हरिश्चन्द्र चंदोला
जोशीमठ के ऊपर घास के बडे ढाल, औली के बुग्याल में, जून 18 से 22 तक हई सहारनपूर के गुप्ता बंधुओं के पुत्रों की 200 करोड रुपये की शादी ने इस निर्जन क्षेत्र में हफ्तेभर के लिए बडी चहल-पहल मचा दी। कुछ पर्यावरणव्दि इस असाधारण घटना के विरुद्ध उत्तराखंड उच्च न्यायलय गए, जिसका एकमात्र नतीजा निकला कि इस लगभग हफ्ते-भर के समारोह में आनेवाले उत्तराखंड मुख्य मंत्री त्रिवेद्र सिंह रावत सहित मेहमानों के हेलिकॉप्टर ऊपर के ढालों में उतरने के बजाय, कुछ किलोमीटर नीचे रविग्राम के पास उतरने-उड़ने लगे।
मुख्य मंत्री का कहना था कि यह शादी इन ढलानों में धनी लोगों की शादियों की शुरूआत थी तथा इस प्रकार से अन्य धनी परिवारों विवाहों के लिए यह घास ढलान, जिन्हें हम बुग्याल कहते है, उपयुक्त स्थान माने जाऐंगे तथा यहां और शादियां भी होने लगेंगी। इसे उन्होंने एक अंग्रेजी नाम, “वेडिंग डेस्ट्ीनेशन“ दिया।
सहारनपुर के यह गुप्ता बंधु, जिन्होंने कहा जाता है कि दक्षिणी अफ्रीका में बहुत धन अर्जन किया तथा वहां के पूर्व राष्ट्रपति, जैकब ज़ूमा, के साथ काम कर उन्हें प्रभावित किया, के हाथ बहुत लंबे हैं।
यहां उन्होंने पर्यावरण के लिए सुरक्षित घास के ढलानों में शादी रचा कर उनमें लगे प्रतिबंधों की धज्जियां उडा दीं।
यही नहीं, उन्होंने यहां तैनात फौज को भी अपनी सुविधा के लिए प्रयोग किया। एक सड़क जो शादियों के लिए लगाए तंबुऔं की ओर जाती थी, उस पर भारतीय सेना के प्रहरी लगा बंद कर दिया गया। उसके ऊपर छोटे किसानों के घर थे, जहां जाने से पहले अवरोध लगा एक सिपाही तैनात कर गाड़ियों का आना-जाना प्रतिबंधित कर दिया गया। उस सडक पर एक फौजी सिपाही गाडियों की आवाजाही बंद करने लगा, सिवाय उनके जो शादियों के काम में लगी थीं, तथा मेहमानों को ला-ले जा रही थीं। हमारी गाडी रोक फौजी संत्री ने कहा कि हमें आगे जाने की आज्ञा लेने वह अपने अधिकारी से पूछेगा। पूछने बाद वह कहने आया कि सडक केवल शादी के मेहमानों तथा सामान लाने वालों के लिए खुलेगी। अन्य के लिए नहीं।
फौज भी यहां गुप्ता बंधुओं के आदेश पर काम करने लगी।
भारतीय सरकार के पर्यावरण रक्षा कानूनों के अनुसार ऊंचाइयों के हिमालयी घास के ढलानों को सुरक्षित रखा जाता हैं तथा उन पर सभी काम प्रतिबंधित रहते हैं. इन प्रतिबंधों के होते हुए भी गुप्ता बंधुओं को अपने पुत्रों की शादी इस ऊंचाई पर रचने की आज्ञा किसने दी होगी ?
वहां शादी करने के विरुद्ध जब कुछ लोग उत्तराखंड उच्च न्यायालय गए, तो खबर फैलाई गई कि यह आज्ञा जोशीमठ की नगर पालिका ने दी। यह कैसे हो सकता था कि भारत सरकार के कानूनों के विरुद्ध कोई नगर पालिका आज्ञा दे दे। यह बुग्याल या घास के ढलान नगर पालिका के अधिकार-क्षेत्र में थे भी नहीं। क्या नगर पालिकाएं अधिकारों के मामले में भारत सरकार के उपर होती हैं ? यह असंभव है कि औली के बुग्यालों में शादी करने की आज्ञा, पर्यावरण नियमों के विरुद्ध कोई नगर पालिका दे दे।
यह पर्यावरण कानूनों को धता बताती शादियां तो उत्तराखंड सरकार की मिलीभगत से हुईं, जो उनमें राज्य के मुख्य मंत्री के भाग लेना बताती है। यही नहीं, यहां आने पर मुख्य मंत्री ने कहा कि इन ऊंचे घास के ढलानों को वे शादियों के उत्सवों के लिए खोल देंगें तथा उन्हें “वेडिंग डेस्टिनेशन” बना देंगे।
क्या वे भारत सरकार के नियमों के विरुद्ध यह सब कह विद्रोह कर रहे थे ?