शीतल
न बोलती है, न झगड़ती है,लेकिन किताबे हमें वह देती है; जो हमारा जीवन व्यक्तित्व और समाज के प्रति हमारा नजरिया बदल देती है।उनकी शक्ति सबसे व्यापक है।क्या नहीं है किताबों के पास ; असंभव को संभव बनाने की क्षमता रखती है।किताबों का प्रकाश , समाज को ज्ञान की ज्योति प्रदान करता है।बस यह सब हमारे हाथो में है।हम किस तरह से किताबों से जुड़कर ,खुद में वह बदलाव ला सके जो दुनिया में देखना चाहते है।
पढ़ने को खुद की दिनचर्या का हिस्सा बताने वाले साहित्यकार महेश पुनेठा बात करते हैं -एक दीपक जलाने की,जिससे बाकी दीपक भी प्रकाशमय हो जाएंगे।उनका एक सपना है, हर गांव मुहल्ले में एक लाइब्रेरी हो। जहां बच्चे खुद कुछ सीखते हो।बच्चो के बीच नए नए प्रयोग के लिए जाने-जाने वाले महेश पुनेठा बताते हैं कि सीमांत जिले पिथौरागढ़ में दो साथियों के सहयोग से ‘आरंभ’ नाम से छात्र-छात्राओं का एक समूह बना,जिसमें अब तक लगभग45 छात्र जुड़ चुके है।यह छात्र समूह पढ़ने-पढ़ाने से सम्बंधित बहुत सी एक्टिविटी आए दिन करता रहता है।इससे एक माहौल का निर्माण हुआ है।इसी तरह के छोटे-छोटे प्रयासों से ही आगे कुछ बड़ा हो पाता है।उन्होंने लाइब्रेरी चला रहे तमाम बच्चों का मनोबल बढ़ाते हुए कहा बच्चे कितने आ रहे है इसकी चिंता मत करो ,ज्यादा जरुरी है क्षेत्र में एक लाइब्रेरी का होना। उन्होंने अपने द्वारा पिछ्ले दिनों पढ़ी वरिष्ठ लेखक आर डी सैनी की पुस्तक ‘ किताब’ का सार संक्षेप बताते हुए किताबों की हमारे जीवन में महत्व पर प्रकाश डाला।यह पुस्तक आर डी सैनी द्वारा अपने व्यक्तिगत जीवन के अनुभव पर लिखी गई है, जिसमें वह बताते है कि कैसे किताबों ने उनकी जिंदगी बदल डाला।
रविवार के दिन को अक्सर आराम के दिन के रूप में देखा जाता है, जहां हम कुछ पल खुद के साथ बिताते हैं , इस दिन को शाइनिंग स्टार पब्लिक स्कूल रामनगर ने वर्चुअल स्पेस से जुड़ने का दिन बना दिया ।जो लोग सिर्फ खुद के लिए नहीं जीते है, बल्कि अपने जरुरी कामों से समय निकालकर समाज से जुड़ते हैं ;इसी विचार से प्रेरणा लेने वाले शिक्षक जनों ने बच्चो के अनुभवों को ऑनलाइन स्पेस देकर सार्थक कर दिया।इसमें नानकमत्ता के छात्र साथियों ने अपने लाइब्रेरी से जुड़े अनुभव रामनगर के साथियों से साझा किए । इस कार्यक्रम का उदेश्य बच्चो को सुनना था।उनके सामने क्या चुनौती आ रही है।उन्होंने कब और कैसे पुस्तकालय की शुरुवात की।इसमें उन्हें किस तरह की दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है,आदि।
यह बच्चों का अपना खुला स्पेस था।जिसमें बच्चों ने अपनी बात सभी से शेयर की,जिसमें उन्होंने यह भी बताया कि वह इस अभियान से जुड़कर खुद में क्या बदलाव देख रहे हैं।नानकमत्ता पब्लिक स्कूल के प्रबंधक डॉ कमलेश अटवाल ने बताया कि कोरोना के चलते हुये लॉकडाऊन के दौरान एक दूसरे से जुड़ना जब सबसे बड़ी चुनौती थी, तब कम्युनिटी लाइब्रेरी हमारे लिए सबसे बड़ा माध्यम बनकर उभरा,जिसने हमें अपनी कम्युनिटी से जोड़ने में मदद की।वह बताते है कि अभी नानकमत्ता में बच्चों द्वारा16लाइब्रेरी चलाई जा रही है।मैंने एक टीचर के रूप में इससे बच्चो में बहुत बड़ा बदलाव देखा है।वह खुद को स्वतंत्रता से अभिव्यक्त कर पा रहे है।
नानकमत्ता पब्लिक स्कूल की छात्रा रिया चंद बताती है कि मै बच्चों के बीच नई नई एक्टिविटी कराती हूं,जिसमें उन्हें इंटरेस्ट आता हो और वह किताबों से धीरे धीरे जुड़ पाएं ।नानकमत्ता की ओर से रिया ने बच्चों को संबोधित किया और कार्यक्रम का संचालन किया। एक से बढ़कर एक अनुभव इस प्लेटफॉर्म में सुनने को मिले ।बच्चो की बात सुनकर रामनगर के शाइनिंग स्टार स्कूल के टीचर डी एस नेगी कहते हैं कि बच्चे बहुत अच्छा काम कर रहे है।बच्चे अक्सर एक दूसरे को देखते हुए ही सीखते है।जो एक सामूहिक प्रक्रिया है।
ऐसा ही कुछ राधा बताती है, जो वह अक्सर महसूस करती है: लाइब्रेरी के बच्चे और मैं किस तरह से एक दूसरे के साथ मिल जुलकर सीख रहे हैं। उन्होने एक छोटी बच्ची के बारे में बताया कि वह किस तरह से कितना क्रिटिकली चीजों को ऑब्जर्व करती है, जैसा कि कभी मैंने नहीं किया। जैसे सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी तरह मैंने कम्युनिटी के भी दो पहलू देखें! एक जहां से हमें सपोर्ट मिल रहा है और दूसरी तरफ से नहीं। इन सबके बावजूद भी हम अपनी राह पर डटे पड़े हैं।
नानकमत्ता के साथियों में से एक प्रमोद कांडपाल जो अभी स्नातक के छात्र है; अपने अनुभव के आधार पर कहते हैं कि जब बच्चे पढ़ने में रुचि नहीं दिखते तो उन्हे कहानी की किताब पढ़ने को देना चाहिए।बच्चे कहानी पढ़ने और सुनने में ज्यादा रुचि दिखाते है। आंचल अभी नानकमत्ता में9वी की छात्रा है ;वह बताती है कि हम बच्चों के साथ अक्सर वही एक्टिविटी करते है ,जो वह चाहते है।इससे हम बच्चों को खुद के करीब पाते है। साक्षी भंडारी को लगता है; कुछ अभिभावक ऐसे भी है जो इसे बच्चों के समय बर्बादी के रूप में देखते है और उन्हे लाइब्रेरी नहीं आने देते।ऐसे में हमें उन्हे भी समझना पड़ता है।
अंशिका राणा नानकमत्ता से अपने लाइब्रेरी से जुड़े हुए कुछ अनुभव बताती है कि हमें हमारी कम्युनिटी सपोर्ट कर रही है। वे मानते हैं कि हम एक अच्छा काम कर रहे हैं। इस अभियान से जुड़कर आपस में एक पहचान बढ़ रही है।हम कोई भी निर्णय साथ में लेते है।इससे हमारे बीच दोस्ताना रिश्ता बढ़ रहा है। मै पहले से भी कुछ तैयारी करके जाती हूं।आज बच्चों के साथ क्या एक्टिविटी कराऊ।मैंने उन्हे ग्रीटिंग कार्ड् बनाना भी सीखाया। कृति अटवाल बच्चों के इस काम के पीछे आए बदलाव को देखती है।वह बच्चो के बदलते नजरिए,नजदीक होते रिश्तों और उनके बीच बढ़ते लीडरशीप को साफ देख पा रही है।उन्होंने खुद बताया कि इससे बच्चो के बीच क्रिटिकल थिंकिंग बढ़ रही है।
प्रथम मित्तल कहते हैं कि हमारे विद्यालय के छोटे से प्रयास से अब और भी साथी जुड़ने लगे हैं जैसे कि आज के व्यवहार में रामनगर से जो आज सेशन हुआ वह बहुत ही सराहनीय था। आज के सेशन में सबसे अच्छी बात तो यह थी कि अब हमारी एक छोटी सी लाइब्रेरियन में एक और टुकड़ा जुड़ गया है, वह भी इस प्रयास को और आगे बढ़ाना चाहते हैं। मैं भी अपने नानकमत्ता क्षेत्र में एक लाइब्रेरी से जुड़ा हुआ हूं दिन प्रतिदिन मैं वहां अन्य प्रकार की गतिविधियों में शामिल रहता हूं।दिन प्रतिदिन मैं वहां जाता हूं कई बार ऐसा होता है कि बच्चों का मेरे द्वारा कराई गई एक्टिविटीज में मन नहीं होता ।शुरुआती दौर में मुझे सबसे पहले जो कठिनाइयां आई उनमे से एक तो यह थी कि पहले तो मुझे समझना था उनके मिजाज को उनके सीखने के अंदाज को!! जिससे मैं उनसे बेहतर और सुचारू ढंग से जुड़ पाऊं। अभी सभी साथियों से मेरी बहुत ही अच्छी दोस्ती है। वह मुझे अपना दोस्त समझने लगे हैं ।
वह हर बात मुझसे खुलकर कह पाते हैं और एक तालमेल का गुण भी और विकसित हुआ है। जैसा कि आज महेश सर, कमलेश सर बता रहे थे कि इन सभी चीजों के प्रभाव बहुत ही जल्द नहीं दिखाई देते हैं परंतु इतना अवश्य है किसी न किसी रूप में देखने को मिलता है। मै खुद के अंदर यह बदलाव देख पा रहा हूं। लोगों से बात करते वक्त मन में भय का ना होना, और अपनी बातों को खुलकर सबके सामने रख पाना। शायद यदि मैं इस लाइब्रेरी अभियान से ना जुड़ा होता तुम्हें कभी जान ही ना पाता कि छोटे-छोटे बच्चे हैं किस हद तक एक गहन चिंतन कर सकते हैं और उनमें कितनी साक्षरता होती है। काफी कठिनाई देखने को मिलती है जैसे कभी उचित स्थान का ना हो पाना, सभी अभिभावकों को इसकी महत्वता समझाना उन्हें इसके राजी करना, काफी मुश्किल है। परंतु काफी अच्छा लगता है। मैं अक्सर अपने क्षेत्र की भिन्न-भिन्न लाइब्रेरी मैं जाता हूं, वहां जाने पर बच्चों द्वारा की गई अनेकों गतिविधियों से काफी कुछ नया सीखने को मिलता है, यह भी समझ में आता है कि जिस प्रकार हमारे समाज में कुछ लोगों के प्रति जो कुरीतियां कुछ रूढ़िवादिता है बनाई गई वो कितनी कितनी गलत है। हम लाइब्रेरी में केवल पढ़ाते ही नहीं अनेकों प्रकार की ड्राइंग एक्टिविटीज, स्टोरी सुनाना सुनना, डांस, कथा वाचन जैसी गतिविधियां भी करते हैं।
इस कार्यक्रम का समापन काफी बेहतर रहा।2 घंटे तक सभी इस कार्यक्रम से जुड़े रहे।अंत में शाईनिंग स्टार के शिक्षिका तुलसी मैम ने सभी का धन्यवाद देते हुए इस कार्यक्रम का समापन किया और जल्द ही दुबारा मिलने की बात कही।