’समतामार्ग’ वैब पोर्टल से साभार
14 मई। कर्नाटक में काँग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक जीत के पीछे जहाँ एक तरफ स्थानीय मुद्दे हावी रहे, वहीं दूसरी तरफ इस जीत में ‘सिविल सोसाइटी’ की भी अहम भूमिका रही। ‘एद्देलु कर्नाटका’ और ‘बहुत्व कर्नाटका’ जैसे साझा सामाजिक मंचों ने भाजपा को हराने में अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस पार्टी के साथ कोई औपचारिक जुड़ाव नहीं रखते हुए इन संगठनों ने सोशल मीडिया आदि विभिन्न माध्यमों से व्यापक प्रचार-प्रसार करके निवर्तमान भाजपा सरकार की विफलताओं से मतदाताओं को अवगत कराया। एद्देलु कर्नाटका (जागो कर्नाटका) अभियान ने ‘मृत वादों के कारण मोहभंग’ नामक पुस्तिका जारी कर आम जनमानस को भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों से अवगत कराया। इस अभियान ने विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में लगभग 75 सम्मेलन आयोजित किए तथा भाजपा सरकार की विफलताओं को उजागर करने वाले 80 वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किए।
वहीं ‘बहुत्व कर्नाटका’ ने एक विस्तृत रिपोर्ट कार्ड जारी कर निवर्तमान भाजपा सरकार के कुशासन का कच्चा चिट्ठा पेश किया। यह रिपोर्ट कृषि, पर्यावरण, श्रम, धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, ग्रामीण विकास, महिलाओं के अधिकार, स्वास्थ्य देखभाल जैसे मुद्दों पर आधारित था। ‘बहुत्व कर्नाटका’ की सदस्य डॉ. सिल्विया करपागम ने कहा कि इनमें से अधिकांश क्षेत्रों में भाजपा सरकार ने निराशाजनक प्रदर्शन किया था, और हमने इसका एक रिपोर्ट बनाकर आम जनता के सामने पेश किया और मीडिया का ध्यान भी इस तरफ खींचा। वहीं इस मामले पर जाने-माने अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस की जीत में ‘एद्देलु कर्नाटका’ और ‘बहुत्व कर्नाटका’ जैसे सिविल संगठनों की अहम भूमिका रही। आगामी आम चुनाव और उससे राज्यों के विधानसभा चुनावों में ऐसा करने की आवश्यकता है।