डॉ.भूपेंद्र बिष्ट स्मृति व्याख्यान का ज़िक्र आते ही अमूमन सोच में एक खाका आता है कि कोई अधिकृत वक्ता खड़ा है पोडियम पर, वह ऑडियंस से मुखातिब होने के पहले पीछे लगे बैनर — जिनकी स्मृति... Read more
फोटो में श्रीमती नौटियाल और मदन मोहन नौटियाल अरुण कुकसाल अगस्त, 1981 की कोई तारीख रही होगी, देर शाम तक श्रीनगर (गढ़वाल) में मदन मोहन नौटियाल जी के उत्तराखण्ड वर्कशाप के गुटमुटे कमरे के अन्दर... Read more
उमेश तिवारी ‘विश्वास’ यह पक्का है कि वोटिंग के दिन वह घर में ही पड़ा रहता है। जे आरोप भी पक्के घरों वाले वोटर पर है, झुग्गी-झोपड़ी वालों पर नहीं। यह भी वेरीफाइड है कि अपने अन्य काम... Read more
उमेश तिवारी ‘विश्वास’ कई बार सवाल उठाया जाता है कि एक देश की तरह हमने पिछले 75 वर्षों में क्या हासिल किया ! बेशक पूछा जाएगा कि एक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में पहुंचने के लिए क्य... Read more
प्रयाग पाण्डे “तुम्हारे शहर में ये शोर सुन-सुनकर तो लगता है, कि इंसानों के जंगल में कोई हाँका हुआ होगा।” मशहूर शायर दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल का यह शेर सरोवर नगरी नैनीताल की मौजूदा हा... Read more
दिनेश उपाध्याय चालीस साल होने को हैं। वर्ष 1986, महीना शायद दिसंबर रहा होगा, जब मैं बी. डी. पांडे अस्पताल के पीछे, रोपवे में नौकरी करने गया। शुरू में, मैं बड़ा चौंका कि ये कैसी नौकरी है जहां... Read more
महेश पुनेठा आज हर किसी की जुबां में कल शाम हुई बारिश के किस्से हैं। जहां भी दो लोग मिल रहे हैं,उनकी बातचीत के बीच कल की बारिश बरस पड़ रही है। कल शाम 4 बजे से लगभग 2 घंटे तक बारिश होती रही। इ... Read more
प्रयाग पांडे राजनीति चंचल होती है। यहाँ स्थायित्व नहीं होता। हार- जीत चुनावी राजनीति का अहम हिस्सा है। यही लोकतंत्र को प्राणवान और जीवंत बनाता है। सियासी दलों और नेताओं को लोकप्रियता, विश्वस... Read more
वीरेन्द्र कुमार पैन्यूली यदि पिक्चर आना अभी बाकी है तो ट्रेलर देख समझ लीजिये उत्तराखण्डीयत को बचाने की लड़ाई कितनी मुश्किल होगी । दिल्ली के संसदीय थियेटरों में भले ही बौक्स आफिस हिट हो जाये प... Read more
‘मेहनतकश’ वेब पत्रिका से साभार जन सम्मेलन की माँग: बनभूलपुरा हिंसा के बाद रोजगार छिन गए, घायल और गिरफ्तार लोगों के परिजनों को कानूनी प्रशासन मदद दे. साथ ही, किसी भी किस्म की मदद... Read more