कोश्यारी ने कहा था सरकारी स्तर से पैसा तय करने से पहले उन्हें पक्ष रखने का नहीं दिया गया मौका और माली हालत को देखते हुए वे भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं, जबकि बहुगुणा ने कहा वह हाईकोर्ट के जज रहे हैं। एमपी और एमएलए भी रहे हैं। इस बात का ध्यान रखते हुए किराया लेने से छूट प्रदान की जाए….
जनज्वार डैस्क
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोश्यारी व विजय बहुगुणा को नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सरकारी बंगलों व अन्य सरकारी सुविधाओं का किराया जमा करने वाली पुनर्विचार याचिका को कोर्ट ने खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि दोनों ही नेता अपने बकाया किराए की अदायगी करें।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चन्द्र खुल्बे की खंडपीठ ने कल 7 अगस्त को इस पर फैसला सुनाते हुए दोनों की पुनर्विचार याचिका निरस्त कर दी है। अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को बकाया किराया जमा करना होगा। हाईकोर्ट ने इसके लिए 3 मई को दिए आदेश में छह माह का समय दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी और विजय बहुगुणा ने हाईकोर्ट के बकाया जमा करने के 3 मई 19 के आदेश को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इसमें कोश्यारी की ओर से कहा गया कि सरकारी स्तर से पैसा तय करने से पहले पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। वहीं वे माली हालत को देखते हुए भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं। जबकि बहुगुणा ने कहा वह हाईकोर्ट के जज रहे हैं। एमपी और एमएलए भी रहे हैं। इस बात का ध्यान रखते हुए किराया लेने से छूट प्रदान की जाए।
सरकार ने अदालत को बताया था कि कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार 758 रुपये और बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार 638 रुपये की देयता बन रही है। कोश्यारी और विजय बहुगुणा दोनों का बकाया किराया बाजार भाव से मिलाकर कुल 85,08,396 रुपये है।
हाईकोर्ट में लंबी चली सुनवाई के बाद संयुक्त खंडपीठ ने पिछले 5 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियमावली 1997 को उच्चतम न्यायालय के असंवैधानिक घोषित करने सहित उत्तराखंड सरकार की ओर से मामले में तय प्रावधानों को कानून सम्मत नहीं माना है।
इस फैसले के बाद दोनों नेताओं के पास अब पैसा जमा करने के अलावा उच्चतम न्यायालय जाने का रास्ता बचा है, लेकिन उच्चतम न्यायालय उप्र में ऐसे ही मामले में पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले खाली कराने और वसूली के आदेश दे चुका है।
देहरादून की गैरसरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटलमेंट केंद्र (रलेक) की ओर से इस मामले में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में प्रदेश के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोश्यारी, स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी, रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूड़ी व विजय बहुगुणा को सरकारी आवास आवंटित करने का मामला उठाया था। कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका में उठाए मुद्दे को सही माना था और पूर्व मुख्यमंत्रियों के स्तर से ली जा रही सरकारी आवास सहित अन्य सुविधाओं को सार्वजनिक धन का दुरुपयोग माना था। साथ ही किराया आदि का बाजार दर पर वसूली के निर्देश दिए थे।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बकाया राशि तय की थी। इन पर किराये का कुल 2.85 करोड़ रुपये आ रहा था। इसमें कोश्यारी व बहुगुणा के अलावा स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी पर 1 करोड़ 12 लाख 98 हजार 182 रुपये, रमेश पोखरियाल निशंक पर 40 लाख 95 हजार 560 रुपये तथा भुवनचंद्र खंडूड़ी पर 46 लाख 59 हजार 76 रुपये बकाया बताया गया था।
हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका देते हुए उन्हें दी गई सुविधाओं से संबंधित समस्त शासनादेश रद कर दिए थे। हाईकोर्टने पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बकाया किराया बाजार दर पर छह माह के भीतर जमा करने के आदेश पारित किया था। साथ ही सरकार को चार माह के भीतर बिजली, पानी, गनर, टेलीफोन, पेट्रोल सति अन्य खर्चों का चार माह में आंकलन कर वसूलने के निर्देश दिए थे।
हाईकोर्ट ने पूर्व सीएम दिवंगत एनडी तिवारी पर बकाया मामले में कहा था कि यदि सरकार चाहे तो उनकी संपत्ति से किराया वसूल सकती है। हाईकोर्ट ने 2001 से अब तक पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास समेत अन्य सुविधाओं को लेकर जारी समस्त शासनादेशों को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था।
53 पेज के आदेश में हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह चिंतनीय विषय है कि उनके द्वारा अपने सेवाकाल पूरा होने से पहले ही अपने लिए सारी सुविधाएं मंजूर करा ली गयी थीं।