राहुल सिंह शेखावत मुझे अपने चैतन्य काल में याद नहीं है कि कभी हवा इतनी साफ रही होगी। जीवनदायिनी नदियों में अब पानी इतना साफ है कि करोड़ों की रकम ठिकाने लगाने के बाद भी वो शायद ही सपने में दिख... Read more
बलात्कार को केवल कुछ सिरफिरे लोंगों की अनियंत्रित यौनेच्छा का परिणाम मानना बेहद संकुचित विचार होगा साथ ही इसे केवल मनोविकृति और अपराधिक या असामाजिक कृत्य मानना भी इस कृत्य के कई पहलुओं की अन... Read more