हृदयेश जोशी कमाल ख़ान के जाने के बाद एक मित्र ने सुबह कहा कि कमाल के बिना लखनऊ की कल्पना नहीं की जा सकती. यह बात पत्रकारिता के संदर्भ में थी और ये सही है कि कमाल के बिना लखनऊ ही नहीं पूरे उत... Read more
रवीश कुमार जब आप बहुत नए होते हैं तो किसी बहुत पुराने को बहुत उम्मीद और घबराहट से देखते हैं। उसके देख लिए जाने के लिए तरसते हैं और उससे नज़रें चुराकर देखते रहते हैं। उसके जैसा होने या उससे अ... Read more