अतुल सती जोशीमठ आपदा ग्रस्त क्षेत्र सबसे संवदेनशील वार्ड सिंहद्वार (सिंहधार) का इलाका है। किसी समय जब सड़क मार्ग नहीं था और बद्रीनाथ पैदल ही यात्रा होती थी, तब यही मुख्य मार्ग था। इस मुख्य मा... Read more
ललित मौर्य ‘डाउन टू अर्थ’ से साभार वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023 में ऐसा क्या है जो उसके खिलाफ लोगों के मन में आक्रोश है और देश भर में उसके विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। यह विधेयक 20 जुलाई... Read more
मोहन कांडपाल उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में 353 गैर बर्फीली नदियों का अस्तित्व खतरे में है। इनमें से ज्यादातर नदियां केवल बरसाती बनकर रह गई हैं। सदा बहती रहने वाली इन नदियों के सहारे ही पर... Read more
रणधीर संजीवनी तरह-तरह के कूड़ा-प्लास्टिक से पटे हुए ताल-तलैया हों या नदियों से लेकर समुद्र तक प्लास्टिक को ढोते हुए और इस प्लास्टिक को निगल जाने को अभिशिप्त जल प्राणी सभी विनाश लीलाएं हम देखत... Read more
नैनीताल पीपुल्स फोरम द्वारा नगरपालिका हॉल, नैनीताल में “उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों के लिए जोशीमठ भू-धंसाव के मायने” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य... Read more
जगमोहन रौतेला ” पानी का संकट लोगों की असंवेदनशीलता और सरकारी नीतियों की विफलता से उत्पन्न हुआ है। सत्ता और समाज का व्यवहार प्राकृतिक संसाधनों के साथ बदल गया है। जल , जंगल जमीन जो कभी... Read more
चंडी प्रसाद भट्ट ज्ञात हुआ है कि बद्रीनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण एवं सौंदर्यीकरण के कारण ‘पंच-धाराओं’ में से दो धाराओं, ‘कुर्म धारा’ एवं ‘प्रहलाद धारा’ का पानी छीज रहा है। यह भी बताया... Read more
गजेन्द्र रौतेला केदारनाथ आपदा को आज एक दशक हो गया। इन दस वर्षों में मन्दाकिनी में करोड़ों-अरबों लीटर पानी गुजर गया लेकिन आज भी किसी भी छोटी बड़ी आपदा आने पर स्थिति फिर से वही दिखने लगती है। के... Read more
अजय कुमार पिछले एक-दो दशकों से उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष तेजी से बढ़ा है। सूचना के अधिकार कानून के तहत मिली जानकारी के अनुसार राज्य बनने के बाद अप्रैल 2023 तक 1060 लोग वन्य जीवों के ह... Read more
गजेन्द्र कुमार पाठक उत्तराखंड इस समय बेहद विषम पर्यावरणीय परिस्थितियों से गुजर रहा है। परंपरागत जल स्त्रोतों नौलौ , धारों, गाड़, गधेरों,गैरहिमानी नदियों में पानी का स्तर साल दर साल घटता जा र... Read more