अतुल सती
बद्रीनाथ में होटल संचालन कर रहे एक मित्र के अनुसार बद्रीनाथ में पानी के अभाव में हाहाकार मचा है । दो साल बाद यात्रियों की भीड़ है मगर इंतजामात शून्य हैं । एक एक बाल्टी पानी को लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है । जलसंस्थान जो कि पानी की वितरण व्यवस्था के लिए जिम्मेदार है ने हाथ खड़े कर दिए हैं । बड़े बड़े होटलों में बड़े दिन बाद रौनक होती मगर पानी के अभाव ने मालिकों की हवाइयां उड़ा दी हैं।
वजह है बद्रीनाथ महायोजना के कार्य के दौरान जब पुराने निर्माण ध्वस्त किये जा रहे थे तो मशीनों ने पानी की पाईप लाईन ही उधेड़ कर रख दीं ।जगह जगह से टूट चुकीं पेयजल लाइन को पुनः ठीक करना कठिन हो रहा है । जलसंस्थान वर्षों से कर्मचारियों लाइनमैन के अभाव से ग्रस्त है । पर्याप्त स्टाफ की कमी वर्षों से है । जोशीमठ से इंजीनियर बद्रीनाथ भेजे गए हैं । जिससे जोशीमठ में भी पानी वितरण में अव्यवस्था व्याप रही है । जगह जगह से पानी की कमी की शिकायतें लोग जोशीमठ में कर रहे हैं । यहां भी दैनिक वेतन पर अथवा न्यूनतम वेज पर रखे गए गिनती के लाइनमैन के भरोसे ही पेयजल व्यवस्था है ।
यात्रा दिन पर दिन परवान चढ़ रही है । प्रतिदिन यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है और व्यवस्थाएं दम तोड़ रही हैं । यात्रा से पहले हुई तमाम तैयारी बैठकों में क्या होता है पता नहीं । ठीक यात्रा से पहले ध्वस्तीकरण करने की क्या जरूरत थी पता नहीं । क्यों लोगों को उजाड़ने की इतनी जल्दी थी । बेरोजगार लोग जो किसी तरह रोजगार से जुड़े थे उनकी दुकानें तोड़ कर उनका रोजगार तो छीना ही उस ध्वस्तीकरण के कारण यह पानी का संकट पैदा किया अलग से । बगैर अन्य विकल्प दिए लोगों को उजाड़ कर सामाजिक अव्यवस्था पैदा की और साथ मे ठीक यात्रा के समय पानी जैसी सर्वाधिक आवश्यक सेवा का भी संकट पैदा कर दिया ।
व्यवस्था व दूरदर्शिता का अभाव इतना है कि इस सबसे कैसे निपटना है इसकी भी न कोई समझदारी है न क्षमता । यह स्थिति यात्रियों के लिए तो परेशानी का सबब है ही राज्य सरकार की क्षमता योग्यता पर भी सवाल है जिसका खामियाजा अंततः लोगों को ही भुगतना है ।