा अगर चाहें तो अपनी कड़ी मेहनत और लगन से खुद के साथ-साथ देश को भी बुलन्दियों तक पंहुचा सकते हैं। परंतु अगर यही युवा नशे की लत का शिकार बन जाएं तो अपने साथ-साथ घर परिवार के विनाश का कारण बन जाते है। ऐसी स्थिति में देश का विकास भला किसी प्रकार सम्भव हो सकता है।
नशाखोरी/नशे की लत का अर्थ-किसी नशीले पदार्थ के नियमित सेवन को नशाखोरी कहते है। जब कोई इंसान रोजाना नशीले प्रदार्थो का सेवन करता है तो उसे नशे की लत लग जाती है और नशे के बिना वह बिल्कुल भी रह नही पाता। इसलिए नशे की लत को एक सामाजिक अभिशाप माना जाता है। आज देश में अमीर-गरीब, युवा, वृद्व, स्त्री, पुरुष शिक्षित अशिक्षित सभी इस बुरी लत के शिकार है। यहाँ तक कि बहुत से बच्चे जो किशोरावस्था में है वे भी नशे के आदि हो चुके हैं।
युवाओं में नशाखोरी के कारण-युवाआें में नशाखोरी के बहुत से कारण है गलत संगत में पड़कर नशा करना और फिर नशे का आदि हो जाना इसका सबसे प्रमुख कारण हैं इसके अलावा घर का तनावपूर्ण माहौल भी बच्चों को नशे की तरफ धकेलता है। घर में स्नेह ना मिल पाना बेरोजगारी, बार-बार कार्यो में विफलता, काम धंधा सही प्रकार से ना चल पाना, भविष्य की चिंता, सम्बन्धों में धोखा मिलना आदि कुछ ऐसे कारण हैं जिनके कारण मानसिक तनाव लेकर नशे में पड़ना आजकल आम बात हो गयी हैं।
भारत में नशा और युवा वर्ग- वर्ततान समय में भारत सम्पूर्ण विश्व में सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश है। लेकिन देश के युवा वर्ग ने नशे को एक फैशन के तौर पर बना लिया है। नशा अब मौजमस्ती का नहीं अपितु आज की युवा पीढ़ी के लिए आवश्यकता बन गया है। सरकारी आकड़ों के हिसाब से देश की 70 से 75 प्रतिशत आबादी किसी न किसी प्रकार का नशा करती है। बल्कि वर्तमान में कोकीन, हेरोइन, गांजा, चरस नशीली दवाइयों आदि का नशा युवाओं को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है। भांग का नशा करने वालों की संख्या भी भारत में बहुत अधिक हैं, देश में लगभग 90 से 95 लाख लोग भांग का रोज सेवन करते है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 70 फीसदी युवा नशे के आदि हैं
नशे का युवाआें के जीवन पर दुष्प्रभाव-नशा एक ऐसी बुराई है जो हमारे समूल जीवन को नष्ट कर देती हैं नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है। नशा स्वास्थ्य के साथ सामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से ठीक नहीं है। समाज में ऐसे व्यक्ति को सम्मान की दृष्टि से नही देखा जाता और उसकी सामाजिक क्रियाशीलता शून्य हो जाती है। नशे के सेवन से जन और धन दोनां की हानि होती है। आजकल शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए ‘एक्सीडेंट करना आम बात हो गयी है। पत्नी के साथ घरेलू हिंसा, महिलाओं के साथ यौन हिंसा चोरी, आत्महत्या आदि अनेक अपराधों के पीछे नशा एक बहुत बड़ी वजह है।
‘‘नशा जो करता है इंसान, बन जाता तो हैवान, ना रहती इज्जत उसकी, न रहता धर्म ईमान‘‘
युवाओं को नशे से दूर रखने के उपायः-नशे से बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि युवा अपने आपको तनाव से दूर रखें और शरीर की ऊर्जा को सकारात्मक कार्यो में इस्तेमाल करें। खेल, शिक्षा इसका बेहतर ऑप्शन है। माता-पिता इस बात का विशेष ध्यान रखें की घर का माहौल और बच्चे की संगत अच्छी हो जो जीवन जीता है, नशा उसे छू भी नहीं सकता। माता-पिता को बच्चों के साथ ,खुल कर बात करनी चाहिए और उसे तनाव से दूर रखने का प्रयास करना चाहिए बच्चों को अच्छे और बुरे का सही आंकलन करना सिखना चाहिए। सरकार की ओर से चलाए जा रहे नशा मुक्ति अभिसान भी युवाओं को नशे से दूर रखने में सहायक है।
निष्कर्ष-जहाँ एक ओर नशा दीमक की तरह युवाओं की जवानी को चाट जाता है, वहीं दूसरी ओर यह सामाजिक सुरक्षा और विकास के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है। नशा कई तरह से देश को नुकसान पहुंचा रहा है। अतः सरकार का अपने राजस्व के लालच को छोड़कर नशे के खिलाफ गंभीर कदम उठाने चाहिए।
सब मिलकर समाज में इतनी जन जागरुकता फैलाए, नशे के कारण फिर किसी घर का चिराग ना बुझने पाए।
5 Comments
Jamal
अच्छा लेख , बधाई ज्योति आर्य को ।
Divyabh Manchanda
👏👏👏
Kaushal Tikku
Wonderful article written by a very perspicacious teenager. I completely agree with the sentiments expressed perhaps with one solitary exception (tongue-in-cheek). Nothing can be better than divine intoxication such as that experienced by Mirabai!
Usha Sondhi
Very well written article by Jyoti
R K Makharia
Very commendable for such a young person to have such an insight into a major problem affecting the youth and old alike. Such a drive by the youngsters will surely help to overcome this disease in the society.