2 Comments

  1. 1

    बटरोही

    फ्वां बाघ पर यह आलेख अद्भुत है। सौ वर्ष बाद इसे लोक साहित्य के साथ जोड़कर देवेश जोशी ने उस समूचे परिवेश को दुबारा लौटा दिया है। इसके लिए जितना आभार व्यक्त किया जाए, कम है।

  2. 2

    देवेश जोशी

    आभार बटरोही सर।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

All rights reserved www.nainitalsamachar.org